Fact Check: पेड़ों के बीच सूरज और चाँद की यह तस्वीर एडिटिंग टूल्स की मदद से बनाई गयी है

हमारी पड़ताल में हमने पाया कि यह दावा गलत है। असल में यह एक एडिटेड फोटो है। तस्वीर में सूरज और चंद्रमा को एडिटिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करके ऊपर से चिपकाया गया था।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रहा है, जिसमें दो पेड़ों के बीच एक सीधी लाइन में ऊपर चाँद और नीचे सूरज देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि इस तस्वीर को खींचने के लिए फोटोग्राफर ने 16 कैमरों का इस्तेमाल किया और इसमें 62 दिन का समय लगा और ऐसा नज़ारा अब सिर्फ 2035 में देखने को मिलेगा। विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। असल में यह एक एडिटेड फोटो है। तस्वीर में सूरज और चंद्रमा को एडिटिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करके ऊपर से चिपकाया गया था।

क्या हो रहा है वायरल?

वायरल पोस्ट में दो पेड़ों के बीच एक सीधी लाइन में ऊपर चाँद और नीचे सूरज देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है, “A German photographer had fixed 16 cameras to get this shot for which he had to wait for 62 days. Touch the screen and you can see the moon and sun together. This can be only seen again in 2035. Enjoy the shot.” जिसका हिंदी अनुवाद होता है, “एक जर्मन फोटोग्राफर ने इस शॉट को लेने के लिए 16 कैमरे लगाए और इस शॉट के लिए उन्हें 62 दिनों तक इंतजार करना पड़ा। स्क्रीन को टच करें और आप चंद्रमा और सूरज को एक साथ देख सकते हैं। यह केवल 2035 में फिर से देखा जा सकता है। शॉट का आनंद लें।”

इस पोस्ट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

पोस्ट की पड़ताल के लिए हमने वायरल तस्वीर का स्क्रीनशॉट लिया और उसे गूगल रिवर्स इमेज पर ढूंढा। हमें यह तस्वीर theglobalartcompany.com पर मिली। यहाँ इस तस्वीर का फोटोग्राफर बेस हमिति नाम के फोटोग्राफर को बताया गया था। हमें यह तस्वीर फोटोग्राफर बेस हमिति के इंस्टाग्राम प्रोफ़ाइल पर 31 जनवरी, 2016 को अपलोडेड मिली।

इन्हीं के इंस्टाग्राम पेज पर हमें इन्हीं दो पेड़ों की एक और तस्वीर मिली, जो वायरल तस्वीर की कॉपी ही थी मगर इसमें सिर्फ पेड़ ही सेम थे, बाकी बैकग्राउंड बिल्कुल अलग था।

हमने पुष्टि के लिए बेस हमिति से संपर्क साधा। उन्होंने कहा, “यह तस्वीर मैंने एडिटिंग टूल एडोब फोटोशॉप की मदद से बनाई थी। मैंने इस पूरे प्रॉसेस का एक वीडियो अपने यूट्यूब चैनल पर भी डाला था। आप वहां पूरा प्रॉसेस देख सकते हैं। 16 फोटोग्राफर्स और 62 दिनों वाला वायरल दावा गलत है। “

हमें बेस हमिति के यूट्यूब चैनल पर वो वीडियो मिला, जिसमें उन्होंने इस फोटो को बनाने का पूरा प्रॉसेस दिखाया था। वीडियो का आर्काइव लिंक यहाँ देखा जा सकता है।

इस गलत पोस्ट को कई लोगों ने शेयर किया, जिनमें से एक हैं फेसबुक यूजर ‘Alette Ohnemus, जिनकी पोस्ट की हमने पड़ताल की। यूजर के 100 फ़ॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में हमने पाया कि यह दावा गलत है। असल में यह एक एडिटेड फोटो है। तस्वीर में सूरज और चंद्रमा को एडिटिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करके ऊपर से चिपकाया गया था।

False
Symbols that define nature of fake news
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