हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल तस्वीर के साथ सदगुरु जग्गी वासुदेव के नाम से सर्कुलेट हो रहे मैसेज का असल में उनसे कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने यह मैसेज नहीं दिया है।
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें ईशा फाउंडेशन के हेड व धर्मगुरु सदगुरु जग्गी वासुदेव की तस्वीर के साथ एक मैसेज लिखा गया है। इस मैसेज के जरिए यह दर्शाने की कोशिश की गई है कि सदगुरु का कहना है कि कोरोना वायरस से बचने का एक ही तरीका है कि हम इस बारे में बात करना बंद कर दें और इसे नजरअंदाज करें। विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा गलत है।
दरअसल वायरल हो रहे मैसेज का सदगुरु से कोई लेना-देना नहीं है। सदगुरु जग्गी वासुदेव ने कोरोना वायरस को नजरअंदाज करने के लिए कभी नहीं कहा।
क्या है वायरल पोस्ट में?
ट्विटर यूजर Jayadev ने यह तस्वीर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा: जग्गी वासुदेव ने कहा कोरोनावायरस या कोविड—19 खत्म हो जाएगा अगर हम उसके बारे में बात करना बंद कर देंगे और इसे नजरअंदाज करेंगे।
पोस्ट में अंग्रेजी में लिखे गए मैसेज का हिंदी अनुवाद है: किसी भी तरह की बीमारी या वायरस या फ्लू को दूर रखने का एकमात्र तरीका है उसके बारे में बात न करना। जितना ज्यादा हम बात करते हैं, वह उतना ज्यादा हमारे वाइब्रेशन में एक्टिव होता जाता है। इतिहास ऐसी महामारी के सबूतों से भरा पड़ा है, जिसमें लोगों के डर के कारण बीमारी ज्यादा फैली। डर बहुत स्ट्रॉन्ग वाइब्रेशन है। आप जितना ज्यादा इस एनर्जी को फीड करेंगे यह उतना ज्यादा पुख्ता होता जाएगा। बेहतर है इसे नजरअंदाज करें। अपने परिवार व दोस्तों के साथ इस बारे में बात करना बंद कर दें, कोरोनावायरस के बारे में दिनभर या लगातार न्यूज न देखें। अपना ध्यान इस ओर से हटाएं। अपना ध्यान स्वस्थ रहने में लगाएं। सब को प्यार।
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।
पड़ताल
विश्वास न्यूज ने वायरल मैसेज की पड़ताल के लिए सबसे पहले इंटरनेट पर कीवर्ड्स की मदद से इस बारे में सर्च किया। हमें ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें सदगुरु का इस तरह का कोई बयान चलाया गया हो। सदगुरु जग्गी वासुदेव अगर इस तरह का कोई बयान देते तो इस बारे में मीडिया में कवरेज जरूर होती।
इसके बाद हमने सदगुरु और उनकी ईशा फाउंडेशन के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स को भी खंगाला। अगर उन्होंने ऐसा कोई बयान दिया होता तो उनके आधिकारिक हैंडल्स पर इसका जिक्र जरूर होता, लेकिन हमें यहां भी ऐसा कुछ नहीं मिला।
हमें ईशा फाउंडेशन का एक ट्वीट जरूर मिला, जिसमें उन्होंने खुद वायरल हो रहे इस मैसेज को फर्जी बताया।
ज्यादा जानकारी के लिए हमने ईशा फाउंडेशन की मीडिया कोऑर्डिनेटर ऋचा तनेजा से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल पोस्ट में जो मैसेज लिखा गया है, सदगुरु ने ऐसा कोई मैसेज जारी नहीं किया है, यह उनके नाम से फर्जी मैसेज सर्कुलेट किया जा रहा है। इस मैसेज से सदगुरु का कोई संबंध नहीं है।
इससे पहले सदगुुरु कई मौकों पर इस पैनडेमिक के दौरान लोगों को हिम्मत देने वाले मैसेज देते रहे हैं।
अब बारी थी ट्विटर पर पोस्ट को साझा करने वाली यूजर Jayadev की प्रोफाइल को स्कैन करने का। प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि यूजर पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट है और उन्होंने सितंबर 2020 में ही ट्विटर अकाउंट बनाया है।
निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल तस्वीर के साथ सदगुरु जग्गी वासुदेव के नाम से सर्कुलेट हो रहे मैसेज का असल में उनसे कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने यह मैसेज नहीं दिया है।
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