विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में पता चला कि यह तस्वीर इंदौर की नहीं, दिल्ली की है। यह बच्चा एक आरटीवी बस से अपने घर जा रहा था जब एक दुसरे यात्री ने इसकी तस्वीर खींची और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया।
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है जिसमें एक बच्चे को एक बस की सीट पर बैठा हुआ देखा जा सकता है। फोटो में बच्चे ने हाथ में एक आटे का पैकेट और एक तेल की बोतल पकड़ी हुई है। इस पोस्ट को शेयर करके दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर इंदौर की है जहाँ कोरोना रिस्ट्रिक्शन्स का पालन न करने के जुर्म में इस बच्चे तो अस्थाई जेल में डाल दिया गया है। विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा गलत निकला।
विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में पता चला कि यह तस्वीर इंदौर की नहीं, दिल्ली की है। यह बच्चा एक आरटीवी बस से अपने घर जा रहा था जब एक दुसरे यात्री ने इसकी तस्वीर खींची और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। पोस्ट के साथ गढ़ी जा रही कहानी भी फर्जी है।
क्या है वायरल पोस्ट में?
वायरल पोस्ट में एक बच्चे को एक बस की सीट पर बैठा हुआ देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा है “इस बच्चे का अपराध सिर्फ इतना है कि यह अपने परिवार के लिए किराना लेने निकला था और उसे अस्थाई जेल ले जाया जा रहा है शर्म करो इंदौर प्रशासन!”
इन पोस्टस के आर्काइव्ड वर्जन यहां, यहाँ और यहाँ देखे जा सकते हैं।
पड़ताल
विश्वास न्यूज ने वायरल दावे की पड़ताल करने के लिए सबसे पहले इस तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज पर ढूंढा। हमें यह तस्वीर कई फेसबुक पोस्ट्स पर मिली। ज़्यादातर जगह इसे दिल्ली का बताया गया था और इसका पोस्ट क्रेडिट Bharat Nbs (Mc Anveshak) नाम के फेसबुक प्रोफाइल को दिया गया था।
ढूंढ़ने पर हमें यह तस्वीर Bharat Nbs (Mc Anveshak) नाम के फेसबुक प्रोफाइल पर भी मिली। 19 अप्रैल को शेयर की गयी पोस्ट के साथ लिखा था “आज रात से दिल्ली में अगले सोमवार तक लॉकडाउन है। इस बच्चे को भी इस बात का इल्म है कि लॉकडाउन लगते ही, कोई सरकार कुछ नही करेगी। इसी कारण कूड़ा बीनकर कमाये पैसो से ये घर के लिये आटा व तेल ले जा रहा है। बार-बार अपनी जेब टटोल रहा है कि कितने पैसे बचे है और हर बार टटोलने पर जेब में एक सौ बीस रुपये ही दिखते है, जिससे अभी एक हफ्ते का खाना खर्चा चलाना है। यही हाल दिल्ली के मज़दूरों का भी है। जब से पता चला है कि कल से यहाँ लॉकडाउन लगेगा, डर का माहौल बन गया है, क्योंकि हर किसी को अच्छे से याद है कि पिछले साल इसी समय सरकार ने मज़दूरों के साथ कितनी क्रूरता और अमानवीयता दिखायी थी। फिर अब काम-धंधे बंद हो जायेंगे, खाने-पीने के लाले पड़ जायेंगे, फैक्ट्री से लॉकडाउन का कुछ भी पैसा नही मिलेगा और ऊपर से मकान मालिकों को भी किराया देना होगा और केजरीवाल या मोदी कितनी मदद करते है, ये तो पिछले साल सब देख ही चुके है।”
इस विषय में पुष्टि के लिए हमने भारत एनबीएस से फेसबुक मेसेंजर के ज़रिये संपर्क साधा। उन्होंने हमारे साथ अपना फ़ोन नंबर शेयर किया। फ़ोन पर बात करते हुए उन्होंने हमें बताया “यह तस्वीर मैंने 19 अप्रैल को दिल्ली में मधुवन चौक के पास एक आरटीवी बस में ली थी जहाँ यह बच्चा भी बैठा था। मैंने पूंछा तो उसने बताया कि वो रिठाला के पास कहीं का रहने वाला है। बाकि डिटेल्स आप मेरे पोस्ट में पढ़ सकते हैं।” भारत ने हमारे साथ ओरिजनल तस्वीर का तारीख के साथ स्क्रीनशॉट और तस्वीर का एक्सिफ़ डाटा भी शेयर किया जिससे साफ़ हुआ कि तस्वीर उन्होंने ही खींची थी और इसे 19 अप्रेल को खींचा गया था।
इस विषय में हमने नईदुनिया के इंदौर संवाददाता प्रशांत पांडेय से संपर्क साधा। उन्होंने ने भी कन्फर्म किया कि इंदौर से ऐसी कोई खबर नहीं आयी है।
अब बारी थी फेसबुक पर इस पोस्ट को साझा करने वाले यूजर Bhavi Yadav के प्रोफाइल को स्कैन करने का। प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि यूजर दिल्ली का रहने वाला है। यूजर के फेसबुक पर 1,240 फ्रेंड्स हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में पता चला कि यह तस्वीर इंदौर की नहीं, दिल्ली की है। यह बच्चा एक आरटीवी बस से अपने घर जा रहा था जब एक दुसरे यात्री ने इसकी तस्वीर खींची और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया।
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