Fact Check: 2 साल पहले नाशिक में लगे लाउडस्पीकर बैन की खबर को भ्रामक दावे के साथ किया जा रहा है वायरल

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा भ्रामक है। नाशिक पुलिस ने इस दावे को गलत बताया है। पूरा मामला 2022 का था, जब एक गुट द्वारा धमकी दिए जाने के बाद यह फैसला लिया गया था। हालांकि, यह फैसला 10 दिन के भीतर ही वापस ले लिया गया था।

नई दिल्ली विश्वास न्यूज । सोशल मीडिया पर एक पुलिस अधिकारी का वीडियो इस दावे के साथ वायरल किया जा रहा है कि महाराष्ट्र के नाशिक  में अजान के दौरान ‘भजन और कीर्तन’ जैसी धार्मिक गतिविधियाँ रोक दी गई है।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा भ्रामक है। नाशिक पुलिस ने इस दावे को गलत बताया है। पूरा मामला 2022 का था, जब एक गुट द्वारा धमकी दिए जाने के बाद यह फैसला लिया गया था। यह फैसला 10 दिन के भीतर ही वापस ले लिया गया था।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर Raj Patel (Archive) ने 15 अक्टूबर 2024 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा “*आप सोते रहो**अभी तो नाशिक से आदेश आया  नातनियों* आने वाले समय में सारे हिंदुस्तान में यही होगा**वोट मत डालो* *देश और परिवार का भविष्य अंधकारमय करते रहो*।”

पड़ताल

वायरल पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने इस वीडियो के कीफ्रेम्स को गूगल लेंस के जरिये सर्च किया। हमें इस वीडियो का स्क्रीनशॉट नाशिक पुलिस के एक ट्वीट में मिला। यहाँ इस पोस्ट को फर्जी बताते हुए लिखा गया था:

“2.5 साल पुराने वीडियो का जानबूझकर एडिटेड वर्जन, जिसमें एक अधिकारी के पदनाम को गलत तरीके से नाशिक  पुलिस आयुक्त के रूप में दर्शाया गया है, को शरारती तत्वों द्वारा वॉट्सऐप  पर प्रसारित किया गया और कल एक उपयोगकर्ता द्वारा एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर भी पोस्ट किया गया। इससे जमीनी स्तर पर कानून और व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने की कोशिश की गयी थी। हमने एक एफआईआर दर्ज की है और वीडियो प्रसारित करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास या भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए वीडियो के संपादित संस्करण प्रसारित करना भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 196 और 197 के तहत दंडनीय है। हमारी सतर्क साइबर टीमें सभी ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी कर रही हैं और हम ऐसी पोस्ट के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे। #चेतावनी #नाशिक पुलिस #सुरक्षितनाशिक “

इस वीडियो को ठीक देखने पर न्यूज एजेंसी ANI का माइक देखा जा सकता है। हमने कीवर्ड्स से सर्च किया तो हमें यह पूरा वीडियो ANI के यूट्यूब चैनल पर  18 अप्रैल 2022 को अपलोड मिला। वीडियो में पुलिस अधिकारी का नाम दीपक पांडेय और पद नाशिक पुलिस कमिश्नर बताया गया था।  वीडियो में उन्होंने बोला था, “महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम 1951 के सेक्शन 40 अंतर्गत पुलिस आयुक्तों को यह अधिकार है कि जब भी समाज में कोई धार्मिक या सामाजिक उथल-पुथल है, उसको कंट्रोल करने के लिए जो लीगल राइट्स और कस्टमरी राइट्स है, उनका ध्यान रखते हुए पुलिस आयुक्त वहाँ पर शांति स्थापित करने के लिए संबंधित पक्षकारों, नागरिक और इतर यांत्रणा को कोई भी आदेश जारी कर सकती है। इसके तहत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने यहाँ पर अर्ज किया था, साथ ही में जो मरकज समाज है नाशिक  की उन लोगों ने जो मुस्लिम लोगों के तरफ से अर्ज किया था, वो 18 जुलाई 2005 का माननीय सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय महाराष्ट्र शासन के तरफ से अलग-अलग समय पर जो ध्वनि प्रदूषण के क्षेत्र में जो शासन निर्णय जारी किए गए हैं, वो और नाशिक  शहर पुलिस आयुक्तालय की विशेष शाखा ने जो गोपनीय सबमिट किया है, इन पांचों चीजों को ध्यान में रखते हुए पुलिस आयुक्त ने ऐसा आदेश पारित किया है कि जो मुस्लिम समाज का कस्टमरी राइट है अजान  पढ़ने का उसको रिकॉग्नाइज  किया गया है और इसके अंतर्गत जो सुबह के 5:00 बजे का आजान है, दोपहर के 1:15 बजे का शाम के साढ़े 5.25 और साढ़े 6:00 बजे का और रात के साढ़े 8:00 बजे का, ऐसे पांच अजान के समय में 15 मिनट पहले और 15 मिनट बाद और मस्जिद के 100 मीटर के अंतर्गत कोई भी भजन, कीर्तन या दूसरे वाद्य बजाने का या फिर हनुमान चालीसा वगैरह का पाठ करने का

अधिकार नहीं है। इसके पीछे उद्देश्य ये है कि किसी भी व्यक्ति के अधिकार वहाँ समाप्त होते हैं, जहाँ दूसरे व्यक्ति के अधिकार शुरू होते हैं और भारत के संविधान के अंतर्गत और जो समाज के प्रति जवाबदेही  है इसकी हम शपथ लेते हैं और उसके तहत सामाजिक सुव्यवस्था को बरकरार रखने के लिए यह आदेश पारित किया गया है।  

हमें इस मामले में कई खबरें मिलीं। 18 अप्रैल 2022 की इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, “नाशिक  पुलिस आयुक्त दीपक पांडे ने एक निर्देश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि नाशिक  पुलिस आयुक्तालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाली किसी भी मस्जिद के 100 मीटर के दायरे में अज़ान के पहले और बाद के 15 मिनट के दौरान किसी को भी लाउडस्पीकर पर भजन या अन्य गाने बजाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह आदेश महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) द्वारा मस्जिदों में लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल के खिलाफ आह्वान तथा राज्य सरकार द्वारा 3 मई तक उपकरण नहीं हटाए जाने पर मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करने की धमकी के मद्देनजर आया है।”

इसके बाद हमें  दीपक पांडे के तबादले को लेकर भी कई खबरें मिलीं। हालांकि,  इसे रूटीन तबादला बताया गया पर कई न्यूज रिपोर्ट्स ने इस तबादले को उनके इस आदेश से जोड़ते हुए पेश किया।

इसके बाद हमें 28 अप्रैल 2022 की आज तक की एक खबर मिली। जिसके अनुसार, “नाशिक  पुलिस कमिश्नर जयंत नायकनवरे ने पूर्व कमिश्नर के लाउडस्पीकर को लेकर जारी आदेश को वापस ले लिया है. दरअसल, पूर्व कमिश्नर दीपक पांडेय ने नासिक में मस्जिदों के 100 मीटर के दायरे में अजान से 15 मिनट पहले और बाद में लाउडस्पीकर पर कोई भी धार्मिक भजन और गाने न बजाने का आदेश दिया था. कई हिंदू संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई थी.”

ज्यादा पुष्टि के लिए हमने नाशिक स्थित पत्रकार संतोष बाटव से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि यह वीडियो 2022 का है और यह फैसला 10 दिन के भीतर ही वापस ले लिया गया था।

वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले फेसबुक यूजर  Raj Patel ने अपनी पर्सनल जानकारी को हाइड कर रखा है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा भ्रामक है। नाशिक पुलिस ने इस दावे को गलत बताया है। पूरा मामला 2022 का था, जब एक गुट द्वारा धमकी दिए जाने के बाद यह फैसला लिया गया था। हालांकि, यह फैसला 10 दिन के भीतर ही वापस ले लिया गया था।

False
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