Fact Check: साइनबोर्ड पर हिंदी अक्षरों पर कालिख पोतने वाला यह वीडियो पुराना है, इसका किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है

विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। हमें पता चला कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा झूठा है। पुराने वीडियो को अब कुछ लोग किसानों के नाम से वायरल कर रहे हैं।

नई दिल्ली (Vishvas News)। दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें एक व्यक्ति को एक साइनबोर्ड पर लिखे हिंदी के अक्षरों पर कालिख पोतते हुए देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह किसान आंदोलन से जुड़ा वीडियो है।

विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। हमें पता चला कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा झूठा है। पुराने वीडियो को अब कुछ लोग किसानों के नाम से वायरल कर रहे हैं।

क्या हो रहा है वायरल

The Sahebenator नाम के एक फेसबुक पेज ने 10 जनवरी को इस वीडियो को अपलोड करते हुए लिखा : ‘#रिलायंस_जियो के टॉवर तोड़ने के बाद
अगला काम “हिंदीनहीचलेगी” 🤐क्या ये #किसान है ?🙄 कोई माई का लाल #ANGRY_REACTION NAHI DEGA।’

फेसबुक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन देखें।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने सबसे पहले इस वीडियो के InVID टूल की मदद से कीफ्रेम्स निकाले और फिर उन्हें गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। हमें यस वीडियो mota singh naiwala नाम के YouTube चैनल पर फरवरी 2019 को अपलोडेड मिला। साफ़ है कि वीडियो पुराना है।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने इस वीडियो को ठीक से देखा। वायरल वीडियो में नॉर्थ जोन कल्चर सेंटर लिखा देखा जा सकता है। वीडियो और घटना के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए हमने नॉर्थ जोन कल्चर सेंटर से संपर्क साधा। नॉर्थ जोन कल्चर सेंटर के निदेशक प्रोफेसर वर्धन ने हमसे बात करते हुए कहा, “यह घटना लगभग दो साल पहले की है। एक प्रोटेस्ट के दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा हिंदी अक्षरों को काला कर दिया गया था। यह घटना पुरानी है, उसका किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं था।”

अंत में हमने फर्जी पोस्ट करने वाले पेज की सोशल स्कैनिंग की। हमें पता चला कि फेसबुक पेज खबर इंडिया दिल्ली से संचालित होता है। इसे चार लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। पेज को 27 जनवरी 2019 को बनाया गया।

इसी तरह का एक और क्लेम सोशल मीडिया पर पिछले हफ्ते वायरल हुआ था, जहाँ कुछ कालिख पुते रोड साइनबोर्ड्स को देखा जा सकता था और साथ में इनके किसान आंदोलन से जुड़े होने का दावा किया गया था। उस पूरी पड़ताल को यहाँ पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। हमें पता चला कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा झूठा है। पुराने वीडियो को अब कुछ लोग किसानों के नाम से वायरल कर रहे हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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