Fact Check: सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दिया है देश का नाम हर भाषा में भारत लिखने का फैसला

हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा गलत है। देश का नाम बदलने से संबंधित कोई भी फैसला सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनाया है।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसके जरिए दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि 15 जून के बाद से भारत का नाम हर भाषा में भारत ही लिखा जाएगा। विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा गलत है।

दरअसल मई 2020 में सुप्रीम कोर्ट में संविधान के आर्टिकल 1 में संशोधन कर देश का नाम हर भाषा में भारत करने के लिए याचिका लगाई गई थी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की डेस्क ने इस पर संविधान में संशोधन का आदेश देने से इनकार करते हुए इसे खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान में इंडिया का नाम भारत ही है और इस रिट याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में माना जाना चाहिए, व इसका निर्णय केंद्र पर छोड़ा था।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर Bramha Shanker Ojha ने यह पोस्ट शेयर किया है जिसमें लिखा गया है : Breaking बधाई हो भारत के सभी नागरिकों को अब इंडिया नहीं भारत बोलो, 15 जून से अब भारत का नाम हर भाषा में सिर्फ भारत ही रहेगा #सुप्रीमकोर्ट

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट में किए गए दावे की पड़ताल करने के लिए सबसे पहले इंटरनेट पर कीवर्ड्स की मदद से सर्च किया, लेकिन हमें ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें सुप्रीम कोर्ट का इस तरह का कोई जजमेंट शामिल हो।

हमें 29 मई 2020 को छपी कुछ मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन होने के बावजूद इंडिया का नाम भारत किए जाने से संबंधित रिट पेटीशन पर सुनवाई की इजाजत दी थी। इस पेटीशन में संविधान के आर्टिकल 1 में संशोधन करने की मांग की गई थी।

इस पेटीशन पर सुनवाई करते हुए 2 जून 2020 को ही सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाने से मना करते हुए कहा था कि इस रिट पेटीशन को एक प्रतिनिधित्व के रूप में देखा जाना चाहिए और केंद्र ही इस पर निर्णय ले। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि संविधान में देश का नाम भारत ही है तथा इस पेटीशन का निपटारा कर दिया था।

ज्यादा जानकारी के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट की लॉयर स्नेहा सिंह से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का कोई वर्डिक्ट नहीं दिया है। पिछले साल जो याचिका कोर्ट में दाखिल हुई थी, कोर्ट ने उसका यह कहते हुए निपटारा कर दिया था कि संविधान में देश का नाम पहले से ही भारत है। लिहाजा यह 15 जून से देश का नाम हर भाषा में भारत किए जाने का वायरल दावा गलत है।

अब बारी थी फेसबुक पर पोस्ट को साझा करने वाले यूजर Bramha Shanker Ojha की प्रोफाइल को स्कैन करने का। प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि खबर लिखे जाने तक इस यूजर की फ्रेंड लिस्ट में 610 लोग शामिल थे और यह यूजर फेसबुक पर काफी एक्टिव है।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा गलत है। देश का नाम बदलने से संबंधित कोई भी फैसला सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनाया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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