Fact Check : इस तस्‍वीर का JNU से कोई सम्बन्ध नहीं, यह पोस्‍ट गलत है

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। हमारी जांच में दावा झूठा साबित हुआ। यह तस्वीर 2019 में कोलकाता की एक प्राइड परेड की है। यह व्यक्ति एक्टिविस्ट पांचाली कर हैं, जिन्होंने कभी जेएनयू में पढ़ाई नहीं की। 2019 में हुई यह प्राइड परेड मुख्य रूप से LGBTQIA + समुदाय को सेलिब्रेट करने के लिए थी, लेकिन इस मार्च में CAA के विरोध में नारे भी लगाए गए थे। पांचाली कर ने कन्फर्म किया कि उनका जेएनयू से कोई संबंध नहीं है, और ना ही वे साड़ी और सिंदूर पहनने वाली हिंदू महिलाओं का विरोध कर रहीं थीं।

Fact Check : इस तस्‍वीर का JNU से कोई सम्बन्ध नहीं, यह पोस्‍ट गलत है

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। फेसबुक पर एक साड़ी पहने व्यक्ति और उसके एक साथी की तस्‍वीर वायरल हो रही है। तस्वीर में उन्होंने शॉर्ट-पैन्ट्स के ऊपर साड़ी पहनी हुई है और बिंदी लगायी हुई है। उनके पीछे खड़े एक पुरुष ने भी साड़ी पहनी है। इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ वायरल किया जा रहा है कि ये दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के छात्र हैं, जिन्होंने एनआरसी के विरोध प्रदर्शन के दौरान, साड़ी और सिंदूर पहनने वाली हिंदू महिलाओं का विरोध किया।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। हमारी जांच में दावा झूठा साबित हुआ। यह तस्वीर 2019 में कोलकाता की एक प्राइड परेड की है। यह व्यक्ति एक्टिविस्ट पांचाली कर हैं, जिन्होंने कभी जेएनयू में पढ़ाई नहीं की। 2019 में हुई यह प्राइड परेड मुख्य रूप से LGBTQIA + समुदाय को सेलिब्रेट करने के लिए थी, लेकिन इस मार्च में CAA के विरोध में नारे भी लगाए गए थे। पांचाली कर ने कन्फर्म किया कि उनका जेएनयू से कोई संबंध नहीं है, और ना ही वे साड़ी और सिंदूर पहनने वाली हिंदू महिलाओं का विरोध कर रहीं थीं।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर Sameer Kaushik ने जनवरी 3 को इस तस्‍वीर को शेयर करते हुए उसके साथ लिखा : ‘फ़ोटो आपको समझ नही आएगा….चलिए समझाते है……ये #JNU के प्रगतिशील छात्र है इनका विरोध है कि हिन्दू महिलाएं साड़ी, बिंदी, ओर सिंदूर क्यो लगाती है …इसका विरोध करने सड़क पर निकले है…..

रुकिए रुकिए…कहानी अभी खत्म नही हुए…पीछे नजर घुमाईये….एक लड़का एक शास्त्रीय ड्रेस (भगवा धोती, कुर्ता) पहने है और नाक में बाली ओर मांग में सिंदूर डाले है …..उसका यह विरोध है कि यह ड्रेस महिलाओं की है ओर इसका विरोध पुरुषों को करना चाहिए….आपको पता है ये नौटँकी कब की गई….#CAA के विरोध के समय…..अब आप सोचिये● इसका CAA  से क्या सम्बन् ● इसका JNU की पढ़ाई से क्या सम्बन्ध ● इसका हिन्दू संस्कृति से क्या विरोध। यह वह मानसिकता है जिसे आज वामपंथ कहते है.इसका सिर्फ एक मकसद हिंदुत्व की जड़े खोदना , हिंदुत्व को बदनाम करना , हिन्दू समाज के खिलाफ साजिशे करना और जेहादी कट्टर इस्लाम की तरफदारी करना , इस्लाम के एजेंडे को हर संभव साधनों और साजिशो के जरिये हिन्दुस्तान में फैलाना।”

पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल हो रही तस्‍वीर को रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च किया। सर्च के दौरान हमें वायरल तस्‍वीर Panchali Kar नाम फेसबुक प्रोफ़ाइल पर 30 दिसंबर 2019 को अपलोडेड मिली। तस्वीर के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा था “Pride, 2019.— at Baghbazar Street.।”

हमें यह तस्वीर khaskhobor.com पर भी मिली। खबर में भी उनका नाम पांचाली कर बताया गया था।

हमें पांचाली कर की इन्हीं कपड़ों में एक तस्वीर youthkiawaaz.com पर मिली। खबर के अनुसार, यह तस्वीर LGBTQIA + समुदाय के वार्षिक कार्यक्रम की है, जो 29 दिसंबर, 2019 को कोलकाता में हुआ था।

पुष्टि के लिए हमने पांचाली कर से संपर्क साधा। उन्होंने कहा, “इस तस्वीर में मैं ही हूँ। वायरल तस्वीर 2019 के कोलकाता प्राइड वॉक की है। मेरा व्यक्तिगत रूप से जेएनयू के साथ कोई संबंध नहीं है। यह दावा बिल्कुल गलत है। परेड एनआरसी और सीएए के खिलाफ नहीं थी। हालांकि, उस समय एनआरसी और सीएए के खिलाफ कुछ लोगों ने नारे ज़रूर लगाए थे। मगर मुख्यतः यह परेड LGBTQIA समुदाय के लिए थी।”

पड़ताल के अंत में विश्‍वास न्‍यूज ने यूजर Sameer Kaushik की जांच की। हमें पता चला कि यूजर के 15,479 फ़ॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। हमारी जांच में दावा झूठा साबित हुआ। यह तस्वीर 2019 में कोलकाता की एक प्राइड परेड की है। यह व्यक्ति एक्टिविस्ट पांचाली कर हैं, जिन्होंने कभी जेएनयू में पढ़ाई नहीं की। 2019 में हुई यह प्राइड परेड मुख्य रूप से LGBTQIA + समुदाय को सेलिब्रेट करने के लिए थी, लेकिन इस मार्च में CAA के विरोध में नारे भी लगाए गए थे। पांचाली कर ने कन्फर्म किया कि उनका जेएनयू से कोई संबंध नहीं है, और ना ही वे साड़ी और सिंदूर पहनने वाली हिंदू महिलाओं का विरोध कर रहीं थीं।

False
Symbols that define nature of fake news
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