Fact Check: मंगल ग्रह पर लैंड हुए नासा के परसिवरेंस रोवर की नहीं है वायरल वीडियो व आवाज

वायरल वीडियो में नजर आ रहा रोवर न तो परसिवरेंस रोवर है और न ही इसमें सुनाई दे रही आवाज इस रोवर से रिकॉर्ड की गई है। वायरल वीडियो क्युरियोसिटी रोवर का पुराना वीडियो है और इसके पीछे एडिटिंग की मदद से रैंडम आवाज डाल दी गई है। लिहाजा वायरल पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा फर्जी है।

Fact Check: मंगल ग्रह पर लैंड हुए नासा के परसिवरेंस रोवर की नहीं है वायरल वीडियो व आवाज

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। नासा के परसिवरेंस रोवर के 18 फरवरी को मंगल ग्रह पर सफल लैंडिंग के बाद से ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि परसिवरेंस रोवर ने मार्स यानी कि मंगल ग्रह से पहला वीडियो और ऑडियो भेजा है।

विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा गलत है। परसिवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह से पैनोर्मिक वीडियो व ऑडियो जरूर भेजा है, लेकिन वायरल वीडियो परसिवरेंस रोवर का नहीं, बल्कि साल 2011 में मंगल ग्रह पर भेजे गए क्युरियोसिटी रोवर का है, जबकि वीडियो के साथ मौजूद आवाज न तो क्युरियोसिटी रोवर से रिकॉर्ड की गई है और न ही परसिवरेंस रोवर से।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर David Hersh ने यह वीडियो शेयर करते हुए अंग्रेजी में कैप्शन लिखा, जिसका हिंदी अनुवाद है: पहली बार हमने मंगल ग्रह पर माइक्रोफोन भेजा है, यह मंगल ग्रह पर रिकॉर्ड की गई पहली आवाज है।

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने पड़ताल की शुरुआत करते हुए सबसे पहले इनविड टूल की मदद से वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स काटे और इनमें से एक को गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद से ढूंढा। हमें नासा की वेबसाइट पर 4 मार्च 2020 को पब्लिश हुई एक रिपोर्ट मिली, जिसमें नासा के क्युरियोसिटी रोवर से भेजी गई हाई रिजोल्यूशन पैनोरमा वीडियो के बारे में बताया गया था। इस​ रिपोर्ट में वीडियो भी मौजूद था।

जब हमने इस वीडियो को ध्यान से देखा तो कई जगह यह वीडियो वायरल वीडियो से मेल खाता दिखा। खासकर वीडियो में नजर आ रहा रोवर, वायरल वीडियो में दिख रहे रोवर से हू—ब—हू मेल खाता है।

हमें वायरल वीडियो का ही 26 सेकंड लंबा वर्जन ट्विटर पर भी मिला, जिसे यूजर ने परसिवरेंस रोवर का होने का दावा किया था। इस वीडियो के साथ सुनाई दे रही आवाज फेसबुक पर मौजूद वायरल वीडियो से अलग है। इस वीडियो के आखिर के फ्रेम्स में हमें क्युरियोसिटी लिखा हुआ मिला। क्युरियोसिटी रोवर से भेजे गए पैनोर्मिक वीडियो में भी इसी फॉन्ट और लोगो के साथ क्युरियोसिटी लिखा दिखा।

हमने इंटरनेट पर नासा के परसिवरेंस रोवर से भेजे गए पैनोर्मिक वीडियो और ऑडियो के बारे में सर्च किया तो हमें नासा की वेबसाइट पर 22 फरवरी को अपडेट हुआ एक आर्टिकल मिला। इस आर्टिकल में परसिवरेंस रोवर का वीडियो और ऑडियो दोनों सुना जा सकता है। वायरल वीडियो में सुनाई दे रहे ऑडियो से यह ऑडियो बिल्कुल अलग है।

हमने परसिवरेंस रोवर के टॉप व्यू को वायरल वीडियो में दिख रहे रोवर से कम्पेयर किया तो पाया कि यह दोनों अलग-अलग रोवर हैं। खासकर परसिवरेंस रोवर और वायरल वीडियो में दिख रहे रोवर के सन डायल की पोजिशन अलग-अलग है। लिहाजा यह स्पष्ट है कि वायरल वीडियो परसिवरेंस रोवर का नहीं, बल्कि क्युरियोसिटी रोवर का है।

फेसबुक पर वायरल वीडियो के पीछे सुनाई दे रही आवाज रैंडम ऑडियो है, यह ऑडियो मार्स पर परसिवरेंस रोवर से रिकॉर्ड की गई ऑडियो से काफी अलग है। गौरतलब है कि परसिवरेंस रोवर के जरिए मंगल ग्रह पर पहली बार माइक्रोफोन भेजा गया है।

हालांकि, ट्विटर पर वायरल वीडियो के साथ सुनाई दे रही आवाज के बारे में जब हमने सर्च किया तो हमने पाया कि यह आवाज नासा के मंगल ग्रह पर भेजे गए इनसाइट लैंडर के सेसमोमीटर से रिकॉर्ड हुई संभावित भूकंप की आवाज थी। नासा ने इसकी जानकारी अप्रैल 2019 में एक रिपोर्ट के जरिए दी थी।

ज्यादा जानकारी के लिए हमने नासा के सीनियर कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट एलाना आर जॉनसन से ईमेल के जरिए संपर्क किया। हमने उन्हें वायरल वीडियो भी भेज, जिसे देखने के बाद जॉनसन ने बताया कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है। यह वीडियो परसिवरेंस रोवर का नहीं है। परसिवरेंस रोवर से जुड़ी ताजा जानकारी नासा की वेबसाइट या फिर आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स के जरिए प्राप्त की जा सकती है।

अब बारी थी फेसबुक पर इस वीडियो को शेयर करने वाले यूजर David Hersh के बारे में जानने की। इस यूजर की प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि यूजर यूएस के रोचेस्टर का रहने वाला है।

निष्कर्ष: वायरल वीडियो में नजर आ रहा रोवर न तो परसिवरेंस रोवर है और न ही इसमें सुनाई दे रही आवाज इस रोवर से रिकॉर्ड की गई है। वायरल वीडियो क्युरियोसिटी रोवर का पुराना वीडियो है और इसके पीछे एडिटिंग की मदद से रैंडम आवाज डाल दी गई है। लिहाजा वायरल पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा फर्जी है।

False
Symbols that define nature of fake news
पूरा सच जानें...

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

Related Posts
नवीनतम पोस्ट