Fact Check: सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दिया संस्कृत, महाभारत और रामायण को स्कूल कोर्स से हटाने का आदेश, फर्जी ट्वीट हुआ वायरल

विश्वास न्यूज़ ने इस ट्वीट की पड़ताल की तो हमने पाया की यह फर्जी ट्वीट है। एएनआई के हैंडल से यह ट्वीट नहीं किया गया है और सुप्रीम कोर्ट ने वायरल ट्वीट जैसा कोई फैसला भी नहीं सुनाया है। पूरी पोस्ट फर्जी है।

Fact Check: सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दिया संस्कृत, महाभारत और रामायण को स्कूल कोर्स से हटाने का आदेश, फर्जी ट्वीट हुआ वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़) देश भर में चल रहे हिजाब विवाद के बाद से अलग-अलग तरीके की फर्जी ख़बरें वायरल हो रहीं हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर न्यूज़ एजेंसी एएनआई के नाम से एक फर्जी ट्वीट वायरल हो रहा है। ट्वीट में दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरस्वती पूजा को बैन कर दिया है और वर्तमान पाठ्यक्रम में रामायण, महाभारत और संस्कृत को भी हटा दिया है। जब विश्वास न्यूज़ ने इस ट्वीट की पड़ताल कि तो हमने पाया कि यह फर्जी ट्वीट है। एएनआई के हैंडल से यह ट्वीट नहीं किया गया है और सुप्रीम कोर्ट ने वायरल ट्वीट जैसा कोई फैसला भी नहीं सुनाया है। पूरी पोस्ट फर्जी है।

क्या है वायरल पोस्ट में ?

फेसबुक यूजर ने वायरल ट्वीट के स्क्रीनशॉट को शेयर किया। ट्वीट में एएनआई का लोगो है और यूजर आईडी’ @__vintagesoul’ लिखी है। 12 फरवरी 2022 को 4:39 PM ट्वीट की टाइमिंग है। वहीँ, ट्वीट में लिखा है-‘BREAKING: SC bans Saraswati Pooja, removes Sanskrit ramayan and Mahabharata from current curriculum. “Not to bring any religion into school”remarks the CJI. ”
ट्वीट का हिंदी अनुवाद: ब्रेकिंग: ‘SC ने सरस्वती पूजा पर प्रतिबंध लगाया, संस्कृत रामायण और महाभारत को वर्तमान पाठ्यक्रम से हटा दिया। “किसी धर्म को स्कूल में नहीं लाना है” CJI की टिप्पणी।’

फेसबुक पोस्ट के कंटेंट को यहां ज्योंध का त्यों लिखा गया है। इसके आर्काइव्डट वर्जन को यहां देखा जा सकता है। सोशल मीडिया पर बहुत-से यूजर इस फर्जी ट्वीट के स्क्रीनशॉट को शेयर कर रहे हैं।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने गौर किया कि ANI के नाम से किये गए ट्वीट की यूजर की आईडी ‘@___VintageSoul‘ है, जबकि एएनआई के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल की आईडी @ANI है और यह हैंडल भी वेरिफाइड है।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने वायरल ट्वीट की यूजर आईडी को ट्विटर पर सर्च किया। सर्च में हमें यही यूजर आईडी मिली। हालांकि, इसमें प्रोफाइल फोटो में एएनआई का लोगो और यूजर नेम दोनों ही नज़र नहीं आये। लेकिन हमें वायरल ट्वीट इसी आईडी पर मिला। यहाँ ट्वीट की टाइमिंग और यूज़र आईडी से इसको पहचाना जा सकता है।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने यह जानने की कोशिश की कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने वायरल पोस्ट जैसा कोई फैसला सुनाया है। सर्च में हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जो इस दावे को सही साबित करती।

एएनआई के ट्विटर हैंडल पर भी हमें वायरल ट्वीट जैसा कुछ नहीं मिला।

पोस्ट से जुडी जानकारी के लिए हमने लीगल कॉरेस्पॉन्डेंट और सुप्रीम कोर्ट को कवर करने वाली जर्नलिस्ट भद्रा सिन्हा से सम्पर्क किया और वायरल पोस्ट से जुड़ी पुष्टि हासिल करने की कोशिश की। उन्होंने हमें जानकारी देते हुए बताया, ‘वायरल पोस्ट जैसा कोई फैसला सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनाया है। हिजाब विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बस यही कहा था कि इस मामले को राष्ट्रीय मुद्दा ना बनाये अभी हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है उसी को फैसला लेने दें।’

हमने सहयोगी संस्था दैनिक जागरण में एजुकेशन को कवर करने वाली संवाददाता रितिका मिश्रा से भी संपर्क किया और वायरल पोस्ट उनके साथ शेयर की। उन्होंने भी पुष्टि देते हुए बताया कि स्कूलों को लेकर ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ है।

फर्जी पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग में हमने पाया कि यूजर इससे पहले भी भ्रामक ख़बर शेयर कर चुका है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने इस ट्वीट की पड़ताल की तो हमने पाया की यह फर्जी ट्वीट है। एएनआई के हैंडल से यह ट्वीट नहीं किया गया है और सुप्रीम कोर्ट ने वायरल ट्वीट जैसा कोई फैसला भी नहीं सुनाया है। पूरी पोस्ट फर्जी है।

False
Symbols that define nature of fake news
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