Fact Check: ब्रिटेन की महारानी के साथ RSS सदस्यों की वायरल हो रही यह तस्वीर एडिटेड है

विश्वास न्यूज़ ने इस पोस्ट की पड़ताल की और दावा गलत पाया। असल में यह तस्वीर एडिटेड है, जिसे दो अलग-अलग तस्वीरों को जोड़कर बनाया गया है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज): ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद से ही सोशल मीडिया पर कई दावे वायरल हो रहे हैं। इसी बीच एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पुरानी यूनिफॉर्म पहने कुछ युवाओं के साथ ब्रिटेन की महारानी को देखा जा सकता है। पोस्ट को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि तस्वीर तब की है, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने ब्रिटेन की महारानी को सलामी दी थी। विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में दावा गलत निकला। वायरल तस्वीर एडिटेड है। दो अलग-अलग तस्वीरों को जोड़कर यह तस्वीर बनायी गयी है।

क्या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर कुलदीप आर्या जी ने इस तस्वीर को शेयर किया। तस्वीर के ऊपर लिखा था, #जब पुरा देश अंग्रेजों से लड़ रहा था, तब कुछ गद्दार इंगलैंड कि रानी को #सलामी दे रहे थे. सुना है इनके वंशज खुद को देशभक्त कहते हैं.”

इस तस्वीर को सच मानकर दूसरे यूजर्स भी इसे वायरल कर रहे हैं। पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने वायरल हो रही तस्वीर की सत्यता को जांचने के लिए गूगल रिवर्स इमेज टूल की मदद ली। हमें आरएसएस स्वयंसेवकों की यह तस्वीर nagpurtoday.in की वेबसाइट पर 14 अगस्त 2013 में प्रकाशित एक खबर में मिली। तस्वीर में इन स्वयंसेवकों के सामने कोई नहीं खड़ा था। पूरी खबर यहां देखें।

वायरल तस्वीर को टाइम्स ऑफ़ इंडिया पर 4 अक्टूबर  2017 में पब्लिश एक आर्टिकल में भी इस्तेमाल किया गया था। हमें यह तस्वीर deccanchronicle.com पर भी मिली। यहाँ मौजूद तस्वीर में भी इन स्वयंसेवकों के सामने ब्रिटेन की महारानी नहीं थीं।

पड़ताल में आगे हमने ब्रिटेन के महारानी वाली तस्वीर खोजनी शुरू की। हमें CNN की वेबसाइट पर 21 अप्रैल 2016 के आर्टिकल में ये तस्वीर मिली। तस्वीर के साथ लिखे गए कैप्शन अनुसार, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 2 फरवरी 1956 को अपने कॉमनवेल्थ दौरे के दौरान, नाइजीरिया के कडुना हवाई अड्डे पर नव-नामित क्वीन्स ओन नाइजीरिया रेजिमेंट, रॉयल वेस्ट अफ्रीकन फ्रंटियर फोर्स के पुरुषों का निरीक्षण किया।”

हमारी यहां तक की पड़ताल से पता चला कि वायरल तस्वीर इन्हीं दोनों तस्वीरों को जोड़कर बनायीं गयी है। यह पहली बार नहीं है, जब ये तस्वीर समान दावे के साथ वायरल हो रही है। पहले भी कई बार यह तस्वीर वायरल हो चुकी है, जिसकी जांच विश्वास न्यूज़ ने की है। आप हमारी पहले की पड़ताल को यहां पढ़ सकते हो।

विश्वास न्यूज़ ने इस विषय में आरएसएस दिल्ली के सदस्य राजीव तुली से सम्पर्क किया। उन्होंने कहा, “यह तस्वीर एडिटेड है। पहले भी कई बार यह तस्वीर वायरल हो चुकी है। वायरल दावा पूरी तरह से गलत है।

पड़ताल के अंत में हमने इस तस्वीर को शेयर करने वाले यूजर कि सोशल स्कैनिंग की। स्कैनिंग में पता चला कि यूजर लखनऊ का रहने वाला है। यूजर किसी खास विचाधारा से प्रभावित है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने इस पोस्ट की पड़ताल की और दावा गलत पाया। असल में यह तस्वीर एडिटेड है, जिसे दो अलग-अलग तस्वीरों को जोड़कर बनाया गया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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