नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। कुछ दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के ममल्लापुरम में बीच की साफ सफाई की थी। इसके बाद से ही पीएम मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें चल पड़ीं। इसी कड़ी में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की पुरानी तस्वीरों को फेसबुक पर अपलोड करके दावा किया जा रहा है कि गंगा की ये तस्वीरें हाल की ही हैं। विश्वास टीम की जांच में यह दावा फर्जी निकला। जिस तस्वीरों को अब का बताकर वायरल किया जा रहा है, उसमें से एक तस्वीर वर्ष 2009 और दूसरी तस्वीर वर्ष 2016 की है।
फेसबुक पेज शुक्लागंज कांग्रेस कमेटी ने 15 अक्टूबर को वाराणसी की पुरानी तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा : मोदी जी की लोकसभा जिससे चुनकर वे देश के प्रधानमंत्री बने है , वहाँ के गंगा नदी के घाटों पर मोदी जी कब सफाई अभियान करने वाले है।
विश्वास न्यूज ने वायरल हो रही दोनों तस्वीरों को अलग अलग फैक्ट चेक करना शुरू किया।
पहली तस्वीर
इस तस्वीर में कुछ लोगों को गंगा में नहाते हुए देखा जा सकते है। तस्वीर में साफ तौर पर गंगा में कूड़ा-करकट फैला हुआ दिख रहा है। इसके अलावा कई सारी नावें भी घाट किनारे बंधी हैं। विश्वास न्यूज ने सबसे पहले पहली तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज में सर्च किया। ओरिजनल तस्वीर हमें GettyImages.in पर मिली। इस तस्वीर को एएफपी के फोटोग्रॉफर प्रकाश सिंह ने 5 अप्रैल 2009 को क्लिक किया था। पड़ताल में पता चला कि तस्वीर में दिख रहा घाट वाराणसी का सबसे फेमस घाट दशाश्वेघ है।
दूसरी तस्वीर
अब बारी थी दूसरी तस्वीर के बारे में सच जानने की। इसके लिए हमने गूगल रिवर्स इमेज टूल की मदद ली। हमें सबसे पुरानी तस्वीर डीएनए नाम की न्यूज वेबसाइट पर मिली। इसे यहां 15 फरवरी 2016 को अपलोड किया गया था। यह तस्वीर वाराणसी की पुरानी फोटो है। इस तस्वीर में गंगा के पार मर्णिकर्णिका घाट के सामने वाला हिस्सा देखा जा सकता है।
नमामि गंगे के संयोजक राजेश शुक्ला से संपर्क किया। राजेश शुक्ला हर दिन गंगा के घाटों की सफाई करते हैं। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दोनों तस्वीरें काफी पुरानी हैं। अभी बाढ़ के कारण सबकुछ मिट्टी में डूबा हुआ है। गंगा की स्थिति इतनी बुरी नहीं है, जितना तस्वीर में दिखाया जा रहा है।
अंत में हमने शुक्लागंज कांग्रेस कमेटी के फेसबुक अकाउंट की सोशल स्कैनिंग की। हमें पता लगा कि इस पेज को 2 जनवरी 2019 को बनाया गया था। इस पेज पर एक खास राजनीतिक दल से जुड़ा कंटेंट अपलोड किया जाता है।
निष्कर्ष : विश्वास टीम की जांच में पता चला कि वाराणसी के घाट की वायरल तस्वीरें पुरानी हैं। अभी बाढ़ के कारण वाराणसी के सभी घाट मिटटी में दबे हुए हैं।
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