विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की तो सच्चाई सामने आ गई। दरअसल यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है। हिसार के हांसी में यह पेड़ मौजूद है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर 30 सेकंड का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें बरगद के पेड़ को हवा में लटके हुए देखा जा सकता है। यह पेड़ हरियाणा के समधा मंदिर में है। सोशल मीडिया के कुछ यूजर्स इसे चमत्कार समझकर वायरल कर रहे हैं। विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की तो सच्चाई सामने आ गई। दरअसल यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि इसके पीछे प्रकृति जिम्मेदार है। हिसार के हांसी में यह पेड़ मौजूद है। इस पड़ताल को अंग्रेजी में यहां क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।
फेसबुक अनिल साहू ने 26 दिसंबर 2022 को एक पेड़ के वीडियो को अपने अकाउंट पर शेयर करते हुए लिखा, : “हवा में लटकता हुआ पेड़ एक चमत्कार से कम नहीं।”
पोस्ट के कंटेंट को यहां ज्यों का त्यों लिखा गया है। इसे फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप पर भी वायरल किया जा रहा है। इस पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले वायरल वीडियो का एनालिसिस किया। इस वीडियो में एक महिला को लटकते पेड़ के बारे में बात करते हुए देखा जा सकता है। वह इसे एक चमत्कार बताते हुए कहती हैं कि यह पेड़ जमीन को नहीं छू रहा है।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए वायरल वीडियो को इनविड टूल में अपलोड करके कई कीफ्रेम्स निकाले। फिर इन्हें सर्च करना शुरू किया। सर्च के दौरान हमें एक वीडियो यूट्यूब पर मिला। इसमें लटकते हुए पेड़ के बारे में बताते हुए कहा गया कि पेड़ का एक भाग लटका हुआ है, लेकिन दूसरा भाग जमीन से जुड़ा हुआ है। इस हिस्से को वीडियो के 1 मिनट 10वें सेकंड के बाद देखा जा सकता है। यह वीडियो 23 अप्रैल 2022 को अपलोड किया गया। इसमें बताया गया कि यह चमत्कारी पेड़ हांसी के समाधा मंदिर के परिसर में मौजूद है।
जांच को आगे बढ़ाते हुए विश्वास न्यूज ने गूगल ओपन सर्च की मदद ली। इससे हमें एक न्यूज रिपोर्ट मिली, जिसमें मंदिर परिसर का ब्यौरा था।
जांच को पुख्ता करने के लिए विश्वास न्यूज ने दैनिक जागरण, हिसार के पत्रकार चेतन सिंह से भी संपर्क किया। उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा,“इस पेड़ को अक्षय वट वृक्ष और बड़ का पेड़ के नाम से जाना जाता है। यह हांसी के बाबा जगन्नाथपुरी समाधा मंदिर में मौजूद है। ऐसा माना जाता है कि जगन्नाथ पुरी बाबा इस मंदिर में आए थे और उन्होंने यहां ‘समाधि’ ली थी। इसलिए लोग इस पेड़ को चमत्कारी मानते हैं और इसके चारों ओर एक लाल धागा बांधते हैं। इस वृक्ष के बारे में उन्होंने बताया,“यह एक बरगद का पेड़ है, जो बीच से टूट गया है, लेकिन जब इसकी शाखा जमीन को छूती है, तो जड़ पकड़ लेती है। यानी पेड़ की शाखा अपने आप में एक नया पेड़ है… जिसकी शाखा पुराने पेड़ से जुड़ी रहती है।”
इस बारे में विस्तार से जानने के लिए विश्वास न्यूज ने हांसी के फॉरेस्ट अफसर रमेश यादव से संपर्क किया। उन्होंने बताया,“जब वन विभाग को समाधा मंदिर में पेड़ लटकने की सूचना मिली, तो हम तुरंत मौके पर पहुंचे। वहां जाकर हमें पता चला कि बरगद के पेड़ की जड़ें नीचे के भाग में फैली हुई हैं और ऊपरी भाग की शाखाओं से आपस में जुड़ी हैं। हैंगिंग ट्री जैसी कोई चीज नहीं होती है।”
पड़ताल के दौरान हमें पता चला,‘प्रॉप रूट’ के कारण ऐसे पेड़ों को जिंदा रहने में मदद मिलती है। डिक्शनरी डॉट कॉम के अनुसार, ‘प्रॉप रूट’ एक जड़ होती है, जो जमीन के ऊपर तने से बढ़ती है और उसका समर्थन करती है।
इस बात को बेहतर ढंग से समझने के लिए विश्वास न्यूज ने प्लांट साइंस में पीएचडी डॉ. राकेश सिंह सेंगर से संपर्क किया। उन्होंने बताया,“यह पेड़ प्रॉप रूट के कारण जीवित है, जिसे एडवेंटिशियस रूट या एरियल रूट भी कहा जाता है। इस जड़ के कारण पेड़ को उचित पोषक तत्वों और आवश्यक तत्वों की आपूर्ति होती रहती है, जबकि पेड़ का ऊपरी भाग जीवित रहने के लिए प्रकाश संश्लेषण करता रहता है।”
जांच के अंत में भ्रामक पोस्ट करने वाले यूजर की जांच की गई। पता चला कि फेसबुक यूजर अनिल साहू मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा का रहने वाला है। इसके अकाउंट को तीन हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। यह अकाउंट जनवरी 2014 को बनाया गया था।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। वीडियो हिसार के हांसी के समाधा मंदिर में मौजूद बरगद के पेड़ की है। यह पेड़ भले ही बीच में से टूट गया हो, लेकिन वह अपने उन तनों की वजह से जीवित है, जो जमीन से जुड़ी हुई हैं। इन तनों को प्रॉप रूट कहा जाता है।
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