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Fact Check: कोलकाता में फर्जी डॉक्टरों के रैकेट का भंडाफोड़ होने की ये खबर 2017 की है, हालिया नहीं

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। पता चला कि कोलकाता में फर्जी डॉक्टरों के रैकेट का भंडाफोड़ होने की ये घटना 2017 की है, हालिया नहीं।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें न्यूज चैनल NDTV की एक रिपोर्ट है। ये रिपोर्ट कोलकाता में पकड़े गए फर्जी डॉक्टरों के बारे में है। सोशल मीडिया यूजर इस घटना को हालिया बताकर इस वीडियो को शेयर कर रहे हैं।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा फर्जी निकला। कोलकाता में 2017 में फर्जी डॉक्टरों के रैकेट का भंडाफोड़ होने की रिपोर्ट को हालिया बताकर भ्रम फैलाया जा रहा है।

क्या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर Neeraj Jha ने 29 मई को इस वीडियो को  शेयर किया। उन्होंने इसे अपलोड करते हुए लिखा : ‘फर्जी शिक्षकों के बाद अब फर्जी डॉक्टर अलर्ट। कोलकाता में लगभग 560 फर्जी मेडिकल MBBS, MD डिग्रियां बेची गईं और बेलेव्यू, कोठारी आदि जैसे शीर्ष अस्पतालों से फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया। उनमें से एक को राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला। कोलकाता अब देश का नया क्राइम हब है।”

 पोस्ट का आर्काइव  वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

जांच के लिए हमने वीडियो को ठीक से देखा, इसमें न्यूज चैनल NDTV का लोगो देखा जा सकता है। हमने Kolkata+Doctors Racket Busted+NDTV जैसे कीवर्ड्स से गूगल ओपन सर्च किया तो हमें यह वीडियो 9 जून 2017 को एनडीटीवी के यूट्यूब चैनल पर अपलोड मिला। साथ में लिखा था “अनुवादित: बंगाल में एक महीने में 6 फर्जी डॉक्टर गिरफ्तार, 3 कोलकाता के शीर्ष अस्पतालों से। पिछले एक महीने में पश्चिम बंगाल में छह फर्जी डॉक्टर गिरफ्तार किए गए हैं। फर्जी एमबीबीएस सर्टिफिकेट बेचने के आरोप में सातवें व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, हुगली जिले में भी बड़ी मात्रा में नकली दवाइयां जब्त की गई हैं।”

हमें इससे  जुडी पूरी ख़बर एनडीटीवी की वेबसाइट पर भी 6 जून 2017 को पब्लिश मिली।

हमें इस मामले को लेकर खबरें कई और न्यूज पोर्टल्स पर भी मिलीं। क्विंट की 12  जून 2017 की खबर के अनुसार, “पश्चिम बंगाल में बीते 1 महीने में फर्जी डॉक्टरों के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है और अब तक फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के साथ काम करने वाले कम से कम सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सीआईडी ने कहा है कि कम से कम 500 और मेडिकल प्रैक्टिशनर जांच के दायरे में हैं।”

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्यूज ने  दैनिक जागरण के पश्चिम बंगाल के पत्रकार जेके वाजपेयी  से बात की। उन्होंने कन्फर्म किया कि ये मामला 2017 का है। हाल में ऐसा कोई घोटाला सामने नहीं आया है।

पड़ताल के अंत में विश्‍वास न्‍यूज ने फर्जी पोस्ट करने वाले यूजर ‘नीरज झा’ की जांच की। यूजर पटना के रहने वाले हैं और फेसबुक पर उनके 3500 से अधिक फॉलोअर्स हैं।  

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। पता चला कि कोलकाता में फर्जी डॉक्टरों के रैकेट का भंडाफोड़ होने की ये घटना 2017 की है, हालिया नहीं।

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