Fact check: मंकीपॉक्स को लेकर ‘द जर्नल’ की फर्जी रिपोर्ट वायरल

विश्वास न्यूज की पड़ताल में द जर्नल को लेकर किया जा रहा वायरल दावा गलत निकला। वायरल खबर का स्क्रीनशॉट एडिटेड है, जिसे लोग सच समझ कर शेयर कर रहे हैं।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर आयरलैंड की न्यूज वेबसाइट ‘द जर्नल’ का एक स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है। जिसे शेयर कर दावा किया जा रहा है, “मंकीपॉक्स 120 साल तक दरवाजे के हैंडल और टॉयलेट सीट पर जिंदा रह सकता है। साथ ही 5 मील की दूरी से किसी को भी संक्रमित कर सकता है।” विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल खबर का स्क्रीनशॉट एडिटेड निकला।

क्या है वायरल दावे में ?

ट्विटर यूजर Tweed Cap ने वायरल स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए लिखा है, ओह! नो

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने TheJournal.ie की आधिकारिक वेबसाइट को खंगालना शुरू किया, लेकिन हमें वायरल दावे से जुड़ी कोई रिपोर्ट नहीं मिली। हमने वेबसाइट के सोशल मीडिया हैंडल पर भी वायरल खबर को सर्च किया। हमें यहां पर भी दावे से जुड़ी कोई खबर प्राप्त नहीं हुई।

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मंकीपॉक्स एक व्यक्ति से व्यक्ति में तब संचार होता है, जब वह शख्स किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया होता है। मंकीपॉक्स खांसी और छींक के माध्यम से, किसी संक्रमित व्यक्ति के घावों को छूने से और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने से फैलता है। साथ ही यह भी बताया गया है कि संक्रमित व्यक्ति की चीजें जैसे कपड़े और बिस्तर को इस्तेमाल करने से भी वायरस फैल सकता है।

सीडीसी की एक रिसर्च के मुताबिक, संक्रमित व्यक्ति के उस जगह को छोड़ने के बाद वायरस तकरीबन 15 दिन बाद तक जीवित रह सकता है। सर्च के दौरान हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें ये बताया गया हो कि वायरस 120 साल तक सक्रिय रह सकता है।

जांच को आगे बढ़ाते हुए हमने स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर सर्च करना शुरू किया। यहां पर भी हमें मंकीपॉक्स को लेकर यही जानकारी मिली कि संक्रमित शख्स के संपर्क में आने से यह फैल सकता है। 21 दिन तक यह वायरस जिंदा रह सकता है, इसलिए मंकीपॉक्स के संपर्क में आए लोगों को 21 दिन का आइसोलेशन में रहना जरूरी है। यहां पर भी हमें यह जानकारी नहीं मिली कि वायरस 120 साल तक सक्रिय रह सकता है।

अधिक जानकारी के लिए हमने द जर्नल से ईमेल के जरिए संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, “हमने इस तरह की कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की है। हमारी मंकीपॉक्स पर लिखी एक रिपोर्ट को एडिट कर ये स्क्रीनशॉट तैयार किया गया है।”

पड़ताल के अंत में विश्वास न्यूज ने फेक दावे को शेयर करने वाले यूजर Tweed Cap के हैंडल की सोशल स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि यूजर को तीन हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। प्रोफाइल पर दी गई जानकारी के मुताबिक, यूजर आयरलैंड का रहने वाला है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में द जर्नल को लेकर किया जा रहा वायरल दावा गलत निकला। वायरल खबर का स्क्रीनशॉट एडिटेड है, जिसे लोग सच समझ कर शेयर कर रहे हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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