Fact Check: शराब बांटने का यह वीडियो किसान आंदोलन का नहीं है, वायरल दावा गलत है

Vishvas News की जांच में दावा गलत निकला। यह वीडियो इंटरनेट पर अप्रैल 2020 से मौजूद है। किसान आंदोलन इसके महीनों बाद शुरू हुआ था।

Fact Check: शराब बांटने का यह वीडियो किसान आंदोलन का नहीं है, वायरल दावा गलत है

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक गाड़ी के बाहर लोग भीड़ लगाए खड़े हैं और गाड़ी के अंदर बैठा व्यक्ति बाहर खड़े लोगों को शारब बांट रहा है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो किसान आंदोलन का है।

Vishvas News की जांच में दावा गलत निकला। यह वीडियो इंटरनेट पर अप्रैल 2020 से मौजूद है। किसान आंदोलन इसके महीनों बाद शुरू हुआ था।

क्यान हो रहा है वायरल

फेसबुक पर ‘Lovneesh Gupta’ नाम के यूजर ने इस वीडियो को शेयर किया और साथ में लिखा “Farmers protests. Free liquor distribution” जिसका हिंदी अनुवाद होता है “किसान आंदोलन, मुफ्त शराब वितरण।”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने सबसे पहले InVID टूल की मदद से इस वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स निकाले। हमने उन कीफ्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल की मदद दे ढूंढा। हमें यह वीडियो 11 अप्रैल 2020 को 2 फेसबुक पेजों पर अपलोडेड मिला।



हमने Gym Jan De Shaukeen Punjabi और ‘The Trending India’ पजों के के एडमिन्स से मैसेंजर के माध्यम से संपर्क साधा और इस वीडियो की जगह और समय के बारे में पूछा। Gym Jan De Shaukeen Punjabi पेज के एडमिन गुरिंदर सिंह ने हमें जवाब में बताया, “वीडियो की जगह और समय के बारे में तो मैं नहीं बता सकता। मगर ये बात पक्की है कि वीडियो पुराना है। हमें यह वीडियो किसी और जगह मिला था, जिसे हमने अपलोड कर दिया।”

हम स्वतंत्र रूप से इस वीडियो की जगह और समय की तो पुष्टि नहीं कर सकते, मगर यह बात साफ़ है कि वीडियो अप्रैल 2020 से इंटरनेट पर मौजूद है। आपको बता दें कि जून 2020 में किसान बिल अध्यादेशों को पेश किया गया था और केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र के दौरान सितंबर 2020 में तीनों फार्म विधेयकों को पारित किया था। राष्ट्रपति ने 27 सितंबर, 2020 को इन्हें अपनी सहमति दी थी।

हमने वायरल दावे को साझा करने वाले फेसबुक यूजर ‘Lovneesh Gupta के अकाउंट की सोशल स्कैनिंग करने की कोशिश की। यूजर ने अपनी सभी जानकारी हाइड कर रखी है।

निष्कर्ष: Vishvas News की जांच में दावा गलत निकला। यह वीडियो इंटरनेट पर अप्रैल 2020 से मौजूद है। किसान आंदोलन इसके महीनों बाद शुरू हुआ था।

False
Symbols that define nature of fake news
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