मतदाता सूची में नाम नहीं होने के बावजूद "चैलेंज वोट" के जरिए मतदान का दावा फेक और मनगढ़ंत है। मतदान करने के लिए केवल मतदाता पहचान पत्र का ही होना अनिवार्य नहीं है, बल्कि इसके लिए मतदाता सूची में नाम होना भी जरूरी है। साथ ही "टेंडर वोट" के संदर्भ में पुनर्मतदान को लेकर किया गया दावा फेक है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। लोकसभा चुनाव 24 के तहत कुल 102 लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान हुआ और दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को होना है। इस बीच सोशल मीडिया पर वोटिंग से संबंधित एक पोस्ट को शेयर कर कुछ दावे किए गए हैं, जिसमें प्रमुख दावा “चैलेंज वोट” का है। वायरल पोस्ट में दावा किया गया है कि अगर किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो वह अपने आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र को दिखाते हुए धारा 49पी के तहत “चैलेंज वोट” के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मतदान कर सकता है। साथ ही वायरल पोस्ट में “टेंडर वोट” और किसी मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान का भी जिक्र है।
हमने अपनी जांच में वायरल दावे को फेक पाया। अगर किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो वह किसी भी सूरत में मतदान नहीं कर सकता है। साथ ही अगर किसी व्यक्ति के पास मतदाता पहचान पत्र है तो भी यह जरूरी नहीं है कि वह मतदान कर सकता है। मतदान के लिए मतदाता पहचान पत्र के साथ संबंधित वोटर का नाम मतदाता सूची में होना अनिवार्य है। वहीं “टेंडर वोट” को लेकर पुनर्मतदान से संबंधित दावा भी फेक है।
सोशल मीडिया यूजर ‘Shalini Shrivastava’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “महत्वपूर्ण सूचना 📢
जब आप मतदान केंद्र पर पहुंचें और पाएं कि आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो झिझकें नहीं!! बस अपना आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाएं और धारा 49पी के तहत “चुनौती वोट” मांगें और अपना वोट डालने पर जोर दें।
यदि आपको लगे कि किसी ने आपका वोट पहले ही डाल दिया है तो “टेंडर वोट” मांगें और अपना वोट अवश्य डालें। बस दूर मत जाओ.
यदि किसी मतदान केंद्र पर 14% से अधिक टेंडर वोट दर्ज किए जाते हैं, तो ऐसे मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान कराया जाएगा।
कृपया इस अत्यंत महत्वपूर्ण संदेश को अपने सभी दोस्तों के साथ साझा करें, क्योंकि सभी को अपने मतदान के अधिकार के बारे में पता होना चाहिए।”
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इस पोस्ट को समान दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल पोस्ट में तीन दावे किए गए हैं।
पहला दावा यह है, “जब आप मतदान केंद्र पर पहुंचें और पाएं कि आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो झिझकें नहीं!! बस अपना आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाएं और धारा 49पी के तहत “चुनौती वोट” मांगें और अपना वोट डालने पर जोर दें।”
सच यह है कि अगर किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो वह मतदान के दिन किसी भी कीमत पर वोट नहीं डाल सकता। कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 की धारा 35(2) के तहत मतदान करने वाले प्रत्येक मतदाता का नाम मतदाता सूची में होना चाहिए।
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, मतदाता सूची में नाम होना मतदान करने की अनिवार्य शर्त है, जिसके साथ चुनाव आयोग की तरफ से उल्लिखित पहचान पत्रों में से कोई एक आपके पास होना चाहिए।
वायरल दावे में धारा 49 पी के तहत “चुनौती वोट” के अधिकार का जिक्र है। हकीकत में इसके बाद हमने कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 की धारा 49पी में टेंडर वोट के बारे में जानकारी दी गई है न कि “चैलेंज वोट” के बारे में।
यानी यह दावा भी गलत और निराधार है।
“यदि आपको लगे कि किसी ने आपका वोट पहले ही डाल दिया है तो “टेंडर वोट” मांगें और अपना वोट अवश्य डालें। बस दूर मत जाओ।”
कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 की धारा 49पी में टेंडर वोट से संबंधित प्रावधान है और इस नियम के मुताबिक, अगर आपका वोट किसी ने पहले ही डाल दिया है तो आप मतदान केंद्र पर मौजूद पीठासीन अधिकारी से इसकी शिकायत कर सकते हैं, जिसके बाद आपको अपनी पहचान से संबंधित दस्तावेज दिखाने होंगे। पीठासीन अधिकारी के संतुष्ट होने की स्थिति में आपको मतदान करने का अधिकार होगा और मतदाता टेंडर बैलेट पेपर के जरिए अपना “टेंडर वोट” डाल सकेगा। यह मतदान बैलेट पेपर के जरिए होता है, न कि ईवीएम के जरिए।
“यदि किसी मतदान केंद्र पर 14% से अधिक टेंडर वोट दर्ज किए जाते हैं, तो ऐसे मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान कराया जाएगा।”
कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 की धारा 49पी में टेंडर वोट से संबंधित ऐसा कोई नियम नहीं है। वास्तव में द रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1951 के सेक्शन के 58 में पुनर्मतदान का प्रावधान है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 की धारा 49पी के तहत टेंडर वोट का प्रावधान है और इसके तहत डाले गए वोट की सामान्य तौर पर गिनती नहीं होती है। हालांकि, जब जीत और हार के बीच का अंतर बेहद मामूली होता है, तब इन मतों की गिनती अहम हो जाती है।
वर्ष 2008 में जब राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के सी पी जोशी बीजेपी के उम्मीदवार कल्याण सिंह चौहान से एक मत के अंतर से हार गए थे, तब उन्होंने हाई कोर्ट में यह दावा किया था कि कुछ मतों को टेंडर मत के जरिए डाला गया गया था। कोर्ट ने इसके बाद दोबारा गिनती का आदेश दिया और दोनों प्रत्याशियों के मत बराबर हो गए, जिसके बाद ड्रॉ के जरिए चौहान को विजेता घोषित किया गया।
वायरल पोस्ट को लेकर हमने केंद्रीय निर्वाचन आयोग के अधिकारी से संपर्क किया। उन्होंने “चैलेंज वोट” के जरिए मतदान करने के दावे को फेक बताते हुए कहा कि इस बारे में चुनाव आयोग की तरफ से स्पष्टीकरण जारी किया जा चुका है। उन्होंने आयोग की तरफ से जारी स्पष्टीकरण (आर्काइव लिंक) को साझा किया, जिसमें इसे फेक बताया गया है।
अलग-अलग चुनावों के समय दावा अलग-अलग व मनगढ़ंत प्रावधानों के हवाले से सोशल मीडिया पर वायरल होता रहा है। इससे पहले भी यह दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है। वायरल वीडयो को शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब छह हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं।
चुनाव आयोग (आर्काइव लिंक) के मुताबिक, कुल सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 की शुरुआत 19 अप्रैल को पहले चरण के मतदान से हुई, जिसके तहत कुल 102 सीटों पर वोट डाले गए। अगले चरण का मतदान 26 अप्रैल को होगा, जिसके तहत कुल 89 सीटों पर वोटिंग होगी।
निष्कर्ष: मतदाता सूची में नाम नहीं होने के बावजूद “चैलेंज वोट” के जरिए मतदान का दावा फेक और मनगढ़ंत है। मतदान करने के लिए केवल मतदाता पहचान पत्र का ही होना अनिवार्य नहीं है, बल्कि इसके लिए मतदाता सूची में नाम होना भी जरूरी है। साथ ही “टेंडर वोट” के संदर्भ में पुनर्मतदान को लेकर किया गया दावा फेक है।
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