Fact Check: मोरेगांव में मूर्ति को जलाया नहीं गया, बल्कि उसपर बिजली गिरी थी

Fact Check: मोरेगांव में मूर्ति  को जलाया नहीं गया, बल्कि उसपर बिजली गिरी थी

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया पर कुछ समय से एक खबर वायरल हो रही है जिसमे एक मूर्ति को जली हुई हालत में देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ लिखे कैप्शन के अनुसार यह मूर्ति महाराष्ट्र के मोरेगांव में है जहाँ तोड़फोड़ की गई और मूर्ति को आग लगा दी गयी। हमने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असल में इस भगवन शिव की मूर्ति की ये हालत तोड़फोड़ की वजह से नहीं, बल्कि बिजली के गिरने से हुई थी।

CLAIM

वायरल पोस्ट में भगवान् शिव की एक मूर्ति को जली हुई हालत में देखा जा सकता है। पोस्ट में क्लेम लिखा है “हिँदुयों के पवित्र सावन महीने में महाराष्ट्र के मोरगांव में महादेव के प्राचीन मंदिर में तोड़फोड़ की गई और महादेव की मूर्ति को आग लगा दी गयी। @narendramodi जी क्या सिर्फ हिन्दू पर ही अत्याचार होगा?कभी प्रसाद में ज़हर मिला कर कभी मंदिर, मूर्तियों पर हमला कर के? कहा मर गए #IntoleranceGang.” पोस्ट में लिखा है कि इस मूर्ति को कुछ लोगों द्वारा आग लगाई गयी है।

FACT CHECK

पड़ताल को शुरू करने के लिए हमने इस वायरल तस्वीर को “Shiva idol vandalised in Moregaon मोरेगांव ” कीवर्ड्स के साथ गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। इस सर्च में हमारे हाथ ‘द वीक’ की एक स्टोरी लगी जिसमें लिखा था, “पुलिस के अनुसार, गोंदिया जिले की अर्जुनी मोरगाँव तहसील में एक पहाड़ी पर स्थापित शिव की मूर्ति संभवत: बिजली से क्षतिग्रस्त मिली। 15 फीट लंबी मूर्ति शुक्रवार को आधी जली हुई अवस्था में पायी गई थी। प्रारंभिक निरीक्षण यह सुझाव देता है कि इसका कारण बिजली हो सकता है।”

ज़्यादा पुष्टि के लिए हमने सीधा गोंडिया ज़िले के SP मंगेश शिंदे से बात की। जिन्होंने हमें बताया, “वायरल हो रही खबर सही नहीं है। इस मूर्ति को जुलाई 26 को गांव वालों द्वारा इस स्थिति में पाया गया। हमने अपनी टीम वहां भेजी जिसमें वेंडलिज्म (तोड़फोड़) का कोई सबूत नहीं मिला। भगवान शिव की मूर्ति की यह हालत संभवतः आसमान से गिरी बिजली से हुई है।”

इस पोस्ट को हाल में Harshit Acharya‎ नाम के फेसबुक यूजर ने शेयर किया था।

इस सिलसिले में हमने IMD अधिकारी किशोर से भी बात की। जिन्होंने हमें बताया, “बादल में पॉज़िटिव और नेगेटिव दोनों चार्ज़ होते हैं। जब ये एक-दूसरे के पास एक साथ भारी मात्रा में आते हैं तो इलेक्ट्रिसिटी पैदा होती है। इसे ही बादलों के भीतर बिजली चमकना कहते हैं। बादलों का नेगेटिव चार्ज़ जब धरती में ‘डिस्चार्ज’ होता है तो उसे बिजली का गिरना कहते हैं। जब एक बेहद शक्तिशाली बिजली एक चट्टान या बड़ी मूर्ति पर गिरती है तो इससे उत्पन्न गर्मी की भारी मात्रा के चलते चट्टान या रेत के मिनरल्स आपस में फ्यूज़ हो जाता है जिससे वो जल जाती है।” ऐसा ही कुछ इस मूर्ति के साथ हुआ होगा।

निष्कर्ष: हमने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असल में इस भगवन शिव की मूर्ति की ये हालत तोड़फोड़ की वजह से नहीं, बल्कि बिजली के गिरने से हुई थी।

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False
Symbols that define nature of fake news
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