Fact Check: तमिलनाडु में धार्मिक कारणों से मूर्तियों को जब्त किए जाने का दावा गलत

तमिलनाडु में सरकारी अधिकारियों ने मूर्तियों को किसी धार्मिक वजह से सील नहीं किया, बल्कि प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसी सामग्री के इस्तेमाल की वजह से स्थानीय अधिकारियों ने नियमों के मुताबिक कार्रवाई की। कई उच्च न्यायालयों, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनजीटी ने विसर्जित की जाने वाली मूर्तियों में जैविक रूप से नष्ट होने वाली सामग्री के इस्तेमाल का निर्देश दिया है। ऐसे मूर्तियों में प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसी सामग्री के इस्तेमाल की मनाही है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे की टिप्पणी के बाद सामने आए सनातन से संबंधित विवाद के संदर्भ में सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह तमिलनाडु का है, जहां की सरकार ने भगवान की मूर्तियों वाले गोदामों को इसलिए सील कर दिया, ताकि गणेश उत्सव के मौके पर पर भगवान गणेश की मूर्तियों की बिक्री को रोका जा सके। पोस्ट को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह हिंदू संस्कृति को ‘समाप्त’ करने का तमिलनाडु सरकार का नया तरीका है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। वायरल वीडियो तमिलनाडु का ही है, लेकिन इसे गलत रंग देकर शेयर किया जा रहा है। मूर्तियों को जब्त किए जाने का कारण धार्मिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक था। करूर जिला प्रशासन की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, मूर्तियों को बनाने में प्रतिबंधित प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) का इस्तेमाल हो रहा था, जबकि कई उच्च न्यायालय, एनजीटी और सीपीसीबी इस बात को दुहराते रहे हैं कि विनायक चतुर्थी के लिए मूर्तियों को जैविक रूप से नष्ट होने वाले पदार्थों से बनाया जाना चाहिए। इसके निर्माण में पीओपी के इस्तेमाल पर सख्त मनाही है।

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘Gyan Prakash’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “हिंदू संस्कृति को समाप्त करने का तमिलनाडु सरकार का नया तरीका, गणेश जी की मूर्तियां बनाने वाले गरीब मरवाड़ियों के गोदामों को सील लगाई गई ताकि गणेश जी की मूर्तियां न बेची जा सके और गणेश उत्सव न मनाया जा सके।”

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

सोशल मीडिया पर भ्रामक दावे से वायरल वीडियो।

पड़ताल

वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स को रिवर्स इमेज करने पर हमें यह वीडियो कई तेलुगू न्यूज पोर्टल पर अपलोड किया हुआ मिला। दीनामलार के आधिकारिक यू-ट्यूब चैनल पर हमें 15 सितंबर 2023 को अपलोड किया हुआ बुलेटिन मिला।

दी गई जानकारी के मुताबिक, मूर्तियों में सीलिंग केमिकल मिलाए जाने की वजह से करूर में स्थानीय अधिकारियों ने मूर्तियों के गोदाम को सील कर दिया।

‘द हिंदू’ की 15 सितंबर की रिपोर्ट में भी इस घटना का जिक्र है। दी गई जानकारी के मुताबिक, “पलायमकोट्टई के बाहरी इलाके में प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी 262 (भगवान) गणेश की मूर्तियों के वर्क शॉप को अधिकारियों ने सील कर दिया।” इस रिपोर्ट में भी तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दशक पुराने आदेश का जिक्र है, जिसमें साफ कहा गया था कि विनायक चतुर्थी के मौके पर विसर्जित की जाने वाली मूर्तियां मिट्टी और नुकसान न पहुंचाने वाले रंगों से बना होना चाहिए।”

द हिंदू में 15 सितंबर 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट।

स्पष्ट है वायरल पोस्ट में किया गया यह दावा गलत है कि धार्मिक वजहों से मूर्तियों को सील किया गया। एक्स पर लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी-एलआरओ के आधिकारिक हैंडल से भी इस घटना के वीडियो को समान दावे के साथ शेयर किया गया था, जिस पर करूर कलेक्टर के आधिकारिक हैंडल से स्पष्टीकरण दिया गया है।

इसमें कहा गया है, “यह समाचार तथ्यों के लिहाज से आधा-अधूरा और तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। सच्चाई कुछ इस तरह है- कई माननीय उच्च न्यायालयों, एनजीटी और सीपीसीबी ने बार-बार यह दुहराया है कि विनायक चतुर्थी के मौके पर बनाई जाने वाली मूर्तियां जैविक रूप से नष्ट होने वाले पदार्थों से बनाई जानी चाहिए। पीओपी जैसी सामग्री का इस्तेमाल सख्ती के साथ प्रतिबंधित है।”

वायरल दावे को लेकर हमने चेन्नई स्थिति टीवी पत्रकार और फैक्ट चेकर जे सैम डैनियल से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि मूर्तियों को जब्त किए जाने के मामले में कोई धार्मिक पहलू शामिल नहीं है। स्थानीय अधिकारियों ने नियमों के मुताबिक कार्रवाई की, जिसके अनुसार विसर्जित की जाने वाले मूर्तियों को जैविक रूप से नष्ट होने वाली सामग्री से बनाया जाना है। विसर्जित की जाने वाली मूर्तियों में प्लास्टर ऑफ पेरिस के इस्तेमाल की मनाही है।

मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ के आदेश से इसकी पुष्टि होती है, जिसमें साफ कहा गया है कि किसी को प्लास्टर ऑफ पेरिस से बने मूर्तियों को बनाने और बिक्री से नहीं रोका जा सकता है, क्योंकि संबंधित दिशानिर्देश केवल विसर्जित की जाने वाली मूर्तियों के बारे में हैं।

17 सितंबर 2023 के मद्रास हाई कोर्ट के मदुरै पीठ का आदेश।

वायरल पोस्ट को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब सात सौ लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: तमिलनाडु में सरकारी अधिकारियों ने मूर्तियों को किसी धार्मिक वजह से सील नहीं किया, बल्कि प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसी सामग्री के इस्तेमाल की वजह से स्थानीय अधिकारियों ने नियमों के मुताबिक कार्रवाई की। कई उच्च न्यायालयों, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनजीटी ने विसर्जित की जाने वाली मूर्तियों में जैविक रूप से नष्ट होने वाली सामग्री के इस्तेमाल का निर्देश दिया है। ऐसे मूर्तियों में प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसी सामग्री के इस्तेमाल की मनाही है।

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