Fact Check : बच्‍चों की यह तस्‍वीर जर्मनी की नहीं, भारत के भक्तिवेदांत अकादमी की है

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में जर्मनी के नाम पर वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। मायापुर इस्‍कॉन के भक्तिवेदांत अकादमी की तस्‍वीर को जर्मनी का बताकर वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सफेद धोती पहने हुए कुछ बच्‍चों की एक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इस तस्‍वीर में इन बच्‍चों को केले के पत्ते पर भोजन करते हुए देखा जा सकता है। सोशल मीडिया के कुछ यूजर्स इस तस्‍वीर को जर्मनी का बताकर वायरल कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि जर्मनी में बच्‍चे गुरुकुल में पढ़ते हैं। केले के पत्ते पर खाना खाते हैं। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह फर्जी साबित हुई। जिस तस्‍वीर को जर्मनी का बताकर वायरल किया जा रहा है, वह भारत की है। पश्चिम बंगाल के मायापुर इस्‍कॉन के भक्तिवेदांत अकादमी की इस तस्‍वीर को जर्मनी का बताकर वायरल किया जा रहा है। यह तस्‍वीर कई सालों से इंटरनेट पर वायरल है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक पेज ‘स्‍वयंसेवक’ ने 28 दिसंबर को एक तस्‍वीर को पोस्‍ट करते हुए दावा किया, ‘यह तस्वीर भारत का नही है यह तस्वीर जर्मनी का है जहाँ बच्चे गुरुकुल में पढ़ते है और साथ में केले के पत्ते पर भोजन करते है। जिस संस्कृति को हम भूल रहे है उस संस्कृति को विदेशों में अपनाने लगे है हम मॉडल बनने के चक्कर में अपनी संस्कृति भूलते जा रहे है।’

पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। इसे फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप पर भी वायरल किया जा रहा है। इस पोस्‍ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच के लिए सबसे पहले गूगल रिवर्स इमेज टूल का इस्‍तेमाल किया। यह तस्‍वीर हमें पुरानी तारीख में एक फेसबुक पेज पर अपलोड मिली। द लास्‍ट नेशनलिस्‍ट नाम के इस फेसबुक पेज पर इस तस्‍वीर को पश्चिम बंगाल के मायापुर के भक्तिवेदांत गुरुकुल की बताया गया। असली तस्‍वीर यहां देखी जा सकती है।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए गूगल ओपन सर्च टूल की मदद से भक्ति वेदांत गुरुकुल के बारे में सर्च करना शुरू किया। हमें उनकी वेबसाइट मिली। भक्ति वेदांत गुरुकुल इस्‍कॉन का ही एक संस्‍थान है। इसके बारे में विस्‍तार से यहां पढ़ा जा सकता है।

https://bhaktivedantaacademy.com/

इसके फेसबुक पेज पर कई ऐसी तस्‍वीरों को देखा जा सकता है, जिसमें बच्‍चों की वेशभूषा वायरल तस्‍वीर जैसी ही है।

पड़ताल के दौरान हमें एक यूट्यूब चैनल पर इसी गुरुकुल का एक वीडियो मिला। इसमें बच्‍चों को उसी वेशभूषा में देखा जा सकता है, जैसा कि वायरल तस्‍वीर में दिख रहा है। इसमें एक बच्‍चा अपने गुरुकुल के बारे में विस्‍तार से बताते हुए दिख रहा है। यह वीडियो तीन साल पहले अपलोड किया गया था।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए इस्‍कॉन मायापुर से संपर्क किया। उन्‍होंने वायरल तस्‍वीर को लेकर ईमेल किया। उनकी ओर से मुरलीधर प्रिया दास ने हमें बताया कि यह तस्‍वीर वेस्‍ट बंगाल के श्रीमायापुर स्थित मायापुर भक्तिवेदांत अकादमी की है।

पड़ताल के अंत में फर्जी पोस्‍ट करने वाले फेसबुक पेज ‘स्‍वयंसेवक’ की जांच की। पता चला कि इस पेज को एक लाख से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं। वहीं, लाइक करने वालों की तादाद 79 हजार है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में जर्मनी के नाम पर वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। मायापुर इस्‍कॉन के भक्तिवेदांत अकादमी की तस्‍वीर को जर्मनी का बताकर वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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