हमारी पड़ताल में हमने पाया कि यह दावा गलत है। असल में यह एक एडिटेड फोटो है। नॉरवे में स्थित दो चट्टानों के बीच में अटके एक पत्थर के फोटो पर एडिटिंग टूलस की मदद से इस शिवलिंग को चिपकाया गया है।
नई दिल्ली विश्वास न्यूज । सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रहा है, जिसमें दो चट्टानों के बीच अटके एक पत्थर के ऊपर एक शिवलिंग देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह दक्षिण भारत में मौजूद एक शिवलिंग की तस्वीर है। हमारी पड़ताल में हमने पाया कि यह दावा गलत है। असल में यह एक एडिटेड फोटो है। नॉर्वे में स्थित दो चट्टानों के बीच में अटके एक पत्थर के फोटो पर एडिटिंग टूल्स की मदद से इस शिवलिंग को चिपकाया गया है।
क्या हो रहा है वायरल?
वायरल पोस्ट में दो चट्टानों के बीच अटके एक पत्थर के ऊपर एक शिवलिंग को देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है, “#ओम्शिवा– #अद्भुत,#अकल्पनीय। ।।आरम्भ भी अंत भी,शांत भी प्रचंड भी ।। #दक्षिणीभारत में दो पहाड़ो के बीच स्थित शिवलिंग,देखो सनातनियों हमारे पूर्वजों ने कितनी मेहनत व कितनी अद्भुत महान वास्तुकला का हमे परिचय करवाया और विरासत में हमारे लिए इतने अद्भुत अजूबे हमारे लिए छोड़कर गए है। हमारा दुर्भाग्य ये रहा कि हमारे इतिहास के खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र रचे गए और इतिहास लेखन का कार्य #वामपंथियों को दिया गया और इन सब चीजों को उन्होंने सिर्फ दफन करने का कार्य किया है, आज इनको हमे हर व्यक्ति तक पहुचाने की आवश्यकता है, और इनको संरक्षण दिलवाना हमारा कर्तव्य है। जागो हिन्दू जागो हिन्दू जगेगा देश जगेगा देश बचेगा।”
इस पोस्ट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।
पड़ताल
पोस्ट में इस शिवलिंग को दक्षिण भारत का बताया गया है इसलिए हमने कीवर्ड्स की मदद से दक्षिण भारत के सभी प्रसिद्ध शिवलिंगों के बारे में ढूंढा। हमने पाया कि पूरे दक्षिण भारत में कई जाने-माने शिव मंदिर हैं। यहां तक कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग भी दक्षिण भारत के तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में स्थित हैं। पर इनमें से कोई भी जाना-माना शिवलिंग वायरल इमेज से मिलता-जुलता नहीं है।
हमने इस विषय में तमिलनाडु स्थित रामेश्वरम मंदिर के मुख्य प्रशासन प्रबंधक राजा राम पंत से संपर्क साधा। उन्होंने कहा, “यह तस्वीर रामेश्वरम मंदिर की नहीं है। मेरी जानकारी में ऐसा कोई शिवलिंग तमिलनाडु में नहीं है।” उन्होंने हमें आंध्र प्रदेश के मल्लिकार्जुन मंदिर के संचालक, स्वामी नारायण का नंबर भी दिया। स्वामी नारायण ने फ़ोन पर हमसे बात करते हुए कन्फर्म किया, “यह शिवलिंग असली नहीं लग रहा है। ऐसा कोई शिवलिंग भारत में मैंने नहीं देखा।”
इसके बाद हमने वायरल तस्वीर का स्क्रीनशॉट लिया और उसे गूगल रिवर्स इमेज पर ढूंढा। हमें हूबहू यही तस्वीर amongraf.ro पर मिली। पर इस तस्वीर में शिवलिंग नहीं था। खबर के अनुसार, यह तस्वीर नॉर्वे के जेराँग में स्थित मैजिस्टिक हैंगिंग स्टोन की है।
इसके बाद हमने “MAJESTIC HANGING STONE, KJERAG, NORWAY” कीवर्ड के साथ ढूंढा। हमें इस हैंगिंग स्टोन के कई फोटो मिले, जिससे साफ़ हुआ कि वायरल तस्वीर एडिटेड है। असली तस्वीर नॉर्वे के जेराँग पहाड़ श्रृंखला में स्थित हैंगिंग स्टोन की है, जिसके ऊपर एडिटिंग टूल्स की मदद से शिवलिंग को चिपकाया गया है, और गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
इस गलत पोस्ट को कई लोगों ने शेयर किया, जिनमें से एक हैं फेसबुक पेज ‘हिन्दू साम्राज्य’, जिनकी पोस्ट की हमने पड़ताल की। पेज के 1577 फ़ॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में हमने पाया कि यह दावा गलत है। असल में यह एक एडिटेड फोटो है। नॉरवे में स्थित दो चट्टानों के बीच में अटके एक पत्थर के फोटो पर एडिटिंग टूलस की मदद से इस शिवलिंग को चिपकाया गया है।
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