उत्तराखंड के हल्द्वानी में 20 साल पहले मुस्लिमों की आबादी के 1000 से भी कम होने और अब इसके बढ़कर एक लाख से अधिक होने का दावा गलत है। 2021 की जनगणना अभी तक नहीं हुई है, इसलिए हालिया आबादी के आंकड़ें उपलब्ध नहीं है। वहीं 2001 और 2011 की जनगणना के मुताबिक, हल्द्वानी में मुस्लिमों की आबादी क्रमश: 67,559 और 80,436 थी।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुई हिंसा के बाद सोशल मीडिया पर इससे संबंधित एक तस्वीर को शेयर किया जा रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि 20 साल पहले हल्द्वानी में मुस्लिमों की आबादी करीब 1000 से भी कम थी, जो अब बढ़कर एक लाख से भी अधिक हो गई है। कई अन्य यूजर्स ने इस आंकड़े को अलग संदर्भ में शेयर करते हुए दावा किया है कि हल्द्वानी में 20 साल पहले मुस्लिमों की आबादी करीब एक फीसदी थी, जो अब बढ़कर 20 फीसदी हो गई है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। 2001 में हुई जनगणना के मुताबिक, हल्द्वानी में मुस्लिमों की आबादी करीब 80,000 थी, न कि 1000, जैसा कि वायरल पोस्ट में दावा किया गया है। दूसरा 2021 की जनगणना अभी तक नहीं हुई है, इसलिए वायरल पोस्ट में हल्द्वानी में मुस्लिमों की हालिया आबादी के जिस आंकड़े को पेश किया जा रहा है, वह मनगढ़ंत और काल्पनिक है।
फेसबुक यूजर ‘नमो नमो’ ने वायरल क्लिप (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “If you ask why NRC is mandatory then the answer is #Haldwani . 20 years back, less than 1000 Muslim population was in Haldwani Tehsil. Today they r more than 1 Lakh. Most are Bangladeshi & Rohingya who were settled by PFI & so called secular parties. Now they r burning Haldwani.”
(“अगर आप पूछें कि एनआरसी अनिवार्य क्यों है तो जवाब है #हल्द्वानी। 20 साल पहले हलद्वानी तहसील में 1000 से भी कम मुस्लिम आबादी थी. आज उनकी संख्या 1 लाख से अधिक है। अधिकांश बांग्लादेशी और रोहिंग्या हैं जिन्हें पीएफआई और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों ने बसाया था। अब वे हलद्वानी को जला रहे हैं।”)
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इसे समान और मिलते-जुलते संदर्भ में शेयर किया है।
वायरल पोस्ट में दावा किया गया है कि करीब 20 साल पहले हल्द्वानी में मुस्लिमों की आबादी 1000 से भी कम थी। करीब 20 साल पहले के आंकड़ों के लिए हमने 2001 की जनगणना के आंकड़ों को चेक किया। 2001 की जनगणना के मुताबिक, हल्द्वानी की कुल आबादी 497,869 थी, जिसमें मुस्लिमों की संख्या कुल 80,436 (43,133 पुरुष और 37303 महिला) थी।
अगर इसे प्रतिशत में देखें, 2001 में हल्द्वानी की कुल आबादी में मुस्लिमों की आबादी करीब 16 फीसदी थी।
इसके बाद हमने 2011 के आंकड़ों को चेक किया। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, हल्द्वानी की कुल आबादी (2001 के 497,869 के मुकाबले) कम होकर 364,129 हो गई।
वहीं, कुल आबादी में मुस्लिमों की संख्या 67,559 (पुरुषों की 35,541 और महिलाओं की 32018) थी। अगर इसे प्रतिशत में देखें तो करीब 18 फीसदी से अधिक है।
हमारी जांच से स्पष्ट है कि 2001 में हल्द्वानी में मुस्लिम आबादी कुल आबादी के मुकाबले 16 फीसदी थी। संख्या में देखें तो कुल 497,869 के मुकाबले मुस्लिमों की आबादी 80,436 थी।
वहीं, इस साल यहां हिंदुओं की कुल आबादी 398,829 (पुरुष 210830 और महिला 187999) थी।
2011 में मुस्लिमों की कुल आबादी 67,559 थी, जबकि कुल जनसंख्या 364129 थी।
हमारी जांच से स्पष्ट है कि हल्द्वानी में मुस्लिमों की आबादी को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल पोस्ट में किए गए दावों को लेकर हमने नैनीताल स्थित हाई कोर्ट के एडवोकेट और स्थानीय स्तर पर डेमोग्राफिक बदलावों के बारे में आवाज उठाने वाले नितिन काकी से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया, “यह दावा पूरी तरह से गलत है कि हल्द्वानी में 2001 में मुस्लिमों की आबादी 1000 से भी कम थी।” उन्होंने कहा कि 2021 की जनगणना अभी तक हुई नहीं है, इसलिए हालिया डेमोग्राफी को लेकर किसी तरह के आंकड़ों के बारे में अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2021 की जनगणना 2024-24 तक टाल दी गई है। यह जनगणना कोविड-19 की वजह से टाल दी गई थी।
गौरतलब है कि हल्द्वानी हिंसा में अब तक 30 लोगों को हिरासत में लिया गया है। हिंसा की शुरुआत अतिक्रमण हटाए जाने के अभियान के दौरान हुई थी, जिसमें छह लोगों की मृत्यु हो गई थी।
निष्कर्ष: उत्तराखंड के हल्द्वानी में 20 साल पहले मुस्लिमों की आबादी के 1000 से भी कम होने और अब इसके बढ़कर एक लाख से अधिक होने का दावा गलत है। 2021 की जनगणना अभी तक नहीं हुई है, इसलिए हालिया आबादी के आंकड़ें उपलब्ध नहीं है। वहीं 2001 और 2011 की जनगणना के मुताबिक, हल्द्वानी में मुस्लिमों की आबादी क्रमश: 67,559 और 80,436 थी।
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