विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की विस्तार से जांच की। पता चला कि इंडिया गेट और स्वतंत्रता सेनानियों को लेकर वायरल किया जा रहा दावा पूरी तरह काल्पनिक और फर्जी है।
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर एक तस्वीर वायरल हो रही है। इसमें लिखा है कि इंडिया गेट पर कुल 95300 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम हैं। इनमें 61395 मुसलमान, 8050 सिख, 14480 पिछले, 10777 दलित, 598 सवर्ण और 09 संघी हैं। गुजराती और मारवाड़ी की तादाद छह-छह है।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की विस्तार से जांच की। पता चला कि इंडिया गेट और स्वतंत्रता सेनानियों को लेकर वायरल किया जा रहा दावा पूरी तरह काल्पनिक और फर्जी है। इंडिया गेट पर स्वतंत्रता सेनानियों के नाम नहीं, बल्कि प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो अफगान युद्ध में जान गंवाने वाले सैनिकों के नाम शामिल हैं। इसमें जाति या धर्म के आधार पर कोई संख्या नहीं लिखी गई है। विश्वास न्यूज की पिछली पड़ताल को यहां पढ़ा जा सकता है।
फेसबुक यूजर आयशा अहमद ने एक ग्रुप में एक पोस्ट करते हुए 16 अगस्त को दावा किया कि दिल्ली के इंडिया गेट पर कुल 95300 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम हैं, जिनमें मुसलमान 61395 हैं। इसी तरह इसमें सिख, पिछड़े, दलित, सवर्ण, संघी, गुजराती और मारवाडी का जिक्र किया गया है।
वायरल पोस्ट को सच मानकर दूसरे यूजर्स भी शेयर कर रहे हैं। इसका आर्काइव वर्जन यहां देखें।
विश्वास न्यूज ने पड़ताल की शुरुआत इंडिया गेट के बारे में सर्च से शुरू किया। गूगल ओपन सर्च से खोजने पर हमें दिल्ली टूरिज्म की सरकारी वेबसाइट पर इंडिया गेट के बारे में जानकारी मिली। इसमें बताया गया कि दिल्ली में स्थित इंडिया गेट का निर्माण अंग्रेजों ने कराया था। इस वार मेमोरियल के निर्माण का कार्य 1921 में शुरू हुआ था। इसे बनने में 10 साल का वक्त लगा था। यह उन 70,000 सैनिकों की याद दिलाता है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना के लिए लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी थी। इसके अलावा तीसरे एंग्लो अफगान वार (1919) के दौरान अपने प्राणों की बलि देने वाले सैनिकों के नाम यहां अंकित हैं। इस लड़ाई में 13516 ब्रिटिश और भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।
गूगल सर्च के दौरान जागरण डॉट कॉम पर हमें इंडिया गेट के बारे में एक लेख मिला। इसमें बताया गया, “10 फरवरी, 1921 को डयूक ऑफ कनॉट ने इंडिया गेट की नींव रखी थी। इसको आर्किटेक्ट एडविन लुटियन ने तैयार किया था। 12 फरवरी, 1931 को यह बनकर तैयार हुआ था। इंडिया गेट की संरचना की बात करें तो यह 42 मीटर ऊंचा और 9.1 मीटर चौड़ा है। इसे लाल और पीले बलुआ पत्थरों से बनाया गया है। पत्थरों को राजस्थान के भरतपुर से लाया गया था।”
पूरे लेख को यहां क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार विवेक शुक्ला से संपर्क किया। उन्होंने दिल्ली पर कई किताबें लिखी हैं। विवेक शुक्ला ने स्पष्ट करते हुए बताया कि वायरल पोस्ट पूरी तरह फर्जी है। इसमें कोई सच्चाई नहीं है।
पड़ताल के अंत में फर्जी पोस्ट करने वाली यूजर की सोशल स्कैनिंग की गई। फेसबुक यूजर आयशा अहमद इंदौर की रहने वाली हैं। इससे ज्यादा जानकारी इस अकाउंट पर नहीं मिली।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट फर्जी साबित हुई। यहां स्वतंत्रता सेनानियों के नाम अंकित नहीं हैं और ना ही यहां धर्म व जाति के आधार पर नाम लिखे गए हैं। इंडिया गेट पर स्वतंत्रता सेनानियों के नाम नहीं, बल्कि प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो अफगान युद्ध में जान गंवाने वाले सैनिकों के नाम शामिल हैं।
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