विश्वास न्यूज़ की जांच में उत्तर प्रदेश के नाम पर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा दावा गलत निकला। असल में वीडियो मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर का है। मध्य प्रदेश की जबलपुर पुलिस ने कुछ शरारती तत्वों और हंगामा मचाने वालों के खिलाफ यह विशेष अभियान चलाया था।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर 27 सेकंड का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी दो लड़कों से एक-दूसरे के कान में भोंपू बजवाते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो में आगे पुलिसकर्मियों द्वारा लड़कों से उठक-बैठक करवाते हुए भी देखा जा सकता है। अब वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो उत्तर प्रदेश का है। सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स इस वीडियो को बिहार के गोपालगंज का बताते हुए भी शेयर कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज़ ने विस्तार से वायरल वीडियो की जांच की और पड़ताल में वायरल दावे को गलत पाया। वायरल वीडियो मध्य प्रदेश के जबलपुर का है। मध्य प्रदेश की जबलपुर पुलिस ने कुछ शरारती तत्वों और हंगामा मचाने वालों के खिलाफ यह विशेष अभियान चलाया था, जिसमें लोगों को परेशान करने वाले ऐसे लोगों को ना सिर्फ पकड़ा, बल्कि उनके कानों पर भोंपू बजवाया और फटकार भी लगाई।
क्या है वायरल पोस्ट में ?
फेसबुक यूजर ‘Rider Vishal Yadav ‘ ने 6 अक्टूबर को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है,
!! मुस्कुराइए आप यूपी में है।।
जैसे देव वैसे पूजा उत्तर प्रदेश पुलिस के द्वारा
!! यूपी पुलिस आपकी सेवा में सदैव तत्पर!!
ऐसे ही एक यूज़र ने इसे बिहार के गोपालगंज का बताकर शेयर किया है।
वायरल पोस्ट के क्लेम को यहां ज्यों का त्यों लिखा गया है। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी वायरल कर रहे हैं। पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।
पड़ताल
वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स (पुलिस पुंगी/भोंपू) से सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल वीडियो से जुड़ी खबर नईदुनिया की वेबसाइट पर 7 अक्टूबर 2022 को प्रकाशित मिली। दी गई जानकारी के मुताबिक, वायरल वीडियो जबलपुर का है, जहां पुलिस ने कुछ शरारती तत्वों के खिलाफ अनूठी कार्रवाई की। महिलाओं और लड़कियों को देखकर पुंगी बजाकर शोर मचाने वाले कुछ मनचलों की पुलिस ने जमकर खबर ली और पुलिस ने उन्हें पकड़कर उन्हीं के कान में पुंगी बजवाई। पूरी खबर यहां पढ़ें।
जांच के दौरान हमें एबीपी न्यूज़ की वेबसाइट पर भी वायरल वीडियो से जुड़ी खबर मिली। 6 अक्टूबर 2022 को प्रकाशित खबर में वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल करते हुए बताया गया,’जबलपुर में नवरात्र उत्सव की धूम चल रही थी। लोग देर रात तक दुर्गा प्रतिमाओं और झांकियां को देखने के लिए निकले थे। इन्हीं लोगों में कुछ ऐसे भी असामाजिक तत्व थे, जो लोगों को केवल परेशान करने के लिए सड़कों पर निकले थे। ऐसे ही लोगों को बीती रात पुलिस ने उनके ही अंदाज में सबक सिखाया। उनसे बीच सड़क पर उठक-बैठक भी लगवाई गई। पुलिस की इस कार्रवाई का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।’
टाइम्स नाउ नवभारत के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर भी 6 अक्टूबर 2022 को वायरल वीडियो अपलोड मिला। वीडियो में दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘जबलपुर में त्यौहार के मौके पर भोंपू बजाकर लोगों को तंग करने वाले मनचलों के खिलाफ पुलिस ने एक्शन लेते हुए युवकों से एक-दूसरे के कान में भोंपू बजवाया और उनसे सड़क पर उठक-बैठक भी करवाई।
वायरल वीडियो से जुड़ी अन्य खबरों को यहां पढ़ें। अधिक जानकारी के लिए हमने नईदुनिया के सिटी चीफ आरके पांडेय से संपर्क किया। आरके पांडेय के साथ वायरल वीडियो को शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि वीडियो जबलपुर का है। कुछ शरारती तत्व लोगों को भोंपू बजा कर तंग कर रहे थे। रात में गढ़ा पुलिस क्षेत्र में प्वाइंट लगाकर लोगों की सुरक्षा कर रही थी। इसी दौरान कुछ युवक भोंपू बजाते हुए वहां से निकले। गढ़ा थाना प्रभारी राकेश तिवारी और उनकी टीम ने उन्हें रोक लिया। बाइक सवार दो युवकों को रोककर पूछताछ की और भोंपू बजाने का कारण पूछा। इसके बाद उन्हें सबक सिखाने के लिए थाना प्रभारी ने खुद ही एक युवक के कान में उसी का भोंपू लेकर बजा दिया। शरारती युवकों के कान में भोंपू बजाने के बाद पुलिस ने भोंपू तोड़कर उन्हें वापस दे दिया। साथ ही हिदायत दी कि दोबारा कभी ऐसी गलती नहीं करेंगे। इसके बाद उठक-बैठक लगवा कर शरारती युवकों को छोड़ दिया गया।’
पड़ताल के अंत में हमने इस वायरल वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर की जांच की। जांच में पता चला कि यूजर बिहार के कोचस शहर का रहने वाला है। यूजर राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ है। फेसबुक पर यूजर को 276 लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ की जांच में उत्तर प्रदेश के नाम पर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा दावा गलत निकला। असल में वीडियो मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर का है। मध्य प्रदेश की जबलपुर पुलिस ने कुछ शरारती तत्वों और हंगामा मचाने वालों के खिलाफ यह विशेष अभियान चलाया था।
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