Fact Check : आगरा के कैफे में छापेमारी का वीडियो मध्‍य प्रदेश के नाम से वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। आगरा के एक कैफे के वीडियो को कुछ लोग मध्‍य प्रदेश का बताकर सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफॉर्म पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में पुलिस को एक कैफे में छापेमारी करते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में कुछ युवक-युवतियों को आपत्तिजनक स्थिति में भी देखा जा सकता है। सोशल मीडिया यूजर्स इस वीडियो को वायरल करते हुए मध्‍य प्रदेश का बता रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि सभी लड़कियां हिंदू थीं, जबकि लड़के मुस्लिम। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह बेबुनियाद साबित हुई। वायरल वीडियो यूपी के आगरा का है। कई महीने पहले एक रेड के दौरान यह वीडियो बनाया गया था। इसमें कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं था।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर श्रीरामा राव अज्जारापू ने 25 अगस्‍त को एक वीडियो को अपलोड करते हुए दावा किया : ’15 boys and 15 girls have been arrested in the hookah bar in Madhya Pradesh where the raid was conducted yesterday. All the girls are from well to do families. Point is all the boys are Muslims and all the girls are Hindus.’

फैक्ट चेक के उद्देश्य से पोस्ट के कंटेंट को यहां हूबहू लिखा गया है। इसे दूसरे यूजर्स भी अभी का मानकर वायरल कर रहे हैं।

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल वीडियो को इनविड टूल में अपलोड करके कई कीफ्रेम्‍स निकाले। फिर इन्‍हें गूगल रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च करना शुरू किया। वायरल वीडियो के दो ग्रैब्‍स का इस्तेमाल करते हुए यूपी तक नाम की एक वेबसाइट ने विस्‍तार से एक खबर पब्लिश की थी। 12 अगस्‍त को प्रकाशित इस खबर में बताया गया कि आगरा के हरीपर्वत थाने में तैनात तीनों पुलिसकर्मियों ने एक कैफे के अंदर रेड मारकर युवक-युवतियों की आपत्तिनजक हालत में वीडियो शूट कर लिया। जिसके बाद यह वीडियो वायरल हो गया। बाद में बवाल बढ़ने पर तीनों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। संबंधित खबर यहां पढ़ें।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने दैनिक जागरण, आगरा के ईपेपर को खंगालना शुरू किया। हमें 11 अगस्‍त को प्रकाशित एक खबर मिली। इसमें बताया गया कि इंटरनेट मीडिया में छापे का वीडियो वायरल होने के बाद आगरा पुलिस पर सवालिया निशान लग गया। संबंधित खबर नीचे पढ़ी जा सकती है।

सर्च के दौरान हमें भास्‍कर डॉट कॉम पर एक खबर मिली। इसमें बताया गया कि 27 जुलाई को आगरा के कैफे हाउस नाम के एक रेस्‍टोरेंट में छापा मारा गया। पुलिस ने युवक-युवतियों के आपत्तिजनक अवस्‍था में वीडियो बनाए। इसके कुछ दिन बाद वीडियो को वायरल कर दिया गया। बाद में पुलिस की काफी किरकिरी हुई। पूरी खबर यहां पढ़ें।

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल के अगले चरण में दैनिक जागरण, आगरा के डिजिटल प्रभारी प्र‍तीक कुमार से संपर्क किया। उनके साथ वायरल पोस्‍ट को साझा किया। उन्‍होंने विस्‍तार से जानकारी देते हुए बताया कि यह वीडियो मध्‍य प्रदेश का नहीं, बल्कि आगरा का है। पिछले महीने यहां के एक कैफे में पुलिस ने छापेमारी करके यह वीडियो बना लिया था। बाद में इन्‍हें सस्‍पेंड कर दिया गया। इस घटना में कोई भी सांप्रदायिक एंगल नहीं था। वायरल पोस्‍ट बेबुनियाद है।

अब बारी थी आगरा के वीडियो को मध्‍य प्रदेश का बताकर सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्‍कैनिंग की। फेसबुक यूजर श्रीरामा राव अज्जारापू के चार हजार से ज्‍यादा फ्रेंड हैं। दक्षिण भारत के इस यूजर के अकाउंट पर वायरल कंटेंट की भरमार है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। आगरा के एक कैफे के वीडियो को कुछ लोग मध्‍य प्रदेश का बताकर सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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