Fact Check: उज्जैन में हाईकोर्ट के आदेश के तहत अंतिम संस्कार से किया गया था मना, भेदभाव का दावा गलत

उज्जैन के इंगोरिया गांव में बुजुर्ग के शव को अंतिम संस्कार के लिए जिस जगह ले जाया गया था, उस भूमि को गांव के एक शख्स ने निजी बताते हुए हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है। कोर्ट के आदेश के तहत वहां अंतिम संस्कार से रोका गया था। बाद में पास की जमीन पर अंतिम संस्कार कराया गया था।

Fact Check: उज्जैन में हाईकोर्ट के आदेश के तहत अंतिम संस्कार से किया गया था मना, भेदभाव का दावा गलत

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। एक शव के अंतिम संस्कार को लेकर सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें दिख रहे लोग खुद का इंगोरिया गांव का बता रहे हैं। उसमें श्मशान घाट में मौजूद लोगों को भी दिखाया गया है। इसके साथ में दावा किया ज रहा है कि सरकारी श्मशान घाट में दलित वर्ग के व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने से रोका गया है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल दावा भ्रामक है। उज्जैन के इंगोरिया गांव में जिस स्थान पर शव के अंतिम संस्कार से रोका गया, वहां हाईकोर्ट ने अगले आदेश तक अंतिम संस्कार पर रोक लगाई हुई है। इस मामले में भेदभाव को कोई एंगल नहीं है।

क्या है वायरल पोस्ट

फेसबुक यूजर Hari Narayan Shakya (आर्काइव लिंक) ने 25 अप्रैल को वीडियो को शेयर करते हुए लिखा,

“कहां मर गए कट्टर हिंदू,निकलो बिलो से समझाओ इन मुगलपूत जातिवादी कीड़ों को..!!
शासकीय श्मशान भूमि पर भी SC वर्ग के व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने से रोका जा रहा है..!!”

पड़ताल

वायरल दावे की जांच के लिए हमने कीवर्ड से इस बारे में गूगल पर सर्च किया। दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर 26 अप्रैल को इस बारे में खबर छपी है। इसमें वायरल वीडियो को भी देखा जा सकता है। खबर के अनुसार, “मामला उज्जैन के इंगारेरिया गांव का है। वहां बुजुर्ग का अंतिम संस्कार कराने आए परिवार को रोकने पर हंगामा हो गया। तहसीलदार जीएस परिहार का कहना है कि करीब एक वर्ष पहले सरकारी जमीन पर नया श्मशान बना है, लेकिन गांव के बने सिंह उस जमीन को अपनी बता रहे हैं। इस मामले में बने सिंह ने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है। बने सिंह ने बुजुर्ग के परिवार को हाईकोर्ट के स्टे के तहत अंतिम संस्कार से रोक दिया था। इसके बाद करीब एक घंटे तक अंतिम संस्कार नहीं हो सका। जिस भूमि पर श्मशान घाट के शेड बनाए गए हैं, कुछ लोग इस भूमि को निजी बताते हुए हाईकोर्ट चले गए। कोर्ट ने इस मामले में स्टे लगा रखा है। इंगोरिया पुलिस ने वहां पहुंचकर अंतिम संस्कार खाली पड़ी जमीन पर कराया। इंगोरिया के थाना प्रभारी चंद्रिका यादव ने कहा कि हाईकोर्ट के स्टे के कारण संस्कार शेड के नीचे हो पाया। उसे पास की खाली जमीन पर कराया गया है।”

उज्जैन एसपी के नाम से बने एक्स हैंडल से 25 अप्रैल को इस बारे में पोस्ट (आर्काइव लिंक) की गई है। इसमें लिखा है कि 20 अप्रैल को बाबूलाल चर्मकार की सल्फास खाने से मौत हो गई थी। पोस्टमॉर्टम के बाद शव को इंगोरिया के श्मशान लाया गया था। यहां पर हाईकोर्ट के अगले आदेश तक अंतिम संस्कार पर रोक लगी हुई है। उस मामले के वीडियो को वायरल कर अफवाह फैलाई जा रही है। वीडियो को गलत दावे के साथ वायरल करने वाले पर कार्रवाई की जाएगी। इस पोस्ट में मध्य प्रदेश पुलिस और राज्य के डीजीपी के एक्स हैंडल को टैग किया गया है।

इस बारे में हमने उज्जैन में नईदुनिया के क्राइम रिपोर्टर अमित से बात की। उनका कहना है कि इंगोरिया गांव में जिस स्थान पर अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जाया गया था, उस भूमि पर हाईकोर्ट का स्टे लगा हुआ है। बाद में पुलिस वहां पास में स्थित खाली भूमि पर अंतिम संस्कार करा दिया था। इस मामले में भेदभाव वाली कोई बात नहीं है।

वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। एक विचारधारा से प्रभावित यूजर के करीब 8600 फॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: उज्जैन के इंगोरिया गांव में बुजुर्ग के शव को अंतिम संस्कार के लिए जिस जगह ले जाया गया था, उस भूमि को गांव के एक शख्स ने निजी बताते हुए हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है। कोर्ट के आदेश के तहत वहां अंतिम संस्कार से रोका गया था। बाद में पास की जमीन पर अंतिम संस्कार कराया गया था।

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