विश्वास न्यूज की पड़ताल में इंग्लैंड के बर्मिंघम में मंदिर पर हमले के नाम से वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत साबित हुआ। वायरल वीडियो सांप्रदायिक घटना का नहीं है, बल्कि हिजाब विरोधी आंदोलन के दौरान का है। जिसे अब गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। कुछ दिनों पहले ब्रिटेन के लेस्टर शहर में एशिया कप टूर्नामेंट के बाद हिंसा भड़क गई थी। इसी से जोड़कर सोशल मीडिया पर एक वीडियो दिनों तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में पुलिसकर्मी एक शख्स को गिरफ्तार कर लेकर जाते हुए नजर आ रहे हैं। इसी बीच गुस्साई भीड़ आकर उसे पीटने लगती है। इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि इस शख्स का नाम रिजवान है और यह वही शख्स है, जिसने लंदन में मंदिर पर हमला किया था। गुस्साए लोगों ने इसे पुलिस की मौजूदगी में पीट दिया।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत साबित हुआ। वायरल वीडियो हिजाब विरोधी आंदोलन के दौरान का है। जिसे अब सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।
ट्विटर यूजर माही यादव ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “इंग्लैंड के बर्मिंघम में मंदिर पर हमला करने वाले मोहमद रिजवान को पुलिस थाने से अदालत लेकर जा रही थी ये बात वहां रहने वाले हिन्दुओं को पता चल गयी , फिर क्या हुआ —- आप खुद ही देख लो॥ हिन्दू जाग रहा है फिर चाहे किसी भी देश मे हो !।”
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।
वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने वीडियो के कई कीफ्रेम्स निकाले और उन्हें गूगल रिवर्स इमेज की सहायता से सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल वीडियो से जुड़ी एक रिपोर्ट News.com.au की वेबसाइट पर मिली। रिपोर्ट को 28 सितंबर 2022 को प्रकाशित किया गया था। रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, यह वीडियो हिजाब प्रदर्शन के दौरान का है।
हमें एक अन्य रिपोर्ट एपी न्यूज की वेबसाइट पर 26 सितंबर 2022 को प्रकाशित मिली। खबर के अनुसार, कुछ लोग लंदन में ईरान एम्बेसी के सामने हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन कुछ देर बाद प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले किया। जिसके बाद प्रदर्शन को काबू में लाने के लिए दंगा नियंत्रण बल को बुलाना पड़ा था और उन्होंने 12 लोगों को गिरफ्तार किया था।
पड़ताल के दौरान हमें इस प्रदर्शन से जुड़ा पूरा वीडियो डेली मेल के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर अपलोड हुआ मिला। वीडियो को 26 सितंबर 2022 को शेयर किया गया था। वीडियो में 3 मिनट 38 सेकेंड पर वायरल वीडियो वाले हिस्से को देखा जा सकता है। कैप्शन में दी गई जानकारी के अनुसार, वीडियो लंदन के किलबर्न जिले में हिजाब के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन का है।
अधिक जानकारी के लिए हमने लंदन की पत्रकार Naomi Canton से संपर्क किया। हमने वायरल वीडियो को उनके साथ शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है और न ही यह वीडियो बर्मिंघम का है। यह वीडियो हिजाब प्रदर्शन के दौरान का है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान में महिलाएं लगातार कई साल से इस्लामिक कट्टरवाद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। इसी बीच 22 वर्षीय महसा अमीनी को हिजाब के नियमों को तोड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उनकी पुलिस हिरासत में ही मौत हो गई। जिसके बाद से ईरान सहित कई देशों में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है।
वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाली यूजर माही यादव की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। यूजर के 2,709 फ़ॉलोअर्स हैं। माही यादव जनवरी 2022 से ट्विटर पर सक्रिय हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में इंग्लैंड के बर्मिंघम में मंदिर पर हमले के नाम से वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत साबित हुआ। वायरल वीडियो सांप्रदायिक घटना का नहीं है, बल्कि हिजाब विरोधी आंदोलन के दौरान का है। जिसे अब गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।
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