Fact Check: लंगर परोसती बच्ची की यह तस्वीर किसान आंदोलन की नहीं है

विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा सही नहीं है। यह तस्वीर 2017 से इंटरनेट पर मौजूद है। इसका मौजूदा किसान आंदोलन से कुछ लेना-देना नहीं है।

नई दिल्ली (Vishvas News)। किसान आंदोलन के बीच सोशल मीडिया पर आज कल एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें एक बच्ची को लंगर परोसते देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह किसान आंदोलन में हिस्सा लेती एक बच्ची की तस्वीर है।

विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा सही नहीं है। यह तस्वीर 2017 से इंटरनेट पर मौजूद है। इसका मौजूदा किसान आंदोलन से कुछ लेना-देना नहीं है।

क्‍या हो रहा है वायरल

Avinash Jain नाम के एक फेसबुक यूजर ने इस पोस्ट को शेयर किया। वायरल पोस्ट में एक लंगर परोसती बच्ची को देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है, “God sent this beautiful angel to serve the protesting farmers with her lovely smile ❤️ #FarmersProtest #FarmBills”

फेसबुक पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

इस तस्वीर की पड़ताल के लिए हमने इस तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च किया। सर्च के दौरान हमें 14 जुलाई 2017 को Guru Ka Langar नाम के एक पेज पर यह तस्वीर मिली। तस्वीर का लोकेशन पांवटा साहिब गुरुद्वारा का बताया गया था। साफ है कि यह वायरल फोटो साल 2017 से ही इंटरनेट पर मौजूद है।

हमने इस पेज के एडमिन से मैसेज के ज़रिये संपर्क करने की कोशिश की। मगर कोई जवाब नहीं मिला।

इसके बाद हमने हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के संवाददाताओं से संपर्क किया, जो अलग-अलग स्थानों पर किसानों के प्रदर्शन को कवर कर रहे हैं। सिंधु बॉर्डर कवर कर रहे संवाददाता सोनू राणा और टिकरी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन की रिपोर्टिंग कर रहे भगवान झा ने पुष्टि की कि वायरल हो रही तस्वीर मौजूदा किसानों के प्रदर्शन से संबंधित नहीं है। सिंधु बॉर्डर कवर कर रहे संवाददाता सोनू राणा ने कहा “यह तस्वीर प्रदर्शन की नहीं है। यहाँ कहीं भी स्टील की थालिओं में खाना नहीं परोसा जा रहा है। खाना डिस्पोजेबल क्रॉकरी में ही परोसा जाता है। वायरल फोटो की टोपोग्राफी भी यहाँ से बिलकुल अलग है।” टिकरी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन की रिपोर्टिंग कर रहे भगवान झा ने कहा “यह तस्वीर यहाँ की नहीं है। यहाँ कहीं भी ये ईंट वाली सड़क नहीं है।”

हम स्वतंत्र रूप से इस तस्वीर का स्रोत नहीं बता सकते पर यह बात साफ़ है कि यह तस्वीर हाल में चल रहे किसान आंदोलन की नहीं है।

पड़ताल के अंतिम चरण में हमने उस पेज की जांच की, जिसने एक पुरानी तस्वीर को अब किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल किया। हमें पता चला कि फेसबुक यूजर Avinash Jain को  839 लोग फॉलो करते हैं। वे जयपुर के रहने वाले हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा सही नहीं है। यह तस्वीर 2017 से इंटरनेट पर मौजूद है। इसका मौजूदा किसान आंदोलन से कुछ लेना-देना नहीं है।

False
Symbols that define nature of fake news
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