Fact Check: जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के परिवार को लेकर हो रहा दुष्प्रचार, झूठे हैं इस पोस्ट में किए गए सारे दावे

भारत के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को लेकर ये सारे दावे झूठे और मनगढ़ंत हैं। ये एक दुष्प्रचार है, जो अक्सर अलग-अलग शक्ल में सोशल मीडिया पर वायरल होता रहता है। जवाहरलाल नेहरू के निजी सहायक रहे एमओ मथाई की किताबों में इनका कोई जिक्र नहीं है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर भारत के 3 पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को लेकर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट में तीनों राजनेताओं के परिवार को लेकर अलग-अलग दावे किए गए हैं। विश्वास न्यूज को अपने वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर भी ये दावा फैक्ट चेक के लिए मिला है। विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में वायरल पोस्ट के सारे दावे झूठे निकले हैं। इस पोस्ट में जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को लेकर दुष्प्रचार किया गया है।

क्या हो रहा है वायरल

पंडित नेहरू, इंदिरा और राजीव गांधी के परिवार से जुड़ा ये दावा फेसबुक, वॉट्सऐप और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल है। विश्वास न्यूज़ को वॉट्सऐप चैटबॉट पर ये दावा फैक्ट चेक के लिए मिला है। बाबा बड़बोली नाम के एक फेसबुक पेज ने भी इस दावे को शेयर किया है। इस वायरल पोस्ट को सवाल-जवाब की शक्ल में तैयार किया गया है। इसमें इन तीन राजनेताओं से जुड़े कुल 10 सवाल हैं और कथित तौर पर उनके 10 जवाब भी हैं। वायरल पोस्ट के 10वें सवाल के जवाब में कहा जा रहा है कि पोस्ट में मौजूद सारे दावे जवाहरलाल नेहरू के निजी सहायक एमओ मथाई की जीवनी से लिए गए हैं। इस पोस्ट के आर्काइव्ड लिंक को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज़ ने इस वायरल पोस्ट को इसके कथित सवालों के हिसाब से अलग-अलग बांट कर अपनी पड़ताल शुरू की। इस पोस्ट में जवाहरलाल नेहरू के निजी सहायक एमओ मथाई की जीवनी का हवाला दिया जा रहा है। एमओ मथाई की किताबों के बारे में इंटरनेट पर सर्च करने पर हमें उनकी लिखी दो किताबों की जानकारी मिली- पहली Reminiscences Of The Nehru Age और दूसरी My Days with Nehru, इन दोनों किताबों के आर्काइव्ड वर्जन को क्रमशः यहां और यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है। वायरल पोस्ट में 10 सवाल और उनके कथित जवाब दिए गए हैं। विश्वास न्यूज़ ने इन सारे दावों की अलग-अलग पड़ताल की है।

दावा नंबर 1

वायरल पोस्ट के पहले सवाल में लिखा है, ‘थुसु रहमान बाई नाम से महिला कौन है?’ और इसके जवाब में लिखा है, ‘पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की माँ !!!’

पड़ताल: विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में पता चला कि थुसु रहमान बाई नाम एमओ मथाई की दोनों किताबों में कहीं है ही नहीं। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बारे में इस दावे का सच जानने के लिए हमने इंटरनेट पर सर्च किया। हम भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के नेहरू पोर्टल (nehruportal.nic.in) पर पहुंचे। यहां हमें पंडित जवाहरलाल नेहरू की पूरी फैमिली ट्री ही मिल गई। इसे आप यहां क्लिक कर देख सकते हैं।

भारत सरकार की इस वेबसाइट पर दिए गए फैमिली ट्री के मुताबिक, पंडित नेहरू की मां का नाम थुसु रहमान बाई नहीं, बल्कि स्वरूपरानी था।

दावा नंबर 2

वायरल पोस्ट के दूसरे सवाल-जवाब में लिखा है, ‘Q2: जवाहरलाल नेहरू के पिता कौन हैं? Ans-
श्री मुबारक अली!!!’

पड़ताल: मथाई की दोनों किताबों में ये नाम भी नहीं है। ऊपर शेयर की गई फैमिली ट्री के मुताबिक, पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था।

दावा नंबर 3

वायरल पोस्ट के तीसरे सवाल-जवाब में लिखा है, ‘Q3:मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू के बीच क्या संबंध है? Ans: मुबारक अली की मृत्यु के बाद मोतीलाल नेहरू, थुसु रहमान बाई के दूसरे पति हैं। मोतीलाल मुबारक अली के कर्मचारी के रूप में काम कर रहा था और वह उसके लिए दूसरी पत्नी है। मोतीलाल नेहरू जवाहरलाल नेहरू के सौतेले पिता हैं।’

पड़ताल: मथाई की किताब में ऐसी किसी बात का कोई जिक्र नहीं है। भारत सरकार के आधिकारिक नेहरू पोर्टल पर मौजूद महत्वपूर्ण दिवस (इम्पॉर्टेंट डेट्स) टैब में पंडित नेहरू के आरंभिक जीवन की जानकारी दी गई है। इसके मुताबिक, ‘जवाहरलाल नेहरू 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में पैदा हुए थे। उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक प्रतिष्ठित वकील और महात्मा गांधी के अहम सिपहसलाहकारों में से एक थे। उनकी मां स्वरूपरानी नेहरू लाहौर में बसे एक प्रतिष्ठित कश्मीरी परिवार से थीं।’

दावा नंबर 4

वायरल पोस्ट के चौथे सवाल-जवाब में लिखा है, ‘Q4: क्या जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी पंडित जन्म से हैं? Ans: नहीं, पिता और माता दोनों ही मुसलमान हैं।’

इस बारे में भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के हवाले से ऊपर ही बताया जा चुका है कि पंडित नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू और माता स्वरूपरानी थीं, जो कि मुसलमान नहीं बल्कि हिंदू थे। इसके अलावा जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में भी अपने कश्मीरी घराने का जिक्र करते हुए लिखा है, ‘हम लोग कश्मीरी हैं। 200 बरस से ज्यादा हुए होंगे, 18वीं सदी के शुरू में हमारे पुरखे यश और धन कमाने के इरादे से कश्मीर की सुंदर तराइयों से नीचे के उपजाऊ मैदानों में आए। वे मुगल साम्राज्य के पतन के दिन थे।’

पंडित नेहरू की आत्मकथा यहां क्लिक कर पढ़ी जा सकती है।

दावा नंबर 5

वायरल पोस्ट के पांचवें सवाल-जवाब में लिखा है, ‘Q5: क्या जवाहरलाल नेहरू अपने सौतेले पिता की वजह से अपना हिन्दू नाम रखे हुए थे? Ans: हाँ, क्योंकि ये नाम एक पर्दा था। लेकिन मोतीलाल भी खुद कश्मीर पंडित नहीं हैं।’

पड़ताल: इस दावे का सच भी ऊपर ही बताया जा चुका है। भारत सरकार की वेबसाइट पर मौजूद फैमिली ट्री के हिसाब से भी पंडित नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू और पिता मोतीलाल नेहरू थे। नेहरू ने आत्मकथा में भी अपने पूर्वजों के कश्मीर से दिल्ली आने का किस्सा बताया है।

दावा नंबर 6

वायरल पोस्ट के छठे सवाल-जवाब में लिखा है, ‘Q6: मोतीलाल के पिता कौन हैं और पंडित उनके नाम के साथ कैसे जुड़ गए? Ans: मोतीलाल के पिता जमुना नहर (नेहर) के ग़यासुद्दीन गाज़ी हैं जो 1857 के विद्रोह के बाद दिल्ली भाग गए और फिर कश्मीर चले गए वहाँ उन्होंने अपना नाम गंगाधर नेहरू में बदलने का फैसला किया (‘नहर/नेहर’ ‘नेहरू’ बन गए) और “पंडित” को इस नाम के सामने इसलिए रखा कि वे लोगों को अपनी जाति पूछने का कोई मौका न दे। अपने सिर पर टोपी के साथ पंडित गंगाधर नेहरू इलाहाबाद चले गए। उनके बेटे मोतीलाल ने लॉ की डिग्री पूरी की और लॉ फर्म के लिए काम करना शुरू किया।’

पड़ताल: विश्वास न्यूज़ को मथाई की किताब में ऐसा कोई जिक्र नहीं मिला। भारत सरकार की वेबसाइट पर मौजूद फैमिली ट्री के मोतीलाल नेहरू के पिता का नाम गयासुद्दीन गाजी नहीं, बल्कि गंगाधर नेहरू था। पंडित नेहरू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उनके पूर्वज राज कौल तत्कालीन सत्ता के बुलावे पर 1716 में कश्मीर से दिल्ली चले आए। आत्मकथा के मुताबिक, राज कौल को नहर के किनारे एक जागीर मिली। नेहरू लिखते हैं कि इसी वजह से कौल-नेहरू नाम के साथ जुड़ गया जो आगे चलकर केवल नेहरू रह गया।

भारत सरकार की साइट पर मौजूद फैमिली ट्री में भी मोतीलाल नेहरू के पिता गंगाधर नेहरू के बारे में जानकारी दी हुई है। इसके मुताबिक, गंगाधर नेहरू का जन्म 1827 में हुआ था। वह मोतीलाल नेहरू के पिता था। वह दिल्ली में पुलिस अधिकारी थे। 1857 में वह अपने परिवार के साथ दिल्ली से आगरा चले गए। यानी वायरल पोस्ट का दावा गलत है।

दावा नंबर 7

वायरल पोस्ट के 7वें सवाल-जवाब में लिखा है, ‘Q7: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के माता-पिता कौन हैं? Ans: जवाहरलाल नेहरू के सौतेले पिता से जन्मे मंसूर अली (मुस्लिम) और कमला कौल नेहरू (एक कश्मीरी पंडित)।’

पड़ताल: विश्वास न्यूज़ को ऐसा कोई जिक्र मथाई की किसी किताब में नहीं मिला है। विश्वास न्यूज़ ऊपर की पड़ताल में पहले ही बता चुका है कि नेहरू के सौतेले पिता थे ही नहीं। इंदिरा गांधी के पिता पंडित नेहरू और माता कमला कौल थीं। भारत सरकार की साइट पर मौजूद फैमिली ट्री में कमला कौल के भी बारे में जानकारी दी हुई है। इसके मुताबिक, कमला कौल का जन्म 1899 में हुआ था और 1916 में उनकी शादी जवाहरलाल नेहरू से हुई थी। जानकारी के मुताबिक, कमला कौल ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लिया था और जनवरी 1931 में जेल भी गई थीं।

मथाई की किताब में भी इंदिरा और नेहरू से जुड़े ढेरों किस्से हैं, लेकिन इस वायरल दावे जैसी कोई जानकारी नहीं है।

दावा नंबर 8

वायरल दावे के 8वें सवाल-जवाब में लिखा है, ‘Q8: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के माता-पिता कौन हैं? A: जहांगीर फ़िरोज़ खान (फ़ारसी मुस्लिम) और इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू उर्फ मामूना बेगम खान। इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू उर्फ मामूना बेगम खान- w/o जहांगीर फिरोज खान (फारसी मुस्लिम), जिन्होंने बाद में मोहनदास करमचंद गांधी की सलाह पर अपना नाम बदलकर गांधी रख लिया। उनके दो बेटे राजीव खान (पिता फिरोज जहांगीर खान) और संजीव खान (नाम बाद में बदलकर राजीव गांधी व संजय गांधी हो गए) संजय के पिता भी फिरोज़ नही बताये जाते।’

पड़ताल: यह वायरल दावा भी गलत है। पूर्व पीएम राजीव गांधी के पिता फिरोज गांधी और माता इंदिरा गांधी थीं। इनके दूसरे पुत्र का नाम संजय गांधी था। इस दावे में भी इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी, राजीव गांधी और संजय गांधी के लिए मनगढ़ंत मुस्लिम नामों का जिक्र किया गया है। ऐसी कोई जानकारी मथाई की किताब में मौजूद नहीं है। मथाई की किताब ‘Reminiscences of the Nehru Age’ के 17वें चैप्टर का नाम ही फिरोज गांधी (Feroze Gandhi) है, जिसमें वह खुद उन्हें पारसी शराब कारोबारी का बेटा बता रहे हैं।

दावा नंबर 9

वायरल दावे के 9वें सवाल-जवाब में लिखा है, ‘Q9: क्या जवाहरलाल नेहरू (भारत के पूर्व प्रधानमंत्री), मुहम्मद अली जिन्ना (पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री) और शेख अब्दुल्ला (कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री) एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं? Ans: हाँ। ऊपर बताए गए तीन लोगों की माताओं में एक ही पति मोतीलाल नेहरू थे। जिन्ना की मां मोतीलाल की चौथी पत्नी हैं। अब्दुल्ला मोतीलाल की 5 वीं पत्नी (जो उनके घर की नौकरानी थी) के माध्यम से है। इसलिए दोनों के पिता एक ही थे। जबकि जवाहर लाल के पिता मोतीलाल जवाहर लाल के सौतेले पिता हैं।’

पड़ताल: यह वायरल दावा भी पूरी तरह मनगढ़ंत है। मथाई की किताब में ऐसा कोई जिक्र नहीं है। बायोग्राफी डॉट कॉम के मुताबिक, मोहम्मद अली जिन्ना का जन्म 25 दिसंबर 1876 को कराची में हुआ था। उनके पिता एक मशहूर कारोबारी थे, जिनका नाम जिन्नाभाई पूंजा था। इसी तरह शेख अब्दुल्ला का जन्म 1905 में कश्मीर में हुआ था, जिनके पिता का नाम शेख मोहम्मद इब्राहिम था।

दावा नंबर 10

वायरल दावे के 10वें सवाल-जवाब में लिखा है, ‘Q10: आपको ये सभी उत्तर कहां से मिले, जबकि मुझे इतिहास की पुस्तकों में ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है, जिसका मैंने अध्ययन किया है? Ans: एम. ओ. मथाई (जवाहरलाल नेहरू के निजी सहायक) की जीवनी से।’

पड़ताल: ये दावा भी गलत है। नेहरू, इंदिरा और राजीव गांधी के परिवार को लेकर एमओ मथाई की किसी किताब में ऐसे तथ्य नहीं हैं, जो वायरल दावों की पुष्टि करते हों।

विश्वास न्यूज़ ने इन वायरल दावों के संबंध में कश्मीर मामलों के जानकार और कश्मीरनामा: इतिहास और समकाल किताब के लेखक अशोक कुमार पांडेय से बात की। उन्होंने सिलसिलेवार ढंग से इन सारे दावों को खारिज किया। उन्होंने बताया कि भारत के पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनके परिवार को लेकर ऐसे मनगढंत दावे और दुष्प्रचार लगातार वायरल होते रहते हैं। उन्होंने बताया कि चाहे वो मोतीलाल नेहरू हों या पंडित नेहरू, सबकी फैमिली ट्री भारत सरकार के नेहरू पोर्टल पर मौजूद है। उनके मुताबिक, जिन्ना और शेख अब्दुल्ला से मोतीलाल नेहरू का कोई कनेक्शन नहीं है और ये बात सार्वजनिक तौर पर मौजूद सरकारी साक्ष्यों से ही स्पष्ट है।

विश्वास न्यूज़ ने इस संबंध में वीर कुंवर सिंह विश्नविद्यालय में इतिहास के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अजीत राय से बात की। उन्होंने बताया कि पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री रहे हैं। इनके बारे में सारी जानकारी सरकारी डॉक्युमेंट्स में मौजूद है। डॉ. अजीत राय ने बताया कि यह सर्वविदत तथ्य है कि जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी पंडित थे और उन्होंने इस बात का जिक्र अपनी आत्मकथा में भी किया है। डॉ. अजीत राय ने बताया कि सोशल मीडिया पर इन राजनेताओं की धार्मिक पहचान को लेकर किए गए उक्त दावे गलत हैं।

विश्वास न्यूज़ ने इस वायरल दावे को शेयर करने वाले फेसबुक पेज बाबा बड़बोली की सोशल स्कैनिंग की। फैक्ट चेक किए जाने तक इसके 1432 फॉलोअर्स थे। इस पेज को 13 दिसंबर 2018 को बनाया गया है।

निष्कर्ष: भारत के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को लेकर ये सारे दावे झूठे और मनगढ़ंत हैं। ये एक दुष्प्रचार है, जो अक्सर अलग-अलग शक्ल में सोशल मीडिया पर वायरल होता रहता है। जवाहरलाल नेहरू के निजी सहायक रहे एमओ मथाई की किताबों में इनका कोई जिक्र नहीं है।

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