विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। वायरल वीडियो में थर्मोकोल के जरिए चीनी नहीं बनाई जा रही है, बल्कि थर्मोकोल को रिसाइकिल किया जा रहा है। जिसे लोग गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो इन दिनों तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में एक मशीन दिखाई दे रही है, जिसमें एक शख्स थर्मोकोल डालता है और दूसरी तरफ से चीनी जैसा दिखने वाला एक छोटा और चमकदार पदार्थ निकलता हुआ नजर आता है। इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि लोग थर्मोकोल के जरिए नकली चीनी बना रहे हैं। विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। वायरल वीडियो में थर्माकोल के जरिए चीनी नहीं बनाई जा रही है, बल्कि थर्मोकोल को रिसाइकिल किया जा रहा है। जिसे लोग गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।
फेसबुक यूजर Rajendra Bhandari ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है कि थर्मोकोल से नकली शक्कर बन रही हैं ऐसे लोगों पर सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। जो लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं।
यहां वायरल मैसेज को ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है। ट्विटर पर भी यूजर्स इस दावे को शेयर कर रहे हैं। पोस्ट से जुड़े आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने वीडियो को कुछ कीफ्रेम्स में बदला। फिर हमने उन कीफ्रेम्स को गूगल पर कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल वीडियो Entrepreneur India TV नामक यूट्यूब चैनल पर 19 अक्टूबर 2020 को अपलोड मिला। वीडियो में दी गई जानकारी के मुताबिक, वायरल वीडियो माइक्रो गार्टेक्स इंडस्ट्री का है। जहां पर थर्मोकोल की रिसाइकिलिंग की जाती है। इस कंपनी के मालिक शांतिलाल जैन वीडियो में बताते हुए नजर आ रहे हैं कि किस तरह से थर्मोकोल की रिसाइकिलिंग का बिजनेस शुरू किया जा सकता है और मुनाफा कमाया जा सकता है।
अधिक जानकारी के लिए हमने माइक्रो गार्टेक्स इंडस्ट्री के मालिक शांतिलाल जैन और उनके बेटे स्वयं जैन से संपर्क किया। हमने वायरल वीडियो को वॉट्सऐप के जरिए उनके साथ शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। कोई भी थर्मोकोल के जरिए चीनी नहीं बना सकता है। लोग वीडियो को गलत जानकारी के साथ शेयर कर रहे हैं। हम थर्मोकोल की रिसाइकिलिंग का बिजनेस करते हैं। ये वीडियो उसी का है। वीडियो में नजर आ रहे दाने प्लास्टिक के हैं और इन दानों से हम प्लास्टिक की ही चीजें बनाते हैं।
उन्होंने हमारे साथ अपना एक वीडियो भी शेयर किया। जिसमें वो बताते हुए नजर आ रहे हैं कि वायरल दावा गलत है। साथ ही वह यह भी बता रहे हैं कि थर्मोकोल प्लांट में रिसाइकिलिंग किस तरह से होती है।
पड़ताल के अंत में हमने इस पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Rajendra Bhandari की सोशल स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि यूजर के फेसबुक पर 200 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। यूजर का अकाउंट मार्च 2012 से सक्रिय है। Rajendra Bhandari राजस्थान के मारवाड़ रहने वाले हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। वायरल वीडियो में थर्मोकोल के जरिए चीनी नहीं बनाई जा रही है, बल्कि थर्मोकोल को रिसाइकिल किया जा रहा है। जिसे लोग गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।
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