Fact Check: पंडित जवाहर लाल नेहरू के बारे में किया जा रहा ये दावा फर्जी है

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में इस दावे को गलत पाया गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू की ये तस्वीर जनवरी 1962 में चीन युद्ध से पहले पटना में हुए कांग्रेस अधिवेशन की है, जहां वह हंगामा कर रही भीड़ को रोकने बढ़ रहे थे, तभी एक सुरक्षाकर्मी ने उन्हें पीछे से पकड़ लिया था।  

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को लेकर एक गलत दावा वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया यूजर पंडित नेहरू की एक पुरानी तस्वीर को शेयर कर दावा कर रहे हैं कि पंडित नेहरू को स्वामी विद्यानंद विदेह नामक एक संत ने थप्पड़ मारा था। दावे के मुताबिक, वायरल तस्वीर तब क्लिक की गई, जब थप्पड़ के बाद नेहरू प्रतिक्रिया देने वाले थे, लेकिन उन्हें पकड़ लिया गया।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में इस दावे को गलत पाया गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू की ये तस्वीर जनवरी 1962 में चीन युद्ध से पहले पटना में हुए कांग्रेस अधिवेशन की है, जहां वह हंगामा कर रही भीड़ को रोकने बढ़ रहे थे, तभी एक सुरक्षाकर्मी ने उन्हें पीछे से पकड़ लिया था।  

क्या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर Sanjay Prashant (संजय प्रशांत) ने 15 नवंबर को यह तस्वीर शेयर की और साथ में लिखा “जब नेहरू के मुँह पर झन्नाटेदार झापड़ मारा गया था स्वामी विद्यानंद विदेह के द्वारा। कारण.. नेहरू ने एक समारोह के अपने भाषण में कहा कि “हिन्दू आर्य समाज” के लोग हिंदुस्तान में शरणार्थी हैं।इतना सुनते ही स्वामी विद्यानंद विदेह जी उस समारोह के मुख्य अतिथि थे, उठे और मंच पर ही नेहरू को एक झन्नाटेदार झापड़ रसीद कर दिया और माइक छीनते हुए कहा कि …”आर्य समाज” के लोग शरणार्थी नहीं, ये हमारे पूर्वज हैं और इस देश के मूलनिवासी हैं । तुम्हारे ही पूर्वज “अरेबिक” हैं, और तुम्हारे शरीर में “अरब” का खून बह रहा है। तुम इस महान देश के मूल निवासी नहीं.. तुम हो शरणार्थी…। साथ ही कहा कि “काश सरदार पटेल इस देश के प्रधानमंत्री होते तो यह सब देखना न पड़ता।” (मंच पर अफरातफरी मच गई उसी समय की दुर्लभ फोटो, जो फोटोग्राफर ने बहुत मुश्किल से फिल्म की रील अपनी पेंट में छिपा कर रख ली थी)”

इस पोस्ट के आर्काइव  वर्जन को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

यह दावा इस तस्वीर के साथ एक बार पहले भी वायरल हुआ था। उस समय विश्वास न्यूज ने उस पोस्ट की भी जांच की थी। उस समय जब वायरल पोस्ट में दिए गए कीवर्ड्स से इस दावे को सर्च किया गया, तो हमें पता चला कि ये तस्वीर लंबे समय से सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर की जा रही है।

विश्वास न्यूज ने जब इस तस्वीर पर गूगल लेंस सर्च किया, तो हमें यह वायरल तस्वीर आउटलुक की वेबसाइट पर पंडित नेहरू से जुड़ी एक फोटो गैलरी में मिली। इस तस्वीर के लिए आउटलुक ने AP को क्रेडिट देते हुए लिखा था “दंगे पर उतारू भीड़ के सामने जाते नेहरू को रोका गया।” यहाँ कहीं भी थप्पड़ मरे जाने का जिक्र नहीं था। 

गूगल ओपन सर्च में कीवर्ड्स से सर्च करने पर हमें यह तस्वीर AP की वेबसाइट पर मौजूद आर्काइव में भी मिली। AP की वेबसाइट पर बताया गया है कि ये तस्वीर चीन युद्ध से पहले जनवरी 1962 की है। ये तस्वीर पटना में कांग्रेस पार्टी की बैठक के दौरान ली गई थी। AP के मुताबिक, दंगाई भीड़ से नेहरू को बचाने के लिए एक सुरक्षाकर्मी ने उन्हें पकड़ लिया था।

विश्वास न्यूज की अब तक की पड़ताल से ये साबित हो चुका था कि पंडित नेहरू की यह तस्वीर पटना में हुए कांग्रेस के अधिवेशन की है और नेहरू को किसी ने थप्पड़ नहीं मारा था, बल्कि उन्हें भीड़ में जाने से रोका गया था।

वायरल पोस्ट में स्वामी विद्यानंद विदेह के नाम का जिक्र है। हमने गूगल सर्च किया तो हमें पता चला कि वे वेद संस्थान के फाउंडर थे। ढूंढ़ने पर हमें वेद संस्थान (veda-sansthan.org) की वेबसाइट मिली । इस वेबसाइट पर हमें स्वामी विद्यानंद विदेह की जीवनी मिली। इस जीवनी में कहीं भी पंडित नेहरू के साथ जुड़ी वायरल दावे जैसी किसी घटना का कोई जिक्र नहीं है। अगर इस तरह की कोई घटना हुई होती, तो इस जीवनी में या किसी प्रामाणिक मीडिया रिपोर्ट में इसका जिक्र जरूर होता। हालांकि,  हमें ऐसी कोई भी प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली।

विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को लेकर कांग्रेस को कवर करने वाले अनुभवी पत्रकार रशीद किदवई से बात की। उन्होंने हमें बताया “पोस्ट में शेयर की गई तस्वीर 1962 में बिहार के पटना में कांग्रेस पार्टी की एक बैठक के दौरान ली गई थी। फोटो में दिखाया गया है कि एक सुरक्षाकर्मी जवाहरलाल नेहरू को पटना की बैठक में दंगाई भीड़ में जाने से रोकने के लिए पकड़ रहा है। ऐसी कोई पुष्ट समाचार रिपोर्ट नहीं है जो यह दर्शाती हो कि स्वामी विद्यानंद विदेह ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में जवाहरलाल नेहरू को थप्पड़ मारा था।”

विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर संजय प्रशांत की प्रोफाइल को स्कैन किया। यूजर बिहार के आरा के रहने वाले हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में इस दावे को गलत पाया गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू की ये तस्वीर जनवरी 1962 में चीन युद्ध से पहले पटना में हुए कांग्रेस अधिवेशन की है, जहां वह हंगामा कर रही भीड़ को रोकने बढ़ रहे थे, तभी एक सुरक्षाकर्मी ने उन्हें पीछे से पकड़ लिया था।  

False
Symbols that define nature of fake news
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