विश्वास न्यूज ने गृह मंत्रालय के नाम से वायरल पोस्ट की जांच की और पाया कि यह दावा गलत है। गृह मंत्रालय की तरफ से इस तरह की कोई पोस्ट जारी नहीं की गई है। सोशल मीडिया पर लोग गलत दावा शेयर कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर गृह मंत्रालय के नाम से एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है। जिसे शेयर कर दावा किया जा रहा है कि वरिष्ठ जांच अधिकारी विश्वजीत मुखर्जी ने खुलासा किया है कि इस दिवाली चीन भारत में अस्थमा फैलाने वाले पटाखे भेज रहा है, ताकि वो भारत में अस्थमा और नेत्र रोग फैला सके।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की और पाया कि यह दावा गलत है। गृह मंत्रालय की तरफ से इस तरह की कोई पोस्ट जारी नहीं की गई है। सोशल मीडिया पर लोग गलत दावा शेयर कर रहे हैं।
फेसबुक यूजर Mohinder Singh ने वायरल पोस्ट को शेयर किया है। पोस्ट में लिखा हुआ है, “महत्वपूर्ण सूचना खुफिया जानकारी के मुताबिक, चूंकि पाकिस्तान भारत पर सीधे हमला नहीं कर सकता, इसलिए उसने भारत से बदला लेने की मांग की है। चीन ने भारत में अस्थमा फैलाने के लिए कार्बन मोनोऑक्साइड गैस से भी ज्यादा जहरीले पटाखों का विकास किया है। इसके अलावा भारत में आंखों की बीमारियों को फैलने के लिए विशेष लाइट डेकोरेटिव लैंप भी विकसित किए जा रहे हैं जो अंधेपन का कारण बनता है। पारे का बहुत उपयोग किया गया है, कृपया इस दिवाली सावधान रहें और इन चीनी उत्पादों का उपयोग न करें। इस संदेश को सभी भारतीयों तक पहुंचाएं।”जय हिन्दविश्वजीत मुखर्जी,वरिष्ठ जांच अधिकारी,गृह मंत्रालय, भारत सरकार,(छ.ग.)प्राप्त होने पर अग्रेषित करें
सोशल मीडिया पर अन्य यूजर इस पोस्ट से मिलते-जुलते दावों को शेयर कर रहे हैं। पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें दावे से जुड़ी कोई विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई। जिससे इस बात की पुष्टि हो सके कि भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों ने इस तरह का कोई खुलासा किया है।
हमने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए गृह मंत्रालय की वेबसाइट को भी खंगालना शुरू किया, लेकिन हमें वहां पर भी दावे से जुड़ी कोई जानकारी या फिर प्रेस रिलीज नहीं मिली। जांच के दौरान हमने पाया कि गृह मंत्रालय में वरिष्ठ जांच अधिकारी जैसा कोई पद ही नहीं है। इसके बाद हमने विश्वजीत मुखर्जी के बारे में सर्च करना शुरू किया। हमने गृह मंत्रालय की वेबसाइट को एक बार फिर खंगाला, लेकिन हमें विश्वजीत मुखर्जी नामक कोई अधिकारी वहां पर नहीं मिला।
जांच में हमने पाया कि यह पोस्ट हाल-फिलहाल से नहीं, बल्कि 2017 से सोशल मीडिया पर वायरल है।
साल 2020 में केंद्र सरकार ने भी इस वायरल मैसेज को फेक बताया था। प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो फैक्ट चेक ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर इसे फेक बताया था।
अधिक जानकारी के लिए हमने दैनिक जागरण के नेशनल ब्यूरो के पत्रकार नीलू रंजन से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि यह दावा गलत है। यह सोशल मीडिया पर काफी सालों से वायरल है। सरकार द्वारा इस तरह का कोई खुलासा अभी तक नहीं किया गया है। गृह मंत्रालय खुद इस दावे को गलत बता चुका है।
पड़ताल के अंत में हमने इस पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर Mohinder Singh की जांच की। जांच में पता चला की यूजर के कुल पांच हजार मित्र हैं। यूजर एक विचारधारा से प्रभावित है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने गृह मंत्रालय के नाम से वायरल पोस्ट की जांच की और पाया कि यह दावा गलत है। गृह मंत्रालय की तरफ से इस तरह की कोई पोस्ट जारी नहीं की गई है। सोशल मीडिया पर लोग गलत दावा शेयर कर रहे हैं।
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