विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि कीलें लगी रोड़ की वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है। असल में वायरल तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं, बल्कि साल 2021 में हुए किसान आंदोलन की है। तीन साल पुरानी तस्वीर को हालिया किसान आंदोलन से जोड़कर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर कीलों से गड़ी एक रोड की तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। तस्वीर को हालिया किसान आंदोलन से जोड़कर शेयर किया जा रहा है। फोटो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि किसानों को रोकने के लिए रोड पर कीलें लगाई गई है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा भ्रामक है। वायरल तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं, बल्कि साल 2021 में हुए किसान आंदोलन की है। तीन साल पुरानी तस्वीर को हालिया किसान आंदोलन से जोड़कर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
फेसबुक यूजर मुरलीभारत चेल्लप्पन ने 12 फरवरी 2024 को वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए अंग्रेजी में लिखा है, किसान आंदोलन पर सुप्रीम लीडर का समाधान।
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।
वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें यह हूबहू तस्वीर हिंदुस्तान टाइम्स की वेबसाइट में प्रकाशित एक रिपोर्ट में मिली। रिपोर्ट को 2 फरवरी 2021 को प्रकाशित किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, वायरल तस्वीर पंजाब हरियाणा बॉर्डर के पास की है और 3 साल पहले हुई किसान आंदोलन से जुड़ी हुई है।
पड़ताल के दौरान हमें यह तस्वीर द ट्रिब्यून सहित कई अन्य न्यूज रिपोर्ट्स में साल 2021 में प्रकाशित मिली। रिपोर्ट में वायरल तस्वीर को कृषि कानून के विरोध में हुए किसान आंदोलन का बताया गया है। मौजूद जानकारी के मुताबिक, वायरल तस्वीर दिल्ली के टिकरी बॉर्डर की है।
अधिक जानकारी के लिए हमने किसान आंदोलन को कवर करने वाले दैनिक जागरण लुधियाना के पत्रकार अविनाश मिश्रा से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि यह तस्वीर पुरानी है। पहले हुए किसान आंदोलन की तस्वीरें और वीडियो फिर से वायरल हो रहे हैं।
अंत में हमने फोटो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को खंगालना शुरू किया। यूजर के 514 मित्र हैं। यूजर एक विराचधारा से जुड़ी पोस्ट को शेयर करता है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि कीलें लगी रोड़ की वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है। असल में वायरल तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं, बल्कि साल 2021 में हुए किसान आंदोलन की है। तीन साल पुरानी तस्वीर को हालिया किसान आंदोलन से जोड़कर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
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