Fact Check: भाप छोड़ने वाला ये पौधा डिजिटल आर्टवर्क है, सोशल मीडिया यूजर असली समझ कर रहे हैं शेयर

विश्वास न्यूज की जांच में वायरल दावा गलत निकला। वायरल वीडियो को एडिटिंग सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया गया है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक पौधे को भाप छोड़ते हुए देखा जा सकता है। वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह तमिलनाडु में पाए जाने  वाला उधु पवई नाम का पौधा है, जो वर्षा वन में उगता है और हफ एवं पफ की आवाज निकालता है ।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला। वायरल वीडियो को एडिटिंग सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया गया है।

क्या है वायरल पोस्ट में ?

फेसबुक यूजर Jaiprkash Shukla  (जयप्रकाश शुक्ल) ने वायरल वीडियो को 25 अक्टूबर को शेयर करते हुए लिखा है, “कुदरत का कमाल। तमिलनाडु में वर्षा ऋतु में खिलने वाली ‘ऊधू पवई’ इस दवाई युक्त वृक्ष के फूल अपने परागकण रेलवे इंजिन की भाप की तरह बाहर छोडता हुआ अद्भुत अनुपम दृश्य देखिये।”

इस पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

यह पोस्ट एक बार पहले भी वायरल हो चुकी है। उस समय भी विश्वास न्यूज ने इसकी जांच की थी। उस समय वायरल पोस्ट को जांचने के लिए हमने इनविड टूल का इस्तेमाल करते हुए वीडियो के कई की-फ्रेम निकाले थे और उन्हें गूगल रिवर्स के जरिए सर्च किया था। इस दौरान हमें ल्यूक  पेनरी नाम के एक X अकाउंट पर यह वीडियो 17 सितंबर 2021 को अपलोड हुआ मिला था। इस X प्रोफाइल को खंगालने पर हमें पता चला था कि ल्यूक  पेनरी एक 3D कलाकार है, जो कि इस तरह के डिजिटल साउंड आर्ट वीडियो बनाते हैं।

https://twitter.com/eLPenry/status/1438895987431559168

जांच के दौरान हमें ल्यूक  पेनरी की प्रोफ़ाइल पर 29 सितंबर 2021 का एक और ट्वीट मिला, जिसमें उन्होंने एक ट्वीट को रिकोट करते हुए लिखा था कि यह वीडियो असल में सीजेआई (कंप्यूटर जनरेटेड इमेज ) की मदद से बनाया गया था। यह कोई असली पौधा नहीं है।

https://twitter.com/eLPenry/status/1443005029351309314

उस समय पड़ताल के दौरान हमें वायरल वीडियो डिजिटल आर्ट वर्क की लाइन नीलामी करने वाली वेबसाइट फाउंडेशन ऐप पर भी अपलोड हुआ मिला था। डिस्क्रिप्शन में इसे एनिमेशन आर्टवर्क बताया  गया था, जिसे डिजाइनर ल्यूक पेनरी द्वारा बनाया गया था।

अधिक जानकारी के लिए हमने वनस्पति विज्ञान की विशेषज्ञ और दिल्ली यूनिवर्सिटी की रिटायर्ड प्रोफेसर के गीता से संपर्क किया। हमने वायरल दावे को उनके साथ शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। इस तरह का कोई पौधा नहीं पाया गया है।

पड़ताल के अंत में विश्‍वास न्‍यूज ने फेक दावे को शेयर करने वाले यूजर जयप्रकाश शुक्ल (Jaiprkash Shukla) की सोशल स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि यूजर उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर का रहने वाला है। यूजर के लगभग 5 हजार फॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की जांच में वायरल दावा गलत निकला। वायरल वीडियो को एडिटिंग सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया गया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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