Fact Check: इंसानों जैसी दिख रही मछलियां किसी दुर्लभ प्रजाति की नहीं, AI क्रिएटेड सिंथेटिक मीडिया है

इंसानी शक्ल की मछलियों के पाए जाने के दावे के साथ वायरल वीडियो में नजर आ रही मछलियां किसी दुर्लभ प्रजाति की मछली नहीं, बल्कि एआई की मदद से क्रिएट किया गया सिंथेटिक मीडिया है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि जिस झील से नील नदी निकलती है, वहां पर मछली की एक प्रजाति मिली है, जिसका चेहरा इंसानों से मिलता है। वीडियो में नजर आ रही मछली का चेहरा इंसानी चेहरे से मिलता-जुलता नजर आ रहा है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। वायरल वीडियो में इंसानी शक्ल में नजर आ रही मछलियां किसी दुर्लभ प्रजाति की मछली नहीं हैं, बल्कि एआई की मदद से तैयार किया गया सिथेंटिक मीडिया है। 

क्या है वायरल?

विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर कई यूजर्स ने इस वीडियो को भेज कर उसकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है।

विश्वास न्यूज के टिपलाइन पर भेजा गया अनुरोध।

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल वीडियो के साथ लिखा गया है, “करांजी के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में, समसारा झील है, जो नील नदी के उष्णकटिबंधीय स्रोतों की झीलों में से एक है। हाल ही में यहां पर इंसानों के चेहरे जैसी दिखने वाली मछलियों की प्रजाति की खोज की गई है, जिसे देखकर वैज्ञानिक विस्मित हैं… अविश्वसनीय!!?”

पोस्ट में दी गई जानकारी के आधार पर की-वर्ड सर्च में पता चला कि करांजी झील कर्नाटक के मैसूर जिले में स्थित झील है। वायरल पोस्ट में इस झील को नील नदी का उद्गम बताया गया है, जो गलत है। कई स्रोतों के मुताबिक, नील नदी का उद्गम  विक्टोरिया झील है।

न्यूज सर्च में हमें ऐसी कोई विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें इस झील में इंसानी चेहरे वाली मछलियों की दुर्लभ प्रजाति को पाए जाने का जिक्र हो। 

वीडियो में दावा किया गया है कि मछली की इस प्रजाति का नाम होमो पिस्किस है। सर्च में हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें मछली की ऐसी किसी प्रजाति का जिक्र हो। इंटीग्रेटेड टैक्सोनॉमिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (आईटीईएस) पर प्रजातियों का विवरण मौजूद है। इस डेटाबेस में भी हमें मछली की ऐसी किसी प्रजाति का जिक्र नहीं मिला।

वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च करने पर यह वीडियो ‘Headtap Videos’ नामक यू-ट्यूब चैनल पर अपलोड किया हुआ मिला।

इस चैनल पर ऐसे कई अन्य वीडियो को अपलोड किया गया है। चैनल के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, यहां पर “वीडियो और ग्राफिक्स के साथ प्रयोग किया जाता है।” इन विजुअल के एआई से बने होने की संभावना को चेक करने के लिए हमने टूल की मदद ली।

hivemoderation.com पर हमने इस वीडियो में नजर आने वाली मछलियों की अलग-अलग तस्वीरों को चेक किया और इन सबके एआई से बने होने की संभावना करीब 90 फीसदी से अधिक आई।

हमारी जांच से स्पष्ट है कि वायरल वीडियो में इंसानी शक्ल में नजर आ रही मछलियां किसी दुर्लभ प्रजाति की नहीं, बल्कि एआई की मदद से बनाया गया सिंथेटिक मीडिया है। वायरल वीडियो को लेकर हमने एआई और मशीन लर्निंग पर काम करने वाले एक्सपर्ट अभिजीत पराशर से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि ये विजुअल क्रिएटेड हैं, जिन्हें बेहद आसानी से इन दिनों क्रिएट किया जा रहा है।

एआई से संबंधित अन्य फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को विश्वास न्यूज की वेबसाइट पर मौजूद एआई चेक सेक्शन में पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: इंसानी शक्ल की मछलियों के पाए जाने के दावे के साथ वायरल वीडियो में नजर आ रही मछलियां किसी दुर्लभ प्रजाति की मछली नहीं, बल्कि एआई की मदद से क्रिएट किया गया सिंथेटिक मीडिया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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