Fact Check: मगरमच्छ के हमले का यह वीडियो एक विज्ञापन के शूट का क्लिप है, कोई असली घटना नहीं

विश्वास न्यूज़ ने इस वीडियो की जांच की और पाया कि यह दावा भ्रामक है। असल में यह क्लिप 2013 में फैशन मैगज़ीन ‘प्रिव्यू’ के एक वीडियो विज्ञापन अभियान का हिस्सा है , कोई वास्तविक घटना नहीं।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक महिला पर मगरमच्छ द्वारा हमला किये जाने का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में यह महिला पोज़ करते हुए  दिख रही है, जिसे एक दूसरी महिला अपने फ़ोन से शूट कर रही है। इतने में पीछे से एक मगरमच्छ आता  है और महिला को अपने जबड़ों में दबोचता हुआ पानी के अंदर ले जाता है। पोस्ट के साथ यूजर रील बनाते समय सावधान रहने की बात कह रहा है।

विश्वास न्यूज़ ने इस वीडियो की जांच की और पाया कि यह दावा भ्रामक है।  असल में यह क्लिप 2013 में फैशन मैगज़ीन ‘प्रिव्यू’ के एक विज्ञापन अभियान का हिस्सा है , कोई वास्तविक घटना नहीं।

क्या है वायरल पोस्ट

फेसबुक यूजर Santosh Patel (आर्काइव लिंक) ने 20 जून को 23 सेकंड का इस वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा, “रील बनाने के चक्कर में बिलकुल भी मदहोश ना हो”

पड़ताल

वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए हमने  इस वीडियो को ठीक से देखा। ठीक से देखने पर मगरमच्छ थोड़ा एनिमेटेड लगता है। हमें शक हुआ कि हो सकता है यह वीडियो वीएफएक्स की मदद से बनाया गया हो।

रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें यह पूरा प्रीव्यू मैगज़ीन के यूट्यूब चैनल Preview PH पर 3 अक्टूबर 2013 को अपलोड मिला। वीडियो का टाइटल है , “इंस्टाग्राम कैसे इस्तेमाल न करें।” डिस्क्रिप्शन के अनुसार, यह प्रीव्यू मैगज़ीन के #imapreviewgirl कैम्पेन का हिस्सा था।

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए मुंबई में एंटरटेनमेंट को कवर करने वालीं दैनिक जागरण की वरिष्ठ पत्रकार स्मिता श्रीवास्तव से संपर्क किया। उन्‍होंने बताया कि यह वीडियो प्रीव्यू मैगज़ीन के 2013 में आई कैम्पेन  #imapreviewgirl का हिस्सा था जहां मैगज़ीन ने इंडस्ट्री के अलग-अलग लोगों के आइडियाज मांगे थे और यह वीडियो भी इन्हीं में से एक आइडिया  पर आधारित है । ऐसी और भी कई वीडियो उस दौरान आयीं थीं।”

गूगल कीवर्ड सर्च करने पर हमें ऐसे कई उदाहरण मिले, जहां रील बनाने के दौरान हादसे हुए और लोगों को अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ा। एक्सपर्ट्स के अनुसार, वीडियो बनाते समय सतर्क रहने में ही समझदारी है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने इस वीडियो की जांच की और पाया कि यह दावा भ्रामक है। असल में यह क्लिप 2013 में फैशन मैगज़ीन ‘प्रिव्यू’ के एक वीडियो विज्ञापन अभियान का हिस्सा है , कोई वास्तविक घटना नहीं।

False
Symbols that define nature of fake news
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