Fact Check: वायरल तस्वीर में दिख रहा सिख नौजवान भगत सिंह नहीं हैं, साल 1919 की तस्वीर गलत दावे से वायरल

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब में लगे मार्शल लॉ के दौरान पुलिसिया अत्याचार को बयां करती तस्वीर को भगत सिंह का बताकर वायरल किया जा रहा है। वायरल हो रही तस्वीर में नजर आ रहे युवा भगत सिंह नहीं हैं।

नई दिल्ली ( विश्वास न्यूज )। सोशल मीडिया पर एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर वायरल हो रही है। तस्वीर में एक व्यक्ति के हाथ-पैर रस्सी से बंधे हुए हैं और यूनिफॉर्म पहने एक व्यक्ति उसे कोड़े से मार रहा है। वायरल तस्वीर के ऊपर एक अखबार की कटिंग भी लगी हुई है, जिसपर लिखा है- ‘असेंबली में डटकर विरोध किया था। ‘अब इस तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि तस्वीर में पुलिस अधिकारी के हाथों पिट रहा नौजवान कोई और नहीं, बल्कि स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह हैं। विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब में लगे मार्शल लॉ के दौरान औपनिवेशिक कालीन पुलिसिया अत्याचार को बयां करती तस्वीर को स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का बताकर वायरल किया जा रहा है।

क्या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर ‘राजीववादी स्वदेशी चिकित्सा “ ने वायरल तस्वीर को शेयर किया है। तस्वीर के साथ लिखा है ”आज़ादी के लिए कोड़े खाते भगत सिह जी की तस्वीर उस समय के अखबार में छपी थी ताकि और कोई भगत सिंह ना बने हिन्दुस्थान में, क्या गांधी- नेहरू की ऐसी कोई तस्वीर है आपके पास? फिर कैसे उनको राष्ट्रपिता मान लू? कैसे मान लूं कि चरखे ने आजादी दिलाई?”

वायरल पोस्‍ट के क्‍लेम को यहां ज्‍यों का त्‍यों ही लिखा गया है। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी वायरल कर रहे हैं। पोस्‍ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने फोटो को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें bylinetimes.com की वेबसाइट पर प्रकाशित एक आर्टिकल में वायरल तस्वीर मिली। 8 अप्रैल 2019 में प्रकाशित आर्टिकल में तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा गया था ,’Indians were flogged following the Amritsar Massacre in 1919 ” हिंदी अनुवाद : 1919 में अमृतसर नरसंहार के बाद भारतीयों को कोड़े मारे गए।

न्यूज सर्च में हमें sabrangindia.in की वेबसाइट पर 17 अप्रैल 2019 को प्रकाशित आर्टिकल मिला, जिसमें इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था। प्रकाशित आर्टिकल का शीर्षक ‘100 years after the Jallianwala Bagh, documents recording the repression and resistance remain hidden in the National Archives’ था। तस्वीर के साथ दी गई जानकारी में इसे 1919 का बताया गया।

इतिहासकार मनन अहमद द्वारा 10 फरवरी 2019 को किये ट्वीट में वायरल तस्वीर शेयर मिली। ट्वीट में वायरल तस्वीर के साथ कई और तस्वीरें भी शेयर की गई थी। ट्वीट को यहां देखें।

https://twitter.com/sepoy/status/1094661101734776832

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 में हुआ था और वायरल तस्वीर 1919 की है। उस वक्त भगत सिंह की उम्र करीब 10-12 साल की थी, जबकि तस्वीर में नजर आ रहा इंसान नौजवान है। यहां से ये साफ़ होता है कि तस्वीर भगत सिंह की नहीं है।

इससे पहले भी यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, तब विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में इसे गलत पाया था। विश्वास न्यूज की इस फैक्ट चेक स्टोरी को यहां पढ़ा जा सकता है।

विश्वास न्यूज ने सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर की पुष्टि के लिए ‘Shaheed Bhagat Singh Centenary Foundation’ के चेयरमैन और शहीद भगत सिंह की बहन अमर कौर के बेटे प्रोफेसर जगमोहन सिंह से संपर्क किया। सिंह ने बताया, ‘यह तस्वीर अप्रैल 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद 16 अप्रैल 1919 को अमृतसर में लागू हुए मार्शल लॉ के समय की है और इसमें नजर आ रहा सिख नौजवान भगत सिंह नहीं हैं।’

पड़ताल के अंत में हमने तस्वीर को शेयर करने वाले यूजर की सोशल स्कैनिंग की। स्कैनिंग में पता चला कि फेसबुक पर यूजर को दो हज़ार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। यूजर के फेसबुक पर 4 हज़ार से ज्यादा फ्रेंड्स हैं।

निष्कर्ष: जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब में लगे मार्शल लॉ के दौरान पुलिसिया अत्याचार को बयां करती तस्वीर को भगत सिंह का बताकर वायरल किया जा रहा है। वायरल हो रही तस्वीर में नजर आ रहे युवा भगत सिंह नहीं हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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