Fact Check : बेबुनियाद है बेकिंग सोडा से कैंसर के उपचार का दावा

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में बेकिंग सोडा से कैंसर का उपचार का दावा फर्जी निकला। वायरल मैसेज में जिन डॉक्‍टर के नाम का जिक्र किया गया है, उन्‍होंने भी इसका खंडन किया है।

Fact Check : बेबुनियाद है बेकिंग सोडा से कैंसर के उपचार का दावा

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफॉर्म पर हिंदी में एक मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि कई सालों के रिसर्च के बाद कैंसर का एक नया इलाज सामने आया है। रसोई में इस्‍तेमाल होने वाले सोडा से इस बीमारी का इलाज किया जा रहा है। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। दावा फर्जी साबित हुआ। इस मैसेज में जिन डॉक्‍टर के नाम का इस्‍तेमाल किया गया है, उन्‍होंने खुद इसका खंडन करते हुए इसे फेक बताया।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर कुलदीप राज गुप्‍ता ने 31 जुलाई को एक मैसेज पोस्‍ट करते हुए दावा किया : ‘वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला कैंसर का’ कैंसर के मरीजों के लिए एक बड़ी राहत वाली खबर आई है। दुनियाभर के वैज्ञानिक जिस बीमारी के लिए सालों से इलाज ढूंढ रहे थे उसका आखिरकार तोड़ मिल चुका है। अब तक दुनिया भर में कैंसर के इलाज के लिए अरबों रुपए पानी की तरह बहा दिए गए हैं, लेकिन कोई भी दवा पूरी तरह से कैंसर को जड़ से खत्म करने में नाकाम साबित हुई है। अब तक बाजार में जो दवाएं मौजूद हैं, वो सिर्फ कैंसर को बढ़ने से रोक देती हैं। अमेरिका के लडविंग इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर रिसर्च में अमेरिकी वैज्ञानिकों के दल ने हाल ही में कुछ नए शोध किए। इस टीम की अगुवाई मशहूर कैंसर वैज्ञानिक और जॉन हॉप्किंग यूनिवर्सिटी के ऑनकोलॉजिस्ट (कैंसर विशेषज्ञ) डॉ. ची वान डैंग ने की। उन्होंने कहा कि हम सालों तक रिसर्च कर चुके हैं और अब तक कैंसर के जो भी इलाज मौजूद हैं वो काफी महंगे हैं। हमने जो शोध किया उसमें चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। आपके किचन में रखा बेकिंग सोड़ा कैंसर के लिए रामबाण औषधि है। डॉ. डैंग के मुताबिक, हमने बेकिंग सोडा पर लंबी रिसर्च की और जो परिणाम हमने अब तक सिर्फ सुने थे वो प्रमाणित हो गए। उन्होंने बताया कि यदि कैंसर का मरीज बेकिंग सोडा पानी के साथ मिलाकर पी ले तो कुछ ही दिनों में इसका असर दिखने लगेगा। उन्होंने बताया कि कीमोथेरेपी और महंगी दवाओं से भी तेजी से बेकिंग सोडा ट्यूमर सेल्स को न सिर्फ बढ़ने से रोकता है, बल्कि उसे खत्म भी कर देता है। डॉ. डैंग ने पूरी जानकारी देते हुए बताया कि हमारे शरीर में हर सेकेंड लाखों सेल्स खत्म होते हैं और नए सेल्स उनकी जगह ले लेते हैं। लेकिन कई बार नए सेल्स के अंदर खून का संचार रुक जाता है और ऐसे ही सेल्स एकसाथ इकट्ठा हो जाते हैं, जो धीरे-धीरे बढ़ता है। इसी को ट्यूमर कहा जाता है। उन्होंने बताया कि हमने ब्रेस्ट और कोलोन कैंसर के ट्यूमर सेल्स पर बेकिंग सोडा के प्रभाव की जांच की और हमने पाया कि बेकिंग सोडा वाला पानी पीने के बाद जिस तेजी से ट्यूमर सेल्स बढ़ रहे तो वो काफी हद तक रुक गए। उन्होंने बताया, ट्यूमर सेल्स में आक्सिजन पूरी तरह खत्म हो जाती है, तो उसे मेडिकल भाषा में हिपोक्सिया कहते हैं। हिपोक्सिया की वजह से तेजी से उस हिस्से का पीएच लेवल गिरने लगता है और ट्यूमर के ये सेल एसिड बनाने लगते हैं। इस एसिड की वजह से पूरे शरीर में भयंकर दर्द शुरू हो जाता है। अगर इन सेल्स का तुरंत इलाज न किया जाए तो ये कैंसर सेल्स में तब्दील हो जाते हैं। डॉ. डैंग के मुताबिक, बेकिंग सोडा मिला पानी पीने से शरीर का पीएच लेवल भी मेंटेन रहता है और एसिड वाली समस्या न के बराबर होती है। डॉ. डैंग ने बताया कि कई बार कीमोथेरेपी के बावजूद भी ऐसे कैंसर सेल्स शरीर में रह जाते हैं, जो बाद में दोबारा से शरीर में कैंसर सेल्स बनाने लगते हैं। इन्हें T सेल्स कहते हैं। इन टी सेल्स को नाकाम सिर्फ बेकिंग सोडा से ही किया जा सकता है। डॉ. वॉन डैंग ने कहा कि पहले भी ये बात आप सुन चुके होंगे कि बेकिंग सोडा कैंसर समेत कई बीमारियों का इलाज है। लेकिन अब हम प्रमाणिक तौर पर कह सकते हैं कि कैंसर का सबसे सस्ता और अच्छा इलाज बेकिंग सोडा से मिला पानी है। उन्होंने बताया कि जिन लोगों पर हमने प्रयोग किए उन्हें दो हफ्तों पर पानी में बेकिंग सोडा मिलाकर दिया और सिर्फ 2 हफ्ते में उन लोगों के ट्यूमर सेल्स लगभग खत्म हो गई ! TATA मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉ. राजेन्द्र ए. बडवे ने जोर देकर कहा कि यदि *जो हर कोई इस समाचार पत्र को प्राप्त करता है, वह दस प्रतियों को दूसरों को अग्रेषित कर सकता है, तो निश्चित रूप से कम से कम एक जीवन वापस बच जाएगा…’

फैक्ट चेक के उद्देश्य से पोस्ट के कंटेंट को यहां हूबहू लिखा गया है। इसे दूसरे यूजर्स भी अभी का मानकर वायरल कर रहे हैं। पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल की शुरुआत वायरल मैसेज को ध्‍यान से पढ़ने से की। इसके बाद इस मैसेज के कीवर्ड के आधार पर गूगल सर्च किया। हमें यह जानना था कि क्‍या वाकई बेकिंग सोडा से कैंसर का इलाज हो सकता है। सर्च के दौरान इंटरनेट पर हमें कई स्‍टडीज मिली। एक लेख में लिखा गया : ‘चूंकि बेकिंग सोडा एसिड के असर को कम करता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसे पीने से ट्यूमर की अम्लता कम हो सकती है और निष्क्रिय कोशिकाओं को फिर से सक्रिय किया जा सकता है। जिसके बाद उन्‍हें कीमोथेरेपी के लिए तैयार किया जा सकता है।’

दूसरी कई रिपोर्ट में भी ऐसी बातों का उल्‍लेख किया गया। लेकिन कहीं भी यह नहीं कहा गया कि बेकिंग सोडा से कैंसर का संपूर्ण इलाज किया जा सकता है।

सोशल मीडिया में वायरल मैसेज में दो लोगों के नाम का जिक्र किया गया। इसमें एक नाम डॉक्टर ची वान डांग है, जो एक जाने-माने ऑन्कोलॉजिस्ट हैं। विश्‍वास न्‍यूज ने ईमेल के जरिए उनसे संपर्क किया। उन्‍होंने बताया, “दुर्भाग्य से यह मैसेज गलत है। हमने कभी यह दावा नहीं किया कि बेकिंग सोडा कैंसर को ठीक करता है।”

पड़ताल के अगले चरण में हमने टाटा मेमोरियल सेंटर के सर्जिकल ऑन्‍कोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर राजेंद्र बडवे के कार्यालय से संपर्क किया। वायरल मैसेज में उनका भी जिक्र किया था। डॉक्‍टर बडवे के कार्यालय से उनके सेक्रेटरी ने बताया कि उन्‍होंने कभी ऐसा कोई बयान नहीं दिया और ना ही वे बेकिंग सोडा से कैंसर के उपचार के दावों का समर्थन करते हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने इसके बाद गुरुग्राम स्थित अमेरिकन ऑन्‍कोलॉजी इंस्टीट्यूट के डॉक्‍टर मनीष कुमार से संपर्क किया। उन्‍होंने बताया, “ट्यूमर कोशिकाओं को हाइपोक्सिया (कम ऑक्सीजन का क्षेत्र) के लिए जाना जाता है, जिससे लैक्टिक एसिडोसिस होता है। ये कोशिकाएं पूरे ट्यूमर भार का हिस्सा होती हैं, जिसे पारंपरिक कीमो के साथ लक्षित करना मुश्किल होता है। यह लंबे समय से शोध का क्षेत्र रहा है कि इन निष्क्रिय क्षेत्रों को कैसे लक्षित किया जाए। लैक्टिक एसिडोसिस को उलटना आसान नहीं है। एकमात्र विश्‍वसनीय तरीका उस क्षेत्र के ऑक्सीजनकरण को बढ़ाना है। लुडविग कैंसर रिसर्च की एक स्‍टडी में बेकिंग सोडा का उपयोग करके अम्लता को खत्‍म करने के लिए एक तंत्र का इस्‍तेमाल किया गया। यह एक दिलचस्प विचार है। हालांकि, एक अलग अध्ययन से प्रारंभिक आंकड़ों के आधार पर इन रणनीतियों को स्वीकार करना बहुत जल्दी है। यह एक स्वागत योग्य दृष्टिकोण है और कैंसर के प्रबंधन में इस परिकल्पना का परीक्षण करने के लिए बड़े अध्ययन की आवश्यकता है। जहां हर दिन कोई न कोई नया शोध सामने आ रहा है। किसी भी इनपुट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और उसका पालन किया जाना चाहिए।”

यहां यह बात पूरी तरह से क्यिलर हो चुकी है कि वायरल क्लेम, जिसमें बेकिंग सोडा से कैंसर होता है, फेक है। यह एसिडिटी को खत्म करता है। पड़ताल के अंत में फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की गई। फेसबुक यूजर कुलदीप राज गुप्‍ता लखनऊ के रहने वाले हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में बेकिंग सोडा से कैंसर का उपचार का दावा फर्जी निकला। वायरल मैसेज में जिन डॉक्‍टर के नाम का जिक्र किया गया है, उन्‍होंने भी इसका खंडन किया है।

False
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