Fact Check: रूसी कलाकार की कलाकृति को पंजशीर पैलेस की पेंटिंग बताकर किया जा रहा है वायरल

पंजशीर महल में रखे जाने का दावा करते हुए साझा की जा रही पेंटिंग रूसी कलाकार की कलाकृति है। वायरल दावा फर्जी है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज): सोशल मीडिया में एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें एक पुरानी पेंटिंग को देखा जा सकता है। पोस्ट में यह दावा किया जा रहा है कि यह पेंटिंग भारतीय महाकाव्य महाभारत का एक दृश्य है और यह पेंटिंग अफगानिस्तान में पंजशीर पैलेस में मौजूद है। विश्वास न्यूज़ की जांच में पता चला कि पेंटिंग एक रूसी कलाकार की कलाकृति है। इसका अफगानिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पेज ‘चारपाल बनाम लोकपाल’ ने 19 सितंबर को इस पोस्ट को शेयर किया और साथ में दावा किया गया:” यह पेंटिंग पंज-शीर पैलेस में मौजूद है। यह महाभारत के समय से वर्तमान अफगानिस्तान में गांधार साम्राज्य में स्थित है। यूनेस्को ने इसे विरासत स्थल घोषित क्यों नहीं किया और यह सुनिश्चित किया कि इसे नष्ट न किया जाए?????????? ‘पंजशीर’ नाम मूल नाम ‘पंच शेर’ का एक अपभ्रंश है जिसका अर्थ है पांच (पंच) शेर (शेर)। पांच पांडव भाइयों के सम्मान में पेंटिंग और महल का निर्माण किया गया था। सभी एशियाई जानते हैं कि बौद्ध काल के अंत में भी गांधार पूरी तरह से हिंदू साम्राज्य था। यह तब मुस्लिम शिया संप्रदाय, आक्रमणकारियों पर गिर गया, जिन्होंने इसे तुरंत एक इस्लामी साम्राज्य में परिवर्तित कर दिया। हालांकि, यहां तक ​​कि उन्होंने हिंदू विरासत और शाही अवशेषों को भी नष्ट नहीं किया, जैसे कि यह पेंटिंग और कई अन्य मूल्यवान प्राचीन वस्तुएं जो गांधार में हिंदू संस्कृति को दर्शाती हैं। आज इस क्षेत्र को खंडारा कहा जाता है, जो अपने प्रसिद्ध अंतर-महाद्वीपीय बाजार के लिए जाना जाता है। खंडारा में अधिकांश हिंदू मंदिरों का अस्तित्व बना हुआ है, लेकिन अब सुन्नी-संप्रदाय के प्रभुत्व वाले तालिबानों ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। इतिहासकार जो वास्तव में भारत के इतिहास को जानते हैं, वास्तव में डरते हैं कि अफगानिस्तान में सभी हिंदू लोग और हिंदू यादगार नष्ट हो जाएंगे। इतिहास के इन मानव जीवित टुकड़ों के परिणामों पर विचार करने के लिए हमारे पास बहुत कम समय बचा है।”

पोस्ट और उसके आर्काइव वर्जन को यहां देखें।

पड़ताल:

विश्वास न्यूज ने गूगल रिवर्स इमेज सर्च के साथ अपनी जांच शुरू की। हमें ठीक ऐसी ही तस्वीर एक रूसी वेबसाइट आर्ट एसपीबी पर अपलोड की गई मिली।

हमने देखा कि इस पेंटिंग के नीचे एक नाम था, ‘रसिकानंद’ जिसका मतलब है कि इस कलाकृति के मूल कलाकार ‘रसिकानंद’ हैं।

हमने वेबसाइट पर कलाकार सेक्शन की जाँच की। हमें पता चला, ‘रसिकानंद का जन्म 1973 में कोम्सोमोल्स्क-ऑन-अमूर में हुआ था। उन्होंने कला विद्यालय से स्नातक किया। 1990 से 1993 तक उन्होंने व्लादिवोस्तोक आर्ट स्कूल में अध्ययन किया। 1993 से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन गृह बीबीटी (भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट) द्वारा पुस्तकों का चित्रण किया है। वे रूस के क्रिएटिव यूनियन ऑफ़ आर्टिस्ट्स और इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ आर्टिस्ट्स (IFA) के सदस्य भी हैं।’

विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खोज करने पर विश्वास न्यूज को कलाकार रसिकानंद का फेसबुक प्रोफाइल मिला।

रसिकानंद दास ने भी अपनी प्रोफ़ाइल पर एक पोस्ट साझा किया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी कलाकृति (वही पेंटिंग) झूठे दावों के साथ वायरल हो रही है।

जांच के अगले चरण में विश्वास न्यूज ने खुद कलाकार रसिकानंद से संपर्क किया।

विश्वास न्यूज से बात करते हुए, रसिकानंद दास ने कहा, “हरे कृष्ण! हाँ यह मेरी पेंटिंग है, मैंने इसे 1999 में सोची, दक्षिण रूस में बनाया था। इस दृष्टांत का विषय श्रीमद भागवतम, ७-वें सर्ग से है। यह पेंटिंग मेरी मूल रचना है और यह पंजशीर में बिल्कुल भी नहीं है। वायरल पोस्ट में जो कुछ भी लिखा है, वह सिर्फ एक फर्जी कहानी है।”

हमने यह भी जांचा कि पंजशीर या पंजशीर नाम से कोई महल है या नहीं। जांच के दौरान हमें ऐसी कोई जगह नहीं मिली।

जांच के अंतिम चरण में हमने चारपाल बनाम लोकपाल पोस्ट को साझा करने वाले एफबी पेज को स्कैन किया। इस पेज के 11,572 से अधिक फ़ॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: पंजशीर महल में रखे जाने का दावा करते हुए साझा की जा रही पेंटिंग रूसी कलाकार की कलाकृति है। वायरल दावा फर्जी है।

False
Symbols that define nature of fake news
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