Fact Check : नगालैंड में हुए विरोध प्रदर्शन का नहीं है ये वायरल वीडियो, गलत दावा हुआ वायरल

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को गलत पाया है। वीडियो विरोध प्रदर्शन का नहीं, बल्कि शॉर्ट-सर्किट की वजह से लगी आग के बाद है।

Fact Check : नगालैंड में हुए विरोध प्रदर्शन का नहीं है ये वायरल वीडियो, गलत दावा हुआ वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक उत्पात का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में कुछ घर जलते हुए नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो नगालैंड का है। सेना और उग्रवादियों के बीच हुई झड़प के बाद लोगों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को गलत पाया है। वीडियो विरोध प्रदर्शन का नहीं, बल्कि शॉर्ट-सर्किट की वजह से लगी आग के बाद का है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

ट्विटर यूजर News Network 24×7 ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है कि #नगालैंड के #तुएनसांग शहर में #सोम जिले में 6 कोयला खदान श्रमिकों सहित 13 नागरिकों की हत्या के विरोध में आगजनी ! #Nagaland

वायरल पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। पोस्‍ट के आर्काइव्‍ड वर्जन को यहां देखें। फेसबुक पर भी इस दावे को यूजर्स जमकर शेयर कर रहे हैं।

पड़ताल –

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल वीडियो से जुड़ा एक ट्वीट Lenio Krichena नामक एक पत्रकार के ट्विटर अकाउंट पर मिली। ट्वीट में दी गई जानकारी के मुताबिक, वायरल वीडियो 5 दिसंबर को शॉर्ट सर्किट के कारण तुएनसांग में लगी आग का है। आग से कुछ दुकानों को नुकसान पहुंचा था। वीडियो नगालैंड में विरोध प्रदर्शन से संबंधित नहीं है।

पड़ताल के दौरान हमें वायरल वीडियो से जुड़ा एक ट्वीट तुएनसांग पुलिस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर भी मिला। ट्वीट में दी गई जानकारी के मुताबिक, तुएनसांग जिले में किसी प्रकार का विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ है। वायरल वीडियो शॉर्ट-सर्किट के कारण लगी आग का है।

अधिक जानकारी के लिए हमने तुएनसांग के डिप्टी कमिश्नर अजीत कुमार से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा पूरी तरह से गलत है। जिले में सब कुछ पुलिस के कंट्रोल में है। किसी तरह का कोई प्रदर्शन यहां नहीं हो रहा है। यह एक आम घटना थी, जो कि शॉर्ट-सर्किट होने के कारण हो गई थी। जिसे अब गलत तरीके से शेयर किया जा रहा है। इस घटना का मोन में हुई घटना से किसी भी प्रकार का कोई संबंध नहीं है। हम फेक न्यूज फैलाने वाले लोगों पर कार्रवाई करेंगे।

पड़ताल के अंत में हमने इस पोस्ट को शेयर करने वाले ट्विटर यूजर News Network 24×7 की सोशल स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि यूजर के एक हजार से ज्यादा फॉलोअर्स है और ये अकाउंट जून 2020 से सक्रिय है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को गलत पाया है। वीडियो विरोध प्रदर्शन का नहीं, बल्कि शॉर्ट-सर्किट की वजह से लगी आग के बाद है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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