Fact Check: कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा बंगाल में महिला से मारपीट का बताकर वायरल की जा रही तस्वीरें असल में असम की हैं और पुरानी हैं

असम में 2007 में हुई एक घटना की तस्वीरों को गलत दावे के साथ बंगाल का बताकर शेयर किया जा रहा है।

Fact Check: कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा बंगाल में महिला से मारपीट का बताकर वायरल की जा रही तस्वीरें असल में असम की हैं और पुरानी हैं

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज): सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से शेयर की जा रही एक पोस्ट में कुछ संवेदनशील तस्वीरों को शेयर किया जा रहा है, जिनमें कुछ पुरुषों के एक समूह द्वारा एक महिला को सड़कों पर पीटते हुए दिखाया गया है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि तस्वीरें पश्चिम बंगाल की हैं, जहां “कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एक हिंदू महिला की इसलिए पिटाई की, क्योंकि उसने कांग्रेस की एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में नारे लगाए थे।”
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में इस दावे को झूठा पाया। वायरल तस्वीरें 2007 में असम में हुई एक घटना की हैं।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फ़ेसबुक यूज़र राष्ट्रवादी धीरज कुमार राठौर ने अपने फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल पर संवेदनशील तस्वीरें पोस्ट कीं और लिखा: ममता बनर्जी सरकार में कोई कानून नाम का काम नहीं है, है तो बस जेहाद।

तस्वीर के ऊपर लिखा है: “बंगाल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एक हिंदू महिला को भगाया और बेरहमी से पीटा। उनकी एकमात्र गलती: उन्होंने कांग्रेस की एक रैली में बीजेपी और मोदी जिंदाबाद के नारे लगाए। पोस्ट को शेयर करें और कांग्रेस का असली चेहरा दुनिया के सामने बेनकाब करें।”

पोस्ट और इसका आर्काइव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल:

विश्वास न्यूज ने गूगल लेंस की मदद से तस्वीरों को सर्च कर अपनी पड़ताल शुरू की।

हमें नॉर्थईस्ट नाउ पर 2 सितंबर, 2018 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली, जिसमें यह तस्वीर थी। इस खबर का शीर्षक था: गुवाहाटी में आदिवासी लड़की को बेइज़्ज़त करती भीड़ की तस्वीरें एक दशक बाद सोशल मीडिया पर फिर से उभरीं।

रिपोर्ट में लिखा गया है: यह 24 दिसंबर, 2007 को गुवाहाटी में ली गई एक तस्वीर थी। घटना गुवाहाटी के बेलटोला-सर्वे रोड पर हुई थी। युवा आदिवासी लड़की को अपने जीवन बचने के लिए सड़कों पर भागना पड़ा, जब कुछ दंगाइयों ने उसे निर्वस्त्र कर दिया। जब वह अपनी जान और इज्जत बचाने के लिए सड़क पर दौड़ रही थी, तभी कुछ लोगों ने घटना की तस्वीरें ले लीं।

हमें इसी घटना के बारे में एक रिपोर्ट 27 नवंबर, 2007 को छपे टाइम्स ऑफ इंडिया में भी मिली।

हमें न्यूज़क्लिक की वेबसाइट पर भी इस मामले एक रिपोर्ट मिली, जिसका शीर्षक था: Remembering Laxmi Orang: The Predicament of the Gender Question in Assam.

हमें ये तस्वीरें हेडलाइंस टुडे की वीडियो रिपोर्ट पर भी मिलीं, जिसका शीर्षक है: अनुवाद: पीड़िता ने असम छेड़छाड़ मामले में न्याय की गुहार लगाई।

हालांकि, ढूंढ़ने पर हमने पाया कि ऐसी ही एक घटना 2021 में पश्चिम बंगाल में हुई थी। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार: अलीपुरद्वार जिले में एक 35 वर्षीय आदिवासी महिला को ग्रामीणों द्वारा नग्न घुमाया गया और पीटा गया, क्योंकि “उसने अपने पति को किसी और पुरुष के लिए छोड़ दिया था”। रिपोर्ट प्रकाशित होने तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जबकि प्राथमिकी में नामजद आठ अन्य फरार थे।

पड़ताल के अगले चरण में हमने कोलकाता में एनडीटीवी के ब्यूरो चीफ सौरभ गुप्ता से बात की। गुप्ता ने कहा, ‘बंगाल में ऐसी किसी घटना की सूचना नहीं है। यह पूरी तरह से फेक न्यूज आइटम है।”

पड़ताल के आखिरी चरण में हमने फेसबुक पर इस पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर की सामाजिक पृष्ठभूमि की जांच की। राष्ट्रवादी धीरज कुमार राठौड़ रतलाम के रहने वाले हैं और एक राजनीतिक दल से संबंध रखते हैं।

निष्कर्ष: असम में 2007 में हुई एक घटना की तस्वीरों को गलत दावे के साथ बंगाल का बताकर शेयर किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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