Fact Check: यह नेशनल जियोग्राफिक मैग्जीन का कवर पेज नहीं, झूठा दावा हो रहा वायरल

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ये तस्वीर नेशनल जियोग्राफिक मैग्जीन का कवर नहीं है। इसे किसान आंदोलन के दौरान सृजनशीलता और कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए तैयार किया गया है।

Fact Check: यह नेशनल जियोग्राफिक मैग्जीन का कवर पेज नहीं, झूठा दावा हो रहा वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसे नेशनल जियोग्राफिक मैग्जीन का कवर पेज बताकर शेयर किया जा रहा है। इस कवर पेज पर पगड़ी पहनते एक शख्स की तस्वीर है और इसे हालिया किसान आंदोलनों पर आधारित बताया रहा है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा झूठा निकला है। एडिट कर बनाई गई इस तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

क्या हो रहा है वायरल

विश्वास न्यूज को अपने फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर भी फैक्ट चेक के लिए ये तस्वीर मिली है। विश्वास न्यूज को ट्विटर पर भी यही दावा मिला। यूजर इसे नेशनल जियोग्राफिक का कवर पेज बताकर शेयर कर रहे हैं। ऐसे ही एक ट्वीट में इस तस्वीर को शेयर करते हुए अंग्रेजी में लिखा गया है, ‘गोदी मीडिया आपको कभी ये नहीं दिखाएगा।’

इस ट्वीट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने सबसे पहले नेशनल ज्योग्राफिक मैग्जीन के कवर पेज के रूप में शेयर की जा रही इस तस्वीर को गौर से देखा। हमने नेशनल जियोग्राफिक मैग्जीन की आधिकारिक वेबसाइट (https://www.nationalgeographic.com/magazine/) पर इस कवर पेज को तलाशने की कोशिश की। लेकिन हमें ऐसा कोई कवर पेज नहीं मिला। असल मैग्जीन और इस वायरल तस्वीर में लोगो, फॉन्ट, स्टाइलशीट इत्यादि में भी काफी ज्यादा फर्क है। मैग्जीन के पिछले चार इशू में से कोई भी भारत के हालिया किसान आंदोलनों से जुड़ा हुआ नहीं है। नेशनल ज्योग्राफिक मैग्जीन के वर्तमान और पिछले 3 इशू के स्क्रीनशॉट को यहां नीचे देखा जा सकता है।

हमने इस कथित कवर पेज में मौजूद शख्स की तस्वीर को क्रॉप कर उसपर गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल का इस्तेमाल किया। हमें इस तस्वीर से जुड़े ढेरों परिणाम मिले। हमें आउटलुक और thequint.com पर मौजूद रिपोर्ट में बिल्कुल यही तस्वीर मिली। दोनों जगहों पर इस तस्वीर के लिए पीटीआई फोटोजर्नलिस्ट रवि चौधरी को क्रेडिट दिया गया है। क्विंट की रिपोर्ट में बताया गया है कि किसान की ये तस्वीर 12 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर पर ली गई है।

क्विंट की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट।

विश्वास न्यूज को कथित कवर पेज बताकर शेयर की जा रही इस तस्वीर पर @anoopreet लिखा हुआ मिला। हमने इसे इंटरनेट पर सर्च किया, तो हम anoopreet नाम के इंस्टाग्राम हैंडल पर पहुंचे। हमें ये तस्वीर अनुप्रीत के इंस्टाग्राम पोस्ट में मिली। इस पोस्ट में दो तस्वीरों का कोलाज शेयर किया गया है। पहली तस्वीर में नेशनल जियोग्राफिक कवर पेज पर एक लड़की दिख रही है, जबकी कोलाज का दूसरा हिस्सा वायरल तस्वीर का है। anoopreet ने इस पोस्ट में बताया है कि यह पोस्टर मशहूर ‘अफगान गर्ल’ शरबत गुला पर आधारित है। हमें कोलाज में इस्तेमाल की गई यह तस्वीर नेशनल जियोग्राफिक की आधिकारिक वेबसाइट पर 12 दिसंबर 2017 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में भी मिली, जो अफगानिस्तान की मशहूर रिफ्यूजी शरबत गुला पर आधारित है। नेशनल जियोग्राफिक ने जून 1985 के अपने मैग्जीन कवर पेज पर शरबत की तस्वीर प्रकाशित की थी, जो काफी चर्चित रही। इस लिंक पर जाकर नेशनल जियोग्राफिक की यह रिपोर्ट देखी जा सकती है।

नेशनल जियोग्राफिक की साइट पर मौजूद रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट।

anoopreet के पोस्ट में लिखा है कि कोलाज के वायरल तस्वीर वाले हिस्से को नेशनल जियोग्राफिक के अफगान गर्ल वाले कवर प्रेज से प्रभावित होकर बनाया गया है। उनके मुताबिक सृजनशीलता और कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए नेशनल जियोग्राफिक के कवर पेज की तरह एक तस्वीर तैयार की गई है। इस पोस्ट में भी तस्वीर का क्रेडिट रवि चौधरी को देते हुए उन्हें टैग भी किया गया है। इस इंस्टाग्राम पोस्ट को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

इंस्टाग्राम पोस्ट का स्क्रीनशॉट।

हमें रवि चौधरी के आधिकारिक इंस्टाग्राम पेज पर भी ये तस्वीर मिली। इसे यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

इंस्टाग्राम पोस्ट का स्क्रीनशॉट।

विश्वास न्यूज ने इस मामले को और भी स्पष्ट करने के लिए anoopreet से उनके इंस्टाग्राम पेज के जरिए संपर्क किया। अनुप्रीत ने बताया कि ये काल्पनिक तस्वीर है और उन्होंने इस बाबत अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में भी बताया है। उनके मुताबिक ये तस्वीर सृजनशीलता और कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए तैयार की गई है। विश्वास न्यूज ने इस वायरल तस्वीर को मेल के जरिए नेशनल जियोग्राफिक के साथ भी शेयर किया और इस बारे में आधिकारिक जानकारी मांगी। नेशनल ज्योग्राफिक ने भी स्पष्ट किया कि उन्होंने मैग्जीन के किसी इशू के लिए वायरल तस्वीर वाला कवर पेज नहीं बनाया। उन्होंने इसे फर्जी बताया है।

विश्वास न्यूज ने इस वायरल तस्वीर को शेयर करने वाली Rana Chahal नाम की ट्विटर प्रोफाइल को स्कैन किया। यह प्रोफाइल मार्च 2019 में बनाई गई है और यूजर भटिंडा, पंजाब के रहने वाले हैं। फैक्ट चेक किए जाने तक इस प्रोफाइल के 29 फॉलोअर्स थे।

निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ये तस्वीर नेशनल जियोग्राफिक मैग्जीन का कवर नहीं है। इसे किसान आंदोलन के दौरान सृजनशीलता और कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए तैयार किया गया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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