Fact Check: ‘चुनौती वोट’ के नाम पर किया जा रहा गलत दावा, चुनाव आयोग ने बताया फर्जी

सोशल मीडिया पर वोटिंग के अधिकार को लेकर वायरल हो रहा मैसेज भ्रामक है। मतदाता सूची में नाम नहीं होने पर वोट नहीं डाला जा सकता है। धारा 49 P के तहत 'चुनौती वोट' मांगने और वोट डालने की बात गलत है। ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जबकि चुनौती वोट की परिभाषा ही अलग है। साथ ही मतदान केंद्र पर 14 फीसदी से ज्यादा 'टेंडर वोट' पड़ने पर पुनर्मतदान की बात भी फर्जी है। हां, अगर आपका वोट किसी और ने डाल दिया है तो आप टेंडर वोट मांग सकते हैं।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव के तहत सोशल मीडिया पर वोटर्स के अधिकारों के लिए एक मैसेज काफी वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया गया है कि अगर किसी का नाम मतदाता सूची में नहीं है तो वह आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाकर धारा 49 P के तहत ‘चुनौती वोट’ के अधिकार के तहत अपना वोट डाल सकता है। साथ ही अगर किसी ने वोट पहले ही डाल दिया है तो ‘टेंडर वोट’ के हक के साथ मतदान कर सकते हैं। दावा किया गया कि अगर किसी पोलिंग बूथ पर 14 फीसदी से अधिक ‘टेंडर वोट’ पड़े हैं तो वहां पुनर्मतदान होगा।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में दावे को भ्रामक पाया। दरअसल, ‘चुनौती वोट’ या ‘चैलेंजिंग वोट’ की यहां गलत परिभाषा दी गई है। हां, टेंडर वोट वाला दावा सही है, लेकिन पोलिंग बूथ पर 14 फीसदी से अधिक टेंडर वोट पड़ने पर पुनर्मतदान की बात भी गलत निकली।

क्या है वायरल पोस्ट में

फेसबुक पेज Rakesh Pratap Singh (आर्काइव) पर 27 फरवरी 2022 को लिखा गया,
हमारा वोट काट दिया गया और हमारा वोट कोई डाल गया का रोना बंध करिए…..
जब आप पोलिंग बूथ पर पहुंचते हैं और पाते हैं कि आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है
तो बस अपना आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाएं और धारा 49 P के तहत “चुनौती वोट” मांगें और अपना वोट डालें।
यदि आप पाते हैं कि किसी ने आपका वोट पहले ही डाल दिया है, तो “टेंडर वोट” मांगें और अपना वोट डालें।
यदि कोई भी पोलिंग बूथ 14% से अधिक टेंडर वोट रिकॉर्ड करता है, तो ऐसे पोलिंग बूथ में पुनर्मतदान किया जाएगा।
कृपया यह बहुत महत्वपूर्ण संदेश अधिकतम समूहों और दोस्तों के साथ साझा करें क्योंकि सभी को इसके बारे में पता होना चाहिए।

हमें विश्वास न्यूज के चैटबॉट नंबर +91 95992 99372 पर भी यह पोस्ट चेक करने के लिए भेजी गई।

पड़ताल

वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने एक—एक करके चुनौती वोट और टेंडर वोट के बारे में कीवर्ड से सर्च किया।

चुनौती वोट या चैलेंज वोट

tv9hindi में छपी खबर के मुताबिक, चैलेंज वोट या चुनौती वोट का प्रावधान होता है लेकिन इसके इस्तेमाल से किसी को फर्जी वोट देने से रोका जा सकता है। अगर किसी चुनावी एजेंट को शक होता है कि वोटर फर्जी वोट डाल रहा है तो वह चुनौती वोट के अधिकार का प्रयोग करता है। इसके तहत वह मतदान केंद्र पर मौजूद पीठासीन अधिकारी को दो रुपये की फीस देकर वोटर को चैलेंज करता है। इसके बाद पीठासीन अधिकारी वोटर के सभी दस्तावेज जांचते हैं। वोटर के सही होने पर उसे वोट देने दिया जाता है, जबकि उसके गलत होने पर उसे वोट देने से रोक दिया जाता है।

इसके बाद हमने THE CONDUCT OF ELECTIONS RULES, 1961 में धारा 49 P के बारे में छानबीन की। 49 P में टेंडर वोट के बारे में जानकारी दी गई है न कि चैलेंज वोट की।

Election Commission of India के फेसबुक पेज पर 17 फरवरी को एक पोस्ट की गई है। इसमें धारा धारा 49 P के तहत ‘चुनौती वोट’ डालने के मैसेज को फर्जी बताया गया।

टेंडर वोट

इसके बाद हमने टेंडर वोट के बारे में सर्च किया। THE CONDUCT OF ELECTIONS RULES, 1961 के अनुसार, अगर आपका वोट किसी ने पहले ही डाल दिया है तो आप मतदान केंद्र पर मौजूद पीठासीन अधिकारी को इस बारे में बता सकते हैं। इसके बाद आपको अपनी पहचान से संबंधित दस्तावेज दिखाने होंगे। पीठासीन अधिकारी अगर आपके जवाब और पहचान पत्र से संतुष्ट होता है तो आप वोट डाल सकते हैं। इसको टेंडर वोट कहा जाता है। इसके तहत बैलट पेपर से वोट दिया जाता है।

अब हम तीसरे दावे की बात करते हैं। कहा गया है कि अगर किसी भी पोलिंग बूथ पर 14% से ज्यादा टेंडर वोट डाले जाते हैं तो वहां पुर्नमतदान कराया जाएगा। इस बारे में THE CONDUCT OF ELECTIONS RULES, 1961 ऐसा कोई प्रावधान नहीं दिया गया है।

इस बारे में हमने भारतीय चुनाव आयोग के अंडर सेक्रेटरी पवन धीमान से बात की। उनका कहना है, चुनाव आयोग पहले भी इसको लेकर फैक्ट चेक कर चुका है। ‘चैलेंज वोट’ अलग बात है। सोशल मीडिया पर चुनौती वोट या चैलेंज वोट को गलत तरीके से बताया जा रहा है। इसके तहत वोटर को वोट डालने का कोई प्रावधान नहीं है। टेंडर वोट की अलग परिभाषा है।

भ्रामक पोस्ट करने वाले फेसबुक पेज Rakesh Pratap Singh को हमने स्कैन किया। 31 जनवरी 2015 को बना यह पेज राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित है।

निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर वोटिंग के अधिकार को लेकर वायरल हो रहा मैसेज भ्रामक है। मतदाता सूची में नाम नहीं होने पर वोट नहीं डाला जा सकता है। धारा 49 P के तहत ‘चुनौती वोट’ मांगने और वोट डालने की बात गलत है। ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जबकि चुनौती वोट की परिभाषा ही अलग है। साथ ही मतदान केंद्र पर 14 फीसदी से ज्यादा ‘टेंडर वोट’ पड़ने पर पुनर्मतदान की बात भी फर्जी है। हां, अगर आपका वोट किसी और ने डाल दिया है तो आप टेंडर वोट मांग सकते हैं।

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