वीडियो के साथ किया गया दावा सांप्रदायिक और झूठा साबित हुआ।
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया में दो मिनट तेरह सेकंड का एक वीडियो वायरल किया जा रहा है। इस वीडियो में पुलिस को एक कैफे में छापा मारते हुए देखा जा सकता है। इसके अलावा कई युवक-युवतियों को भी देखा जा सकता है। यह वीडियो पहले भी कई बार अलग-अलग शहरों के नाम से वायरल हो चुका है।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। पता चला कि वायरल वीडियो यूपी के आगरा का पुराना वीडियो है। वीडियो के साथ किया गया दावा सांप्रदायिक और झूठा साबित हुआ।
फेसबुक यूजर Sunil Lucky Phagwara ने 27 मई 2024 को एक वीडियो पोस्ट किया। इसके साथ लिखा, “हुक्का बार में छापा 15 हिंदू लड़कियां 15 शांतिप्रिय लव जिहादी लड़के सब कुछ चल रहा था तो सभी पापा अपनी अपनी परियों पर निगाह रखें।”
फैक्ट चेक के उद्देश्य से पोस्ट के कंटेंट को यहां हूबहू लिखा गया है। इसे दूसरे यूजर्स भी अभी का मानकर वायरल कर रहे हैं। पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज एक बार पहले भी वायरल वीडियो की जांच कर चुका है। इसकी सच्चाई जानने के लिए इसके कीफ्रेम्स को गूगल लेंस के जरिए सर्च किया गया। हमें यूपीतक नाम की एक वेबसाइट पर इससे जुड़ी खबर मिली। इस खबर को 12 अगस्त 2022 को पब्लिश किया गया था। इसमें बताया गया कि आगरा के हरिपर्वत थाने में तैनात तीनों पुलिसकर्मियों ने एक कैफे के अंदर रेड मारकर युवक-युवतियों की आपत्तिनजक हालत में वीडियो शूट कर लिया। जिसके बाद यह वीडियो वायरल हो गया। बाद में बवाल बढ़ने पर तीनों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। संबंधित खबर यहां पढ़ें।
वीडियो से जुड़ी खबर हमें दैनिक जागरण अखबार में भी मिली। दैनिक जागरण, आगरा के 11 अगस्त 2022 के अखबार में बताया गया कि इंटरनेट मीडिया में छापे का वीडियो वायरल होने के बाद आगरा पुलिस पर सवालिया निशान लग गया। संबंधित खबर नीचे पढ़ी जा सकती है।
विश्वास न्यूज से पिछली पड़ताल के दौरान दैनिक जागरण, आगरा के पत्रकार प्रतीक कुमार से संपर्क किया था। उन्होंने बताया था कि वायरल वीडियो आगरा के एक कैफे का है। यहां पुलिस ने छापेमारी करके यह वीडियो बना लिया था। बाद में इन्हें सस्पेंड कर दिया गया। इस घटना में कोई भी सांप्रदायिक एंगल नहीं था।
पड़ताल के अंत में फेसबुक यूजर Sentimental Lucky Phagwara के अकाउंट की जांच की गई। पता चला कि यूजर फगवाड़ा का रहने वाला है।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज की पड़ताल में पता चला कि आगरा के कैफे में छापे के पुराने वीडियो को सांप्रदायिक और झूठे दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। यह वीडियो पहले भी कई शहरों के नाम से वायरल हो चुका है।
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