Fact Check:भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फांसी की सजा का 14 फरवरी से कोई संबंध नहीं

विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा भ्रामक निकला है। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा का 14 फरवरी की तारीख से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि पुलवामा में आतंकी हमला 14 फरवरी 2019 को हुआ था।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर दो अलग-अलग दावों को जोड़कर एक मैसेज वायरल हो रहा है। अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर वायरल इस मैसेज में दावा किया जा रहा है कि 14 फरवरी को क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा सुनाई गई थी। इसी के साथ दावा किया जा रहा है कि 14 फरवरी को ही पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था। 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के बरअक्स इस दावे को शेयर किया जा रहा है।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा भ्रामक निकला है। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा का ऐलान 7 अक्टूबर 1930 को हुआ था। इन तीनों क्रांतिकारियों को 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी। हालांकि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमला 14 फरवरी 2019 को ही हुआ था।

क्या हो रहा है वायरल

विश्वास न्यूज को अपने फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर भी ये वायरल दावा फैक्ट चेक के लिए मिला है। यूजर ने हमारे साथ एक ट्वीट लिंक शेयर किया है, जिसमें यही दावा किया गया है। कीवर्ड्स से सर्च करने पर हमें यही दावा फेसबुक पर भी मिला है। Swati Sharma नाम की फेसबुक यूजर ने Smile Always नाम के एक पब्लिक ग्रुप में इस मैसेज को पोस्ट किया है। इस वायरल पोस्ट में लिखा है, ’14 फरवरी 1931 को माँ भारती के सच्चे सपूत भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा सुनाई गई 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में देश के वीरों ने प्राण न्यौछावर किऐ! 14 फरवरी का दिन, इन वीरों को समर्पित- जय हिंद।’ इस वायरल मैसेज को यहां ज्यों का त्यों पेश किया गया है।

इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने सबसे पहले इस वायरल मैसेज में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी की सजा को लेकर किए जा रहे दावे की पड़ताल की। जरूरी कीवर्ड्स से सर्च करने पर हम indialawjournal.org की वेबसाइट पर प्रकाशित लेख (शीर्षक: द ट्रायल ऑफ भगत सिंह) पर पहुंचे। इस लेख में साफ-साफ बताया गया है कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर षडयंत्र केस में 7 अक्टूबर 1930 को फांसी की सजा सुनाई गई थी। लेख के मुताबिक इन तीनों क्रांतिकारियों को 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी।

आपको बता दें कि 23 मार्च को क्रांतिकारियों को फांसी दिए जाने के दिन को शहीद दिवस के रूप में याद किया जाता है।

इंटरनेट पर पड़ताल के दौरान हम nbtindia.gov.in वेबसाइट पर मौजूद किताब, Hanged for their Patriotism पर पहुंचे। इस किताब का पहला अध्याय भगत सिंह पर आधारित है। इसके पेज 14 पर भी बताया गया है कि ट्रायल के बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 7 अक्टूबर 1930 को फांसी की सजा सुनाई गई थी। वहीं 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी।

मशहूर लेखक एजी नुरानी की किताब द ट्रायल ऑफ भगत सिंह : पॉलिटिक्स ऑफ जस्टिस में भी बताया गया है कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 7 अक्टूबर 1930 को फांसी की सजा सुनाई गई थी।

विश्वास न्यूज की अबतक की पड़ताल से यह साबित हो चुका था कि तीनों क्रांतिकारियों को फांसी की सजा सुनाए जाने और फांसी दी जाने की तारीख का 14 फरवरी से कोई लेना-देना नहीं है।

विश्वास न्यूज ने इस संबंध में इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के ईश्वरशरण पीजी कॉलेज में इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर नरेंद्र से संपर्क किया। उन्होंने भी इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव महान क्रांतिकारी रहे हैं। इनका केस इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में स्पष्ट रूप से दर्ज है। उन्होंने भी हमें बताया कि इन क्रांतिकारियों को 7 अक्टूबर 1930 को फांसी की सजा सुनाई गई थी और 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी।

विश्वास न्यूज ने इस वायरल मैसेज के दूसरे दावे को भी इंटरनेट पर खोजा। वायरल मैसेज के दूसरे हिस्से में दावा किया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को आतंकी हमला हुआ था। इंटरनेट पर सर्च के दौरान हमें 14 फरवरी 2021 को हमारे सहयोगी दैनिक जागरण की साइट पर प्रकाशित एक लेख मिला। यह लेख पुलवामा हमले के 2 साल होने पर प्रकाशित किया गया है। इस लेख में बताया गया है कि पुलवामा हमला 14 फरवरी 2019 को हुआ था। इसे यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

हमारी पड़ताल से यह साफ हो चुका था कि इस वायरल मैसेज का पहला हिस्सा गलत है, जबकि दूसरा सही। विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को शेयर करने वाली फेसबुक यूजर Swati Sharma की प्रोफाइल को स्कैन किया। यूजर ने अपनी प्रोफाइल लॉक कर रखी है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा भ्रामक निकला है। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा का 14 फरवरी की तारीख से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि पुलवामा में आतंकी हमला 14 फरवरी 2019 को हुआ था।

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