Fact Check: उत्तराखंड के बग्वाल मेले के वीडियो को गलत एंगल देकर किया जा रहा शेयर

उत्तराखंड के चंपावत जिले में हर साल रक्षाबंधन के मौके पर होने वाले बग्वाल मेले के वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। इसकी परंपरा काफी पुरानी है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप वायरल हो रही है। इसमें एक मैदान में कई लोगों को झूमते-नाचते पत्थर फेंकते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो क्लिप को शेयर कर कुछ यूजर्स सरकार पर निशाना साधते हुए इसे पोस्ट कर रहे हैं।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो क्लिप उत्तराखंड में होने वाले बग्वाल मेले की है। इस मेले का आयोजन चंपावत जिले के बाराही धाम देवीधुरा में रक्षाबंधन के मौके पर होता है। यह काफी पुरानी परंपरा है।

क्या है वायरल पोस्ट

एक्स यूजर Payal Gupta (आर्काइव लिंक) ने 24 अगस्त को इस वीडियो क्लिप को शेयर करते हुए लिखा,

“पत्थर बाज़ों को कपड़ों से पहचान कर क्या अब इनके घर गिराने चाहिए या नहीं ????”

फेसबुक यूजर Md Esahak Biswas ने 25 अगस्त को इस वीडियो को सरकार पर निशाना साधते हुए शेयर (आर्काइव लिंक) किया है।

पड़ताल

वायरल वीडियो का कीफ्रेम निकालकर उसे गूगल लेंस से सर्च करने पर gaurangi dholgai यूट्यूब चैनल पर वायरल वीडियो मिला। इसे 20 अगस्त को शेयर करते हुए देवीधुरा के बग्वाल मेला का बताया गया।

https://www.youtube.com/watch?v=rXF_ff3kIuA

19 अगस्त को यूट्यूब चैनल ‘रैबार उत्तराखण्ड देवभूमि’ पर भी इस मेले का वीडियो दूसरे एंगल से अपलोड किया गया है। इसे भी बाराही मन्दिर देवीधुरा का बताया गया है।

13 अगस्त 2022 को अपलोड बग्वाल मेले का वीडियो Deepak Singh Mehra यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है।

12 अगस्त 2022 को दैनिक जागरण की वेबसाइट पर छपी खबर के अनुसार, इसका आयोजन चंपावत जिले के बाराही धाम देवीधुरा में किया गया। यहां बग्वाल युद्ध खेला गया। इसमें रणबांकुरों ने एक-दूसरे पर फल, फूल और पत्थरों से हमला किया। इस दौरान लोगों के पास खुद को बचाने के लिए ढाल भी मौजूद थी। बग्वाल मेला असाड़ी कौतिक के नाम से भी जाना जाता है। रक्षाबंधन के अवसर पर इसका आयोजन होता है। यह काफी पुरानी परंपरा है।

इस बारे में देहरादून में दैनिक जागरण के प्रभारी देवेंद्र सती से संपर्क किया। उनका कहना है कि यह वीडियो बग्वाल मेले का है। रक्षाबंधन के अवसर पर इसका आयोजन होता है। कई साल से यह परंपरा चली आ रही है। इसमें एक-दूसरे पर फलों से भी हमला किया जाता है। करीब 15 मिनट तक इस तरह से एक-दूसरे पर फूल, फल और पत्थर फेंके जाते हैं, लेकिन कोई भी शत्रुता के तौर पर हमला नहीं करता है।

वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाली एक्स यूजर की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। एक विचारधारा से प्रभावित यूजर के 4323 फॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: उत्तराखंड के चंपावत जिले में हर साल रक्षाबंधन के मौके पर होने वाले बग्वाल मेले के वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। इसकी परंपरा काफी पुरानी है।

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