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Fact Check: हर साल खिलने वाले फूल ब्रह्म कमल को ‘लॉकडाउन के दौरान खिला दुर्लभ फूल’ बता कर किया जा रहा है वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में ब्रह्मकमल खिलने वाली पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। पुराने वीडियो को अब कुछ लोग कोरोना के कारण कम हुए प्रदूषण से जोड़कर वायरल कर रहे हैं। यह फूल उत्तराखंड में हर साल खिलता है।

  • By: Pallavi Mishra
  • Published: May 5, 2020 at 05:32 PM
  • Updated: Aug 30, 2020 at 07:53 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)।सोशल मीडिया पर आज कल एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक व्यक्ति एक सफ़ेद फूल के बगीचे में खड़ा है और बता रहा है कि यह सफेद रंग के फूल ब्रह्म कमल है। इस वीडियो को काफी लोग शेयर कर रहे हैं। वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि इस फूल का नाम ‘ब्रह्म कमल’ है और यह फूल लॉकडाउन के चलते कम प्रदूषण की वजह से उत्तराखंड में कई सालों बाद खिला है। हमने अपनी पड़ताल में पाया कि असल में वीडियो में नजर आ रहे फूल का नाम ब्रह्म कमल ही है मगर यह फूल उत्तराखंड में हर साल खिलता है।

क्या हो रहा है वायरल?

वायरल वीडियो में एक व्यक्ति एक सफ़ेद फूल के बगीचे में खड़ा है और बता रहा है कि यह सफेद रंग के फूल ब्रह्म कमल है। वीडियो के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “#उत्तराखंड की घटना यह अनहोनी घटना सदियों बाद हुई है। कभी न दिखाई देनेवाला देव पुष्प ब्रह्मकमल जिसके दर्शन मात्र से पुण्य की प्राप्ति होती है, लॉकडाऊन में वहीं ब्रह्मकमल प्रदुषण कम होने के चलते प्रकृति के करवट लेते ही देवभूमि उत्तराखंड की वादियों में लाखों की संख्या में खिला है।”

इस पोस्ट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

इस वायरल पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने इस वीडियो को InVID टूल पर डाला और इस वीडियो के की-फ्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज सर्च पर सर्च किया। हमें यूट्यूब पर 10 दिसंबर 2017 को अपलोडेड इसी वीडियो का बड़ा वर्जन मिला। साफ़ था कि यह वीडियो कोरोना वायरस के चलते चल रहे लॉकडाउन के दौरान का नहीं, बल्कि पुराना है।

अब हमें पता करना था कि क्या ब्रह्मकमल कई सालों में एक बार खिलता है? हमने इंटरनेट बार ढूंढा तो हमें पता चला कि ब्रह्म कमल का साइंटिफिक नाम है सौसरिया ओब्लाटा (Saussurea obvallata)। www.ias.ac.in के एक आर्टिकल के अनुसार, यह फूल हर साल बरसात के मौसम में हिमालय की घाटियों में खिलता है।

ज़्यादा पुष्टि के लिए हमने दिल्ली विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर आर गीता से बात की। उन्होंने हमें बताया, “सौसरिया के फूल हर साल खिलते हैं।”

प्रोफेसर आर गीता ने ज़्यादा पुष्टि के लिए हमें सौसरिया की विशेषज्ञ श्रुति कसाना से कनेक्ट किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग में सहायक प्रोफेसर (अतिथि संकाय) श्रुति कसाना ने इस फूल पर ज़्यादा जानकारी देते हुए हमें बताया “मैंने यह फ़ेसबुक पोस्ट देखा और मैं यकीन से कह सकती हूँ कि यह पौधा सौसरिया ओब्लाटा (सामान्य नाम: ब्रह्म कमल) है। यह उत्तराखंड में अधिकतम उगने वाला फूल है और हिमालय क्षेत्र में 3000 से 4800 मीटर की ऊंचाई पर बहुतायत से उगता है। चूंकि इस पौधे का स्थानीय लोगों द्वारा धार्मिक प्रथाओं में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है और इसके औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग भी किया जाता है, इसलिए यह फूल वर्तमान में दुर्लभ है। मैं पिछले तीन वर्षों से व्यक्तिगत रूप से इस पौधे का अवलोकन कर रही हूं, यह कहना गलत है कि यह कई वर्षों के बाद खिलता है। सौसरिया ओब्लाटा के फूल सालाना खिलते हैं। फूलों की अवधि जुलाई से सितंबर के महीने तक होती है।”

इस पोस्ट को ‘हमारी मातृभूमि” नाम के एक फेसबुक पेज ने शेयर किया है। इस पेज के 3,156 फ़ॉलोअर्स हैं।

Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या ) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं, और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में ब्रह्मकमल खिलने वाली पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। पुराने वीडियो को अब कुछ लोग कोरोना के कारण कम हुए प्रदूषण से जोड़कर वायरल कर रहे हैं। यह फूल उत्तराखंड में हर साल खिलता है।

  • Claim Review : यह अनहोनी घटना सदियों बाद हुई है। कभी न दिखाई देनेवाला देव पुष्प ब्रह्मकमल जिसके दर्शन मात्र से पुण्य की प्राप्ति होती है, लॉकडाऊन में वहीं ब्रह्मकमल प्रदुषण कम होने के चलते प्रकृति के करवट लेते ही देवभूमि उत्तराखंड की वादियों में लाखों की संख्या में खिला है।
  • Claimed By : हमारी मातृभूमि
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