Fact Check: फायरिंग का वीडियो करीब तीन साल से इंटरनेट पर मौजूद, मणिपुर हिंसा से नहीं है कोई संबंध

सोशल मीडिया पर वायरल फायिरंग का वीडियो पुराना है। यह जुलाई 2020 से इंटरनेट पर मौजूद है। इसका मणिपुर हिंसा से कोई संबंध नहीं है।

Fact Check: फायरिंग का वीडियो करीब तीन साल से इंटरनेट पर मौजूद, मणिपुर हिंसा से नहीं है कोई संबंध

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। मणिपुर में जारी हिंसा के दौरान सोशल मीडिया पर कई पोस्‍ट वायरल हो रही हैं। इनमें से एक वीडियो में कुछ लोगों को अंधाधुंध फायरिंग करते देखा जा सकता है। इसे शेयर करते हुए कुछ सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यह वीडियो मणिपुर का है। वीडियो को ‘मणिपुर ऑन फायर’ और ‘मणिपुर वायलेंस’ के हैशटैग के साथ शेयर किया जा रहा है।

विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो इंटरनेट पर जुलाई 2020 से मौजूद है। इसको शेयर करने वाले यूजर ने डिस्क्रिप्‍शन में हैशटैग गेमिंग का भी प्रयोग किया है। इस वीडियो का मणिपुर हिंसा से कोई संबंध नहीं है। 

क्‍या है वायरल पोस्‍ट

फेसबुक यूजर अनूप पासी एडवोकेट (आर्काइव लिंक) ने इस वीडियो को 5 मई को शेयर करते हुए लिखा है,

“ये कोई फ़िल्मी सीन नहीं मणिपुर में मोदी जी की डबल इंजन की सरकार है
अब दलाल मीडिया और मोदी भक्त ये बताए कि यहाँ कौन सा विपक्ष और नेता गये थे भड़काने ?
कहावत है “नाच न जाने, आँगन टेढ़ा”
देश बर्बाद कर दिया इन गोडसे की औलादों ने।”

ट्विटर यूजर पवन बॉक्‍सर (आर्काइव लिंक) ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा,

ये कोई फ़िल्मी सीन नहीं मणिपुर में मोदी जी की डबल इंजन की सरकार है

अब दलाल मीडिया और मोदी भक्त ये बताए कि यहाँ कौन सा विपक्ष और नेता गये थे भड़काने ?

कहावत है “नाच न जाने, आँगन टेढ़ा”

देश बर्बाद कर दिया इन गोडसे की औलादों ने।”

https://twitter.com/PawanBoxer_/status/1654132052495831042

ट्विटर यूजर राजू पल्‍लेपगा (आर्काइव लिंक) ने भी इस वीडियो को मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

https://twitter.com/RajuPallepaga/status/1654086044604862466

पड़ताल

वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले वीडियो से गूगल के इनविड टूल की मदद से कीफ्रेम निकाला और उसे यांडेक्‍स रिवर्स इमेज की मदद से सर्च किया। सर्च में हमें थ्रीट्टी (आर्काइव लिंक) नाम के इंस्‍टाग्राम यूजर की प्रोफाइल पर यह वायरल वीडियो मिला। इसे 5 जुलाई 2020 को अपलोड किया गया है। मतलब यह वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं है।

यूजर की प्रोफाइल पर वीडियो क्रिएटर लिखा है। इसके यूट्यूब चैनल पर कई गेमिंग वीडियो अपलोड किए गए हैं और प्रोफाइल में लिखा है कि वह पीसी गेम्‍स को काफी पसंद करता है।

दि हिंदू में 4 मई को छपी खबर में लिखा है, “मणिपुर सरकार ने 4 मई को गोली मारने का आदेश जारी कर दिया है, क्योंकि एक रैली के बाद जातीय हिंसा भड़कने से राज्य में 9,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए थे। हिंसा में मारे गए या घायल हुए लोगों की संख्या की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन मुख्यमंत्री नोंगथोम्बम बिरेन सिंह ने स्वीकार किया कि कुछ कीमती जान चली गई हैं।”

हमारी अब तक की पड़ताल में यह पता चला है कि वायरल वीडियो तीन साल से इंटरनेट पर मौजूद है। हालांकि, हम इसकी कोई पुष्टि नहीं करते हैं कि यह डिजिटली क्रिएटेड वीडियो है या असली है। अगर असली है तो हम इसकी जगह और समय की भी कोई पुष्टि नहीं करते हैं।    

इस बारे में हमने वीडियो एक्‍सपर्ट अरुण कुमार से बात की।  उनका कहना है, “जिस अकाउंट से इस वीडियो को शेयर किया गया है, उसके दिए गए हैशटैग्‍स के अनुसार, यह जीटीए गेमिंग का वीडियो लग रहा है।” 

इसकी अधिक जानकारी के लिए हमने मणिपुर में एएनआई के पत्रकार एलसीके सिंह से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन मणिपुर में इंटरनेट बंद होने की वजह से हम उन्‍हें वायरल वीडियो नहीं भेज पा रहे हैं। इस वजह से उनका जवाब नहीं मिल पा रहा है। हमने वीडियो को शेयर करने वाले इंस्‍टा अकाउंट ‘थ्रीटी’ से भी संपर्क करने की प्रयास किया है। दोनों का जवाब मिलते ही इस खबर को अपडेट कर दिया जाएगा।

पुराने वीडियो को मणिपुर का बताकर शेयर करने वाले फेसबुक यूजर अनूप पासी एडवोकेट की प्रोफाइल को हमने स्‍कैन किया। इसके मुताबिक, वह यूपी में वकालत करते हैं। 16 फरवरी 2020 को बने इस पेज के करीब 47 हजार फॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर वायरल फायिरंग का वीडियो पुराना है। यह जुलाई 2020 से इंटरनेट पर मौजूद है। इसका मणिपुर हिंसा से कोई संबंध नहीं है।

False
Symbols that define nature of fake news
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