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Fact Check: मणिपुर में महिला के खिलाफ हिंसा का वीडियो फर्जी सांप्रदायिक दावे के साथ हो रहा वायरल

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल किया जा रहा दावा फर्जी है। जांच में हमने पाया कि वीडियो में वर्दी में दिख रहे लोग मणिपुर की संस्था यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ़्रंट (एमपीए) के उग्रवादी थे। इसके अलावा वीडियो में हिंसा का शिकार महिला कथित तौर पर ड्रग डीलर थी, और इसी बुनियाद पर वह हिंसा का शिकार हुई थी। वीडियो को फर्जी सांप्रदायिक दावे के साथ फैलाया जा रहा है।

  • By: Umam Noor
  • Published: Jul 29, 2024 at 07:03 PM
  • Updated: Jul 30, 2024 at 12:38 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ वर्दीधारी लोग एक महिला को बेरहमी से पीटते नजर आ रहे हैं। वीडियो को शेयर करते हुए कई यूजर्स दावा कर रहे हैं कि मणिपुर में एक मुस्लिम महिला पर भारतीय पुलिस द्वारा अत्याचार किया जा रहा है, जबकि अन्य यूजर्स वीडियो के साथ दावा कर रहे हैं कि ये लोग गोरक्षक हैं, जिन्होंने महिला पर हमला किया, क्योंकि वह मुस्लिम है।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल किया जा रहा दावा फर्जी है। जांच में हमने पाया कि वीडियो में वर्दी में दिख रहे लोग मणिपुर की संस्था यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ़्रंट (एमपीए) के उग्रवादी थे। इसके अलावा वीडियो में हिंसा का शिकार महिला कथित तौर पर ड्रग डीलर थी, और इसी बुनियाद पर वह हिंसा का शिकार हुई थी। वीडियो को फर्जी सांप्रदायिक दावे के साथ फैलाया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

एक्स यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, ‘भारत का घिनौना चेहरा, भारत के मणिपुर राज्य में सैनिकों द्वारा एक घूंघट वाली मुस्लिम महिला को बेरहमी से पीटा जा रहा है।’

वहीं, एक दूसरे यूजर ने इसी वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है ,’भारत के मणिपुर राज्य में गौ-सेवकों द्वारा एक मुस्लिम महिला को बेरहमी से पीट रहा है… इस विडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर रिट्वीट करें।”

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने गूगल लेंस के जरिये वायरल वीडियो के कीफ़्रेम निकाले। सर्च में हमें यह वायरल वीडियो एक फेसबुक पेज पर अपलोड किया हुआ मिला। यहां वीडियो के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, यह एक ड्रग डीलर की पिटाई का वीडियो है।

इसी पोस्ट में हमें बेहतर क्वालिटी में अपलोड किए गए वायरल वीडियो का एक और फ्रेम मिला। यहां बेरहमी से पीट रही महिलाओं की वर्दी पर ‘एमपीए’ लिखा हुआ था और उसमे लाल रंग का बैज भी नजर आ रहा था।

अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए हमने ‘एमपीए मणिपुर’ कीवर्ड के लिए ओपन सर्च किया। सर्च में हमें इसी नाम से एक फेसबुक पेज मिला। इस पेज पर हमें कई वीडियो और तस्वीरें मिलीं, जिनमें हूबहू वही वर्दी देखी जा सकती है, जैसा कि वायरल वीडियो में नजर आ रही है। यहां कई वर्दी पर एमपीए और उसी वायरल वीडियो वाले बैज को देखा जा सकता है।

अब तक की पड़ताल से यह साफ हो गया कि वायरल वीडियो में एमपीए के उग्रवादी थे। हमने एमपीए- यूएनएलएफ के बारे में और जानकारी हासिल करने की कोशिश की। साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल पर दी गई जानकारी के मुताबिक, ”यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) मणिपुर राज्य का सबसे पुराना मैती उग्रवादी समूह है, जिसकी स्थापना 24 नवंबर 1964 को अरिमबम सुमरिंदर सिंह के नेतृत्व में स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए की गई थी। यूएनएलएफ ने ही सशस्त्र विंग मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए) का गठन किया था।”

हमने वायरल पोस्ट के साथ किए जा रहे सांप्रदायिक दावे की आगे जांच की और सर्च करने पर हमें फेसबुक पेज पर अपलोड किए गए वीडियो में दिख रही महिला की तस्वीर के साथ कई अन्य तस्वीरें मिलीं। यहां दी गई जानकारी के मुताबिक, ये महिला एक ड्रग डीलर है।

जांच को आगे बढ़ाते हुए हमने मणिपुर पुलिस के आधिकारिक एक्स-हैंडल को खंगाला। सर्च में हमें इसी वायरल वीडियो पर मणिपुर पुलिस का रिप्लाई पोस्ट मिला, जिसमें इस वीडियो के साथ किए जा रहे सांप्रदायिक दावे को फर्जी बताया गया है। मणिपुर पुलिस ने पोस्ट करते हुए लिखा, ‘मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल होने के कथित आरोप में शरारती तत्वों ने महिला की पिटाई की थी। पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया है। इसमें कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है।”

वायरल वीडियो के बारे में पुष्टि के लिए हमने मणिपुर में एएनआई रिपोर्टर से संपर्क किया और उन्होंने हमें बताया, “वायरल वीडियो में दिख रही वर्दीधारी महिलाएं यूएनएलएफ की एमपीए विंग से जुड़ी हैं, वहीं इस महिला को ड्रग डीलिंग के आरोप में पीटा गया था।”

अब बारी थी फर्जी पोस्ट शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि यूजर मेरठ का है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल किया जा रहा दावा फर्जी है। जांच में हमने पाया कि वीडियो में वर्दी में दिख रहे लोग मणिपुर की संस्था यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ़्रंट (एमपीए) के उग्रवादी थे। इसके अलावा वीडियो में हिंसा का शिकार महिला कथित तौर पर ड्रग डीलर थी, और इसी बुनियाद पर वह हिंसा का शिकार हुई थी। वीडियो को फर्जी सांप्रदायिक दावे के साथ फैलाया जा रहा है।

  • Claim Review : ये लोग गोरक्षक हैं, जिन्होंने महिला पर हमला किया, क्योंकि वह मुस्लिम है।
  • Claimed By : FB User-Shan Mohmmad Mohmmad
  • Fact Check : झूठ
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