Fact Check: हाथी के रेस्क्यू का वायरल वीडियो AI क्रिएटेड, गलत दावे के साथ हुआ वायरल

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। असल में वायरल वीडियो डिजिटली क्रिएटेड है। वीडियो को सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया गया है। यह किसी असली घटना का नहीं है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर पहाड़ों में फंसे एक हाथी का रेस्क्यू करते लोगों का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो को यूजर्स असली घटना का बताकर शेयर कर रहे हैं और आर्श्चय व्यक्त कर रहे हैं।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। असल में वायरल वीडियो डिजिटली एआई द्वारा क्रिएटेड है। वीडियो को सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया गया है। यह किसी असली घटना का नहीं है।

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर ‘वीरेंद्र यादव’ ने वायरल वीडियो को 9 अक्टूबर 2024 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “एक बात समझ नहीं आ रही आखिरकार यह हाथी यहां गया कैसे।”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल

वायरल पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमने इनविड टूल की मदद से वीडियो के कई कीफ्रेम निकाले और उन्हें गूगल रिवर्स इमेज की मदद से सर्च किया। हमें वायरल वीडियो अथिंग इनसाइड नामक एक यूट्यूब चैनल पर मिला। वीडियो को 2 अक्टूबर 2024 को अपलोड किया गया था। मौजूद जानकारी के मुताबिक, सॉफ्टवेयर की मदद से डिजिटली क्रिएटेड किया गया है। इसमें कोई सच्चाई नहीं है। 

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने अथिंग इनसाइड के आधिकारिक यूट्यूब चैनल को खंगालना शुरू किया। हमने पाया कि यूट्यूब चैनल पर इसी तरह के वीडियो को शेयर किया है, जो कि सॉफ्टवेयर की मदद से डिजिटली क्रिएटेड किए गए हैं। 

वीडियो को एआई टूल्स की मदद से बनाया गया है। इस बारे में जानने के लिए हमने हाइव मोडरेशन टूल का इस्तेमाल किया। हमने वीडियो को हाइव मोडरेशन टूल में अपलोड कर सर्च किया। टूल ने वीडियो को 96 फीसदी तक एआई जनरेटेड बताया है।

अधिक जानकारी के लिए हमने एआई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे एआई एक्सपर्ट अंश मेहरा से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। वायरल वीडियो को एआई टूल्स की मदद से बनाया गया है।

अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर को 15 हजार लोग फॉलो करते हैं। यूजर ने प्रोफाइल पर खुद को दिल्ली का रहने वाला बताया है।

निष्कर्ष : विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। असल में वायरल वीडियो डिजिटली क्रिएटेड है। वीडियो को सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया गया है। यह किसी असली घटना का नहीं है।

False
Symbols that define nature of fake news
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