Fact Check: अजमेर की दरगाह में नज़र आने वाली रोशनी कोई करिश्मा नहीं, बल्कि डिजिटली तैयार किया गया वीडियो है

विश्वास न्यूज़ ने इस वीडियो की पड़ताल की तो हमने पाया की यह एक फर्जी वीडियो है। मज़ार के गुम्बद के पास नज़र आ रही यह रोशनी डिजिटल की मदद से जोड़ी गयी है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर एक न्यूज़ क्लिप का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें अजमेर की हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के गुम्बद से पास एक रोशनी दिखाई दे रही है, जिसका शेप दिखने में किसी जानवर की तरह है। सोशल मीडिया पर इस क्लिप को शेयर करते हुए यूजर दावा कर रहे हैं कि ख्वाजा साहब की मज़ार पर चमत्कार देखने को मिला है। जब विश्वास न्यूज़ ने इस वीडियो की पड़ताल की तो हमने पाया कि यह एक फर्जी वीडियो है। मज़ार के गुम्बद के पास नज़र आ रही यह रोशनी डिजिटल की मदद से जोड़ी गयी है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘Makhar panchayt’ ने ‘अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के दरबार में’ नाम के पेज पर न्यूज़ क्लिप को अपलोड किया। उसमें ब्रेकिंग न्यूज़ के नीचे लिखा था, ‘हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में एक बार फिर चमत्कार देखने को मिला। मछली जैसी आकृति ख्वाजा साहब की गुम्बद में प्रवेश करती हुई नज़र आ रही।” इस वीडियो को अपलोड करते हुए यूजर ने लिखा है, ”यह है मेरे ख्वाजा का करम।”

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहाँ देखें।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने वायरल वीडियो को गौर देखा। गौर से देखे जाने पर हमने पाया कि 14 सेकंड पर जब मछली जैसी आकृति की रोशनी नज़र आती है तो गुम्बद पास भी ऐसा उजाला दिखाई देता है, जिसको देख कर साफ़ मालूम पड़ता है कि यह फेक है।

हालांकि, वीडियो से जुडी़ पुष्टि के लिए हमने गूगल ओपन सर्च किया, लेकिन हमारे हाथ ऐसी कोई खबर नहीं लगी, जो इस पोस्ट को सही साबित कर सके।

 पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने यह जानने की कोशिश की कि क्या दरगाह अजमेर शरीफ की तरफ से ऐसा कोई बयान जारी किया गया है। सर्च में कोई बयान तो नहीं मिला, लेकिन कीवर्ड के ज़रिये तलाश करने पर हमारे हाथ ‘Dargah Committee Dargah Khwaja Sahab Ajmer’ नाम के ट्विटर हैंडल की तरफ से किया गया एक ट्वीट मिला। जिसमें वीडियो के स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए उसे फेक बताया गया है।

इसी वीडियो को हमने हमारी वीडियो टीम के ग्राफ़िक एनिमेटर संजय जेमिनी को दिखाया और उन्होंने हमें बताया कि यह एक तरीके का विजुअल इफ़ेक्ट है। बहुत-से ऐसे सॉफ्टवेयर मौजूद हैं, जिसके ज़रिये इस तरीके की लाइटिंग इफ़ेक्ट को बनाया जा सकता है।

अब बारी थी फर्जी पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि पेज पर अजमेर दरगाह से जुडी पोस्ट शेयर की जाती हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने इस वीडियो की पड़ताल की तो हमने पाया की यह एक फर्जी वीडियो है। मज़ार के गुम्बद के पास नज़र आ रही यह रोशनी डिजिटल की मदद से जोड़ी गयी है।

False
Symbols that define nature of fake news
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